भजन:
सूर्य देव की आराधना, जीवन में लाए उजियारा।
सत्कर्म का दीप जलाकर, करें नमन हम प्यारा॥
ऊर्जा के स्रोत हे प्रभु, जग में तुम हो आधार।
तेरी कृपा से चलता जीवन, तुमसे सब संसार॥
सदा चमकते रहो गगन में, दूर करो अंधियारा।
तेरी कृपा से जागे हम, करुणा बरसाओ न्यारा॥
हे दिवाकर, जय जयकार, तेरा प्रकाश अपरंपार।
भक्तों के मन में बस जाओ, करो कृपा अपार॥
भजन का अर्थ:
यह भजन सूर्य देव की महिमा का गान है, जिसमें उनकी कृपा और शक्ति को श्रद्धा से स्तुति की जाती है। भजन में सूर्य देव को जीवन में ऊर्जा और प्रकाश का स्रोत बताया गया है, जो अंधकार को दूर करके हमें सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं।
- “सूर्य देव की आराधना, जीवन में लाए उजियारा।”
इस पंक्ति में सूर्य देव की पूजा और अर्चना की जा रही है, जिससे जीवन में प्रकाश और सकारात्मकता का संचार होता है। - “सत्कर्म का दीप जलाकर, करें नमन हम प्यारा।”
यह बताता है कि अच्छे कर्मों के प्रकाश से हम भगवान को नमन करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। - “ऊर्जा के स्रोत हे प्रभु, जग में तुम हो आधार।”
सूर्य देव को जीवन और ऊर्जा का स्रोत कहा गया है, जो सम्पूर्ण संसार का आधार हैं। - “तेरी कृपा से चलता जीवन, तुमसे सब संसार।”
यह पंक्ति इस तथ्य को प्रकट करती है कि सूर्य देव की कृपा से ही सभी जीवों का जीवन चलता है और सम्पूर्ण संसार अस्तित्व में है। - “सदा चमकते रहो गगन में, दूर करो अंधियारा।”
सूर्य देव से प्रार्थना की जा रही है कि वे हमेशा आकाश में चमकते रहें और संसार से अंधकार को दूर करें। - “तेरी कृपा से जागे हम, करुणा बरसाओ न्यारा।”
यहां भगवान सूर्य से विनती की जा रही है कि उनकी कृपा से हम जागृत हों और वे अपनी अनंत करुणा बरसाएं। - “हे दिवाकर, जय जयकार, तेरा प्रकाश अपरंपार।”
सूर्य देव को दिवाकर (प्रकाश देने वाला) कहा गया है और उनकी अपरंपार प्रकाश शक्ति की जय-जयकार की जा रही है। - “भक्तों के मन में बस जाओ, करो कृपा अपार।”
यह पंक्ति सूर्य देव से यह निवेदन करती है कि वे अपने भक्तों के दिलों में बस जाएं और अपनी अनमोल कृपा बरसाएं।
Meaning of the Bhajan:
This bhajan is a hymn in praise of Lord Surya (the Sun God), where his grace and power are worshipped. The bhajan emphasizes Surya Dev as the source of energy and light, removing darkness and guiding us towards the right path.
- “Surya Dev ki Aradhana, jeevan mein laaye ujiyara.”
This line praises Lord Surya and acknowledges that his worship brings light and positivity into one’s life. - “Satkarma ka deep jalakar, karein naman hum pyaara.”
It signifies that by lighting the lamp of good deeds, we offer our respect and prayers to Lord Surya. - “Urja ke srot hai Prabhu, jag mein tum ho aadhar.”
Here, Surya Dev is described as the source of life and energy, who is the foundation of the entire universe. - “Teri kripa se chalta jeevan, tumse sab sansar.”
This line expresses that it is by the grace of Surya Dev that life exists and the entire world functions. - “Sada chamakte raho gagan mein, door karo andhiyara.”
A prayer to Lord Surya to always shine in the sky and remove the darkness from the world. - “Teri kripa se jaage hum, karuna barsao nyaara.”
It is a plea for Lord Surya to bless us with his grace and awaken us, showering us with his unique compassion. - “Hey Divakar, Jai Jai Kaar, Tera prakaash aparanpaar.”
Surya Dev is praised as the giver of light (Divakar), and his infinite radiance is celebrated with chants of victory. - “Bhakton ke mann mein bas jao, karo kripa apaar.”
This line asks Lord Surya to reside in the hearts of his devotees and shower them with boundless grace.
सूर्य पूजा विधि और पूजन सामग्री:
सूर्य पूजा विधि:
- स्नान और शुद्धता:
पूजा आरंभ करने से पहले शरीर और मन की शुद्धता आवश्यक है। सबसे पहले सूर्योदय से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा। - स्थान का चयन:
सूर्य पूजा के लिए एक स्वच्छ स्थान चुनें, जहां सूरज की रौशनी सीधे पहुंच सके। अगर घर में कोई छत या आंगन हो तो वहां पूजा करना बेहतर रहता है। - आसनीय और धूप:
सूर्य देव की पूजा करते समय पश्चिम की ओर मुंह करके बैठें। एक साफ आसन (चादर या आसन) बिछा लें और उसके ऊपर दीपक या अगरबत्ती जलाएं। इसके साथ सूरज की किरणें आप पर पड़ने दें। - पानी अर्पित करें:
एक बर्तन में जल लें और उसमें थोड़ी सी चंदन, कुंकुम और फूल डालकर सूर्य देव को अर्पित करें। साथ ही साथ सूरज की ओर अर्घ्य (जल अर्पण) दें। - मंत्रों का जाप:
सूर्य देव की पूजा में ‘ॐ सूर्याय नमः’ और ‘ॐ आदित्याय च सोमाय मangalाय बुधाय च’ जैसे मंत्रों का जाप करें। यह मंत्र सूर्य देव की आराधना में विशेष रूप से प्रभावी होते हैं। - धूप और दीपक:
सूर्य देव को धूप, दीपक, और गुलाब के फूल अर्पित करें। दीपक को जलाकर सूर्य देव के आगे रखें और उनका ध्यान करें। - भोग अर्पण:
पूजा के अंत में सूर्य देव को मीठे पदार्थ (जैसे ताजे फल, हलवा, चने आदि) अर्पित करें। यह एक प्रकार की आभार प्रकट करने की प्रक्रिया होती है। - पूजा का समापन:
अंत में सूर्य देव का धन्यवाद करें और ‘ॐ सूर्याय नमः’ का मंत्र 108 बार जाप करें। पूजा को अंत में प्रणाम करके समाप्त करें।
सूर्य पूजा सामग्री:
- सूर्य प्रतिमा या चित्र – सूर्य देव की मूर्ति या चित्र, जो पूजा स्थल पर रखें।
- दीपक या अगरबत्ती – सूर्य देव के सामने दीपक या अगरबत्ती जलाने के लिए।
- पानी (अर्घ्य देने के लिए) – सूर्य देव को जल अर्पित करने के लिए।
- चंदन, कुंकुम और सिंदूर – सूर्य देव को चंदन, कुंकुम अर्पित करने के लिए।
- गुलाब के फूल – पूजा में अर्पित करने के लिए।
- फल, ताजे अनाज, और मिठाइयाँ – भोग के लिए।
- चावल और कच्चे मूंग – पूजा में चढ़ाने के लिए।
- ताम्बा या कांसे का पात्र – अर्घ्य अर्पित करने के लिए।
- पानी से भरा कलश – सूर्य देव को जल अर्पित करने के लिए।
- पवित्र आसन (चादर या आसन) – पूजा के लिए स्वच्छ स्थान पर बैठने के लिए।
सूर्य पूजा के लाभ:
सूर्य देव की पूजा से मानसिक शांति, जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि का वास होता है। यह स्वास्थ्य में भी सुधार लाने और आत्मविश्वास को बढ़ाने में सहायक है।