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भजन: भज गोविंदम भजन

भज गोविंदम स्तोत्रम् (संस्कृत में)

भज गोविन्दं भज गोविन्दं
गोविन्दं भज मूढ़मते।
संप्राप्ते सन्निहिते काले
नहि नहि रक्षति डुकृञ्करणे॥ १॥

मूढ़ जहिihi धनागमतृष्णां
कुरु सद्बुद्धिं मनसि वितृष्णाम्।
यल्लभसे निजकर्मोपात्तं
वित्तं तेन विनोदय चित्तम्॥ २॥

नारीस्तनभर नाभीदेशं
दृष्ट्वा मा गा मोहावेशम्।
एतन्मांसवसादि विकारं
मनसि विचिन्तय वारं वारम्॥ ३॥

(यह केवल कुछ श्लोक हैं, पूरा भजन 31 श्लोकों का है।)

भज गोविंदम का अर्थ:

यह भजन हमें बताता है कि सांसारिक धन, भौतिक सुख और ज्ञान का घमंड मृत्यु के समय किसी के काम नहीं आता। इसलिए, व्यक्ति को भगवान गोविंद (श्रीकृष्ण) की भक्ति करनी चाहिए और मोहमाया से दूर रहना चाहिए।

 

भज गोविंदम स्तोत्र का हिंदी अर्थ

श्लोक 1:

भज गोविन्दं भज गोविन्दं
गोविन्दं भज मूढ़मते।
संप्राप्ते सन्निहिते काले
नहि नहि रक्षति डुकृञ्करणे॥

🔹 अर्थ:
हे मूर्ख! भगवान गोविंद (श्रीकृष्ण) का भजन कर, उनका स्मरण कर। जब मृत्यु का समय नजदीक आएगा, तब व्याकरण के नियम (या शास्त्रों का ज्ञान) तुम्हारी रक्षा नहीं कर पाएंगे। केवल भक्ति ही काम आएगी।

श्लोक 2:

मूढ़ जहिihi धनागमतृष्णां
कुरु सद्बुद्धिं मनसि वितृष्णाम्।
यल्लभसे निजकर्मोपात्तं
वित्तं तेन विनोदय चित्तम्॥

🔹 अर्थ:
हे मूर्ख! धन की तृष्णा (लालच) को त्याग दे और अपने मन में शुद्ध बुद्धि रख। जो भी धन तुम्हें अपने कर्म से प्राप्त हो, उसी में संतोष कर और जीवन व्यतीत कर।

श्लोक 3:

नारीस्तनभर नाभीदेशं
दृष्ट्वा मा गा मोहावेशम्।
एतन्मांसवसादि विकारं
मनसि विचिन्तय वारं वारम्॥

🔹 अर्थ:
स्त्रियों के सौंदर्य को देखकर मोह में मत फंसो। यह केवल मांस, वसा और हड्डियों का बना हुआ शरीर है। बार-बार इस पर विचार करो और आकर्षण के इस भ्रम से बाहर आओ।

श्लोक 4:

यावद्वित्तोपार्जनसक्तः
तावन्निजपरिवारो रक्तः।
पश्चाज्जीवति जर्जरदेहे
वार्तां कोऽपि न पृच्छति गेहे॥

🔹 अर्थ:
जब तक तुम धन कमाने में सक्षम हो, तब तक परिवार और सगे-संबंधी तुम्हारे साथ प्रेम करते हैं। लेकिन जब शरीर बूढ़ा हो जाता है और तुम निर्बल हो जाते हो, तब कोई तुम्हारी खोज-खबर तक नहीं लेता।

श्लोक 5:

मां कुरु धन जन यौवन गर्वं
हरति निमेषात्कालः सर्वम्।
मायामयमिदमखिलं हित्वा
ब्रह्मपदं त्वं प्रविश विदित्वा॥

🔹 अर्थ:
धन, परिवार और यौवन का अहंकार मत कर, क्योंकि काल (समय) एक क्षण में सब नष्ट कर देता है। इस माया के जाल को त्यागकर ब्रह्म (ईश्वर) का साक्षात्कार करने का प्रयास कर।

भज गोविंदम का सार:

✅ सांसारिक सुख, धन और ज्ञान का अहंकार अंत में व्यर्थ है।
✅ केवल ईश्वर की भक्ति ही अंतिम सत्य है।
✅ मनुष्य को अपने जीवन में मोह-माया से ऊपर उठकर भगवान की भक्ति करनी चाहिए।
✅ मृत्यु के समय केवल भक्ति और अच्छे कर्म ही साथ जाते हैं।

यह भजन हमें जीवन की सच्चाई और मोक्ष का मार्ग सिखाता है। अगर आप पूरे श्लोकों का अर्थ चाहते हैं, तो बता सकते हैं! 🙏😊

 

Bhaj Govindam Stotram with English Meaning

Verse 1:

Bhaj Govindam Bhaj Govindam
Govindam Bhaj Moodhamate
Samprapte Sannihite Kaale
Nahi Nahi Rakshati Dukrinkarane

🔹 Meaning:
O foolish mind! Worship Govinda (Lord Krishna), chant His name. When death approaches, the rules of grammar (or worldly knowledge) will not save you. Only devotion will be your true refuge.

Verse 2:

Moodha Jahi Dhanagama Trishnaam
Kuru Sadbuddhim Manasi Vitrisnaam
Yallabhase Nijakarmopattam
Vittam Tena Vinodaya Chittam

🔹 Meaning:
O fool! Give up the greed for accumulating wealth. Cultivate good thoughts in your mind and be content with whatever wealth you receive as a result of your karma.

Verse 3:

Naari Stana Bhara Naabhi Desham
Drishtva Maa Gaa Mohavesham
Etan Mamsa Vasadi Vikaram
Manasi Vichintaya Vaaram Vaaram

🔹 Meaning:
Do not be deluded by the beauty of a woman’s body. It is nothing but a modification of flesh, fat, and bones. Contemplate this truth again and again to overcome attraction and illusion.

Verse 4:

Yaavad Vittoparjana Saktaḥ
Taavan Nija Parivaro Raktaḥ
Pashchaaj Jeevati Jarjara Dehe
Vartam Ko’pi Na Prichchhati Gehe

🔹 Meaning:
As long as you are capable of earning wealth, your family and relatives will love and care for you. But when old age weakens your body, no one even asks about you at home.

Verse 5:

Maa Kuru Dhana Jana Yauvana Garvam
Harati Nimeshaat Kaalah Sarvam
Maayaamayamidam Akhilam Hitvaa
Brahmapadam Tvam Pravisha Viditvaa

🔹 Meaning:
Do not take pride in wealth, family, or youth. Time (death) destroys everything in a moment. Renounce this illusionary world and realize the Supreme Brahman.

Summary of Bhaj Govindam:

✅ Worldly wealth, pleasures, and knowledge are temporary.
✅ Only devotion to God is the ultimate truth.
✅ One must rise above material attachments and focus on spirituality.
✅ At the time of death, only devotion and good deeds will remain with you.

 

🔱 भज गोविंदम स्तोत्र पूजन विधि एवं सामग्री 🔱

📌 पूजन सामग्री (Puja Samagri):

  1. प्रतिमा/चित्र: भगवान श्रीकृष्ण (गोविंद) का चित्र या मूर्ति
  2. दीपक: घी या तेल का दीपक
  3. धूप/अगरबत्ती
  4. फूल: तुलसी दल, गुलाब, गेंदे के फूल
  5. माला: तुलसी या रुद्राक्ष की माला
  6. फल: नारियल, केला, सेब आदि
  7. पंचामृत: दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर
  8. गंगाजल या शुद्ध जल
  9. चंदन, रोली, कुमकुम
  10. अक्षत (चावल)
  11. मिष्ठान्न/भोग: मिठाई, पंचामृत, माखन-मिश्री
  12. पुस्तक या प्रिंटेड भज गोविंदम स्तोत्र
  13. घंटी (घंटा)
  14. आसन (पूजा के लिए कुशा या कपड़े का आसन)

📖 भज गोविंदम स्तोत्र पूजन विधि (Puja Vidhi):

1️⃣ शुद्धि और संकल्प:

  • सबसे पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  • हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर पूजा का संकल्प करें।

2️⃣ दीप प्रज्वलन और आह्वान:

  • दीपक जलाकर भगवान श्रीकृष्ण (गोविंद) का ध्यान करें।
  • धूप, अगरबत्ती जलाएं और घंटी बजाएं।

3️⃣ पंचोपचार/षोडशोपचार पूजा:

  1. आवाहन (आमंत्रण) – भगवान का स्मरण कर आमंत्रित करें।
  2. असन (आसन अर्पण) – श्रीकृष्ण को आसन समर्पित करें।
  3. पाद्य (चरण धोने हेतु जल) – चरणों में जल अर्पण करें।
  4. अर्घ्य (अभिषेक जल) – गंगाजल और पंचामृत से अभिषेक करें।
  5. आचमन (पान हेतु जल) – चरणामृत समर्पित करें।
  6. वस्त्र एवं आभूषण – वस्त्र और आभूषण समर्पित करें।
  7. गंध (चंदन, रोली, कुमकुम) – भगवान को चंदन लगाएं।
  8. पुष्प (फूल अर्पण) – भगवान को पुष्प चढ़ाएं।
  9. धूप एवं दीप – धूप और दीप अर्पित करें।
  10. नैवेद्य (भोग अर्पण) – माखन-मिश्री, फल, मिठाई चढ़ाएं।
  11. तुलसी पत्र अर्पण – भगवान को तुलसी पत्र समर्पित करें।
  12. दक्षिणा एवं समर्पण – भक्ति भाव से कुछ दान करें।
  13. आरती – “भज गोविंदम” स्तोत्र का पाठ करें और श्रीकृष्ण की आरती करें।
  14. प्रदक्षिणा (परिक्रमा) – तीन बार परिक्रमा करें।
  15. प्रसाद वितरण – सभी भक्तों में प्रसाद वितरित करें।

🙏 पूजन का महत्व 🙏

“भज गोविंदम” का पाठ करने से सांसारिक मोह से मुक्ति, आध्यात्मिक शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह भजन हमें बताता है कि धन, सौंदर्य और सांसारिक ज्ञान से अधिक महत्वपूर्ण भगवान की भक्ति है।

यदि आपको कोई विशेष विधि चाहिए या विस्तृत अनुष्ठान विवरण चाहिए, तो बताइए! 🙏😊