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दत्तात्रेय भजन - संकट में सहारा, करुणा का सागर

भजन:

दत्तात्रेय दयालु, करुणा के सागर,
सदा सहारा तेरा, संकट के उजागर।
ज्ञान का दीपक तू, अंधकार हरता,
भक्तों के जीवन में, सुमंगल करता।
त्रिमूर्ति अवतार, शुभाशीष देना,
सदा कृपा रखना, दुख हर लेना।

भजन का अर्थ:

यह भजन भगवान दत्तात्रेय की महिमा का गुणगान करता है।

  • “दत्तात्रेय दयालु, करुणा के सागर,”
    ➝ भगवान दत्तात्रेय अत्यंत दयालु और करुणा के सागर हैं।
  • “सदा सहारा तेरा, संकट के उजागर।”
    ➝ जब भी कोई भक्त संकट में होता है, भगवान दत्तात्रेय उसका सहारा बनते हैं।
  • “ज्ञान का दीपक तू, अंधकार हरता,”
    ➝ वे ज्ञान का प्रकाश हैं, जो अज्ञानता का अंधकार दूर करते हैं।
  • “भक्तों के जीवन में, सुमंगल करता।”
    ➝ उनके आशीर्वाद से भक्तों का जीवन शुभ और मंगलमय बनता है।
  • “त्रिमूर्ति अवतार, शुभाशीष देना,”
    ➝ वे ब्रह्मा, विष्णु और महेश के त्रिमूर्ति अवतार हैं और सभी को शुभ आशीर्वाद देते हैं।
  • “सदा कृपा रखना, दुख हर लेना।”
    ➝ भगवान हमेशा अपनी कृपा बनाए रखें और सभी दुखों को हर लें।

👉 यह भजन भक्तों को भगवान दत्तात्रेय की कृपा प्राप्त करने और उनके प्रति श्रद्धा बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है। 🙏✨

 

Meaning of the Bhajan in English:

This bhajan praises the greatness of Lord Dattatreya.

  • “Dattatreya Dayalu, Karuna Ke Sagar,”
    ➝ Lord Dattatreya is extremely compassionate and an ocean of mercy.
  • “Sada Sahara Tera, Sankat Ke Ujagar.”
    ➝ He is always a support for devotees in times of trouble.
  • “Gyaan Ka Deepak Tu, Andhkaar Harta,”
    ➝ He is the lamp of knowledge who removes the darkness of ignorance.
  • “Bhakton Ke Jeevan Mein, Sumangal Karta.”
    ➝ His blessings bring peace and prosperity to the lives of devotees.
  • “Tridev Avataar, Shubhaashish Dena,”
    ➝ As an incarnation of Brahma, Vishnu, and Mahesh, he grants divine blessings.
  • “Sada Kripa Rakhna, Dukh Har Lena.”
    ➝ May he always shower his grace and remove all suffering.

🔹 श्री दत्तात्रेय पूजा विधि और सामग्री

📌 पूजा सामग्री (Pooja Samagri):

  1. मूर्ति या चित्र – भगवान दत्तात्रेय का चित्र या मूर्ति
  2. पंचामृत – दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर
  3. गंगाजल – शुद्ध जल
  4. चंदन – तिलक के लिए
  5. फूल और माला – ताजे पुष्प और तुलसी पत्र
  6. धूप और दीपक – आरती के लिए
  7. नैवेद्य (प्रसाद) – फल, मिठाई, पंचमेवा
  8. अगरबत्ती और कपूर – सुगंध और आरती के लिए
  9. पीला वस्त्र – भगवान को अर्पित करने के लिए
  10. भोग – खीर, गुड़, या बेसन के लड्डू
  11. रक्षा सूत्र (मौली) – कलावे के लिए
  12. ध्यान और मंत्र पुस्तिका – पाठ और ध्यान के लिए

📌 पूजा विधि (Pooja Vidhi):

  1. स्नान और शुद्धिकरण:
    ➝ पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
  2. आसन और संकल्प:
    ➝ भगवान दत्तात्रेय के चित्र/मूर्ति को साफ स्थान पर रखें। संकल्प लें और अपनी मनोकामना बताएं।
  3. पंचोपचार पूजा:
    ➝ भगवान को चंदन, पुष्प, अक्षत (चावल), धूप, और दीप अर्पित करें।
  4. मंत्र जप और ध्यान:
    ➝ “ॐ द्रां दत्तात्रेयाय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
  5. आरती:
    ➝ कपूर जलाकर भगवान की आरती करें और घंटी बजाएं।
  6. नैवेद्य और प्रसाद:
    ➝ भगवान को नैवेद्य अर्पित करें और अंत में भक्तों में प्रसाद वितरित करें।
  7. प्रणाम और प्रार्थना:
    ➝ भगवान से कृपा और आशीर्वाद की प्रार्थना करें।