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भजन: “यशोमती मइया से बोले नंदलाला”

यशोमती मइया से बोले नंदलाला,
राधे राधे बोलो, राधे राधे बोलो।

यशोमती मइया के लाड़ले नंदलाला,
माखन चुराते हैं, माखन चुराते हैं।

मोर मुकुट पहने, कंठ में बांसुरी,
कृष्णा के दर्शन से धन्य है दुनिया।

यशोमती मइया से बोले नंदलाला,
राधे राधे बोलो, राधे राधे बोलो।

गोपियाँ नृत्य करतीं, कान्हा के संग,
रासलीला में रंगीली, बजी मुरली।

कान्हा के कदमों में बसा है सुख सारा,
वो ही हैं हमारे जीवन का सहारा।

यशोमती मइया से बोले नंदलाला,
राधे राधे बोलो, राधे राधे बोलो।

माला से लेकर अपने ह्रदय में,
कृष्ण के चरणों में अर्पित करो प्रेम।

माखन के संग मिलकर, करों भक्ति समर्पण,
कान्हा का नाम लेने से हर दिल होता पवित्र।

यशोमती मइया से बोले नंदलाला,
राधे राधे बोलो, राधे राधे बोलो।

यह भजन भगवान श्री कृष्ण के शिशु रूप और उनके प्यारे लीलाओं का वर्णन करता है। “यशोमती मइया से बोले नंदलाला” एक प्रसिद्ध भजन है जिसमें कान्हा की मासूमियत, माखन चोरी और रासलीला की बातें की जाती हैं। इस भजन को गाने से मन में प्रेम और भक्ति का अहसास होता है।

भजन का अर्थ: “यशोमती मइया से बोले नंदलाला”

मुखड़ा:

यशोमती मइया से बोले नंदलाला,
राधे राधे बोलो, राधे राधे बोलो।

  • इस पंक्ति में भगवान श्री कृष्ण (नंदलाला) अपनी माँ यशोदा से बात कर रहे हैं। वे अपनी माँ को यह कहते हैं कि ‘राधे राधे’ शब्दों का जाप करो, क्योंकि राधा और कृष्ण का नाम बहुत पवित्र और शुभकारी होता है। यह मंत्र हर जगह भगवान की उपस्थिति का अहसास कराता है।

पहला पद:

यशोमती मइया के लाड़ले नंदलाला,
माखन चुराते हैं, माखन चुराते हैं।

  • भगवान कृष्ण का बचपन बहुत प्यारा था, और वे माखन चोरी करने के लिए प्रसिद्ध थे। इस पंक्ति में उनकी बाल लीलाओं का वर्णन किया गया है, जिसमें वे अपनी माँ यशोदा से छिपकर माखन चोरी करते हैं। यह उनकी मासूमियत और लीलाओं का प्रतीक है।

दूसरा पद:

मोर मुकुट पहने, कंठ में बांसुरी,
कृष्णा के दर्शन से धन्य है दुनिया।

  • इस पंक्ति में भगवान कृष्ण के सुंदर रूप का वर्णन किया गया है। वे मोरपंख से सजे मुकुट पहनते हैं और उनके गले में बांसुरी होती है। बांसुरी की ध्वनि और कृष्ण के दर्शन से इस संसार को अमृत प्राप्त होता है।

तीसरा पद:

गोपियाँ नृत्य करतीं, कान्हा के संग,
रासलीला में रंगीली, बजी मुरली।

  • यहाँ भगवान कृष्ण के साथ रासलीला का चित्रण किया गया है, जिसमें गोपियाँ उनके साथ नृत्य करती हैं और बांसुरी की ध्वनि (मुरली) से वातावरण में भक्ति और आनंद का प्रसार होता है। यह उनके प्रेमपूर्ण और आनंदित जीवन का प्रतीक है।

चौथा पद:

कान्हा के कदमों में बसा है सुख सारा,
वो ही हैं हमारे जीवन का सहारा।

  • इस पंक्ति में यह कहा गया है कि भगवान कृष्ण के चरणों में सारा सुख समाहित है। उनके चरणों में श्रद्धा और प्रेम की शक्ति है, और वे हमारे जीवन के सबसे बड़े सहारे हैं। कृष्ण की भक्ति से जीवन में सुख और शांति मिलती है।

पाँचवां पद:

माला से लेकर अपने ह्रदय में,
कृष्ण के चरणों में अर्पित करो प्रेम।

  • इस पंक्ति में भक्तों को यह संदेश दिया जा रहा है कि वे अपने ह्रदय से भगवान कृष्ण के चरणों में प्रेम अर्पित करें। माला (जप माला) से भगवान के नाम का जाप करना और उनके चरणों में समर्पण करना भक्ति का सर्वोत्तम मार्ग है।

छठा पद:

माखन के संग मिलकर, करों भक्ति समर्पण,
कान्हा का नाम लेने से हर दिल होता पवित्र।

  • यह पंक्ति भगवान कृष्ण की माखन चुराने की लीलाओं का एक प्रतीक है, जहाँ भक्त माखन (भक्ति) के साथ समर्पण करते हैं। जब हम कृष्ण का नाम लेते हैं, तब हमारे दिल में पवित्रता आती है और हम उनकी कृपा प्राप्त करते हैं।

सारांश:

यह भजन भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप, उनकी माखन चोरी की लीलाओं, रासलीला, और उनके गहरे प्रेम का वर्णन करता है। भजन का प्रत्येक पद कृष्ण की दिव्य लीलाओं और उनके भक्तों के लिए अनंत प्रेम का संदेश देता है। “राधे राधे बोलो” का जप करने से जीवन में शांति, प्रेम, और भगवान की कृपा मिलती है।

Meaning of the Bhajan: “Yashomati Maiya Se Bole Nandlala”

Chorus:

Yashomati Maiya Se Bole Nandlala,
Radhe Radhe Bolo, Radhe Radhe Bolo.

  • In this line, Lord Krishna (Nandlala) is speaking to his mother Yashoda. He is telling her to chant the words “Radhe Radhe,” because the name of Radha and Krishna is auspicious and brings blessings. These words are powerful and bring divine presence to one’s life.

Verse 1:

Yashomati Maiya Ke Ladle Nandlala,
Makhhan Churaate Hain, Makhhan Churaate Hain.

  • This verse refers to Krishna’s childhood where he is known for stealing butter (makhan) from the homes of the Gopis. Krishna’s mischievous nature is depicted here, where he steals butter with his playful innocence, endearing him to all.

Verse 2:

Moor Mukut Pehne, Kanth Mein Bansuri,
Krishna Ke Darshan Se Dhanya Hai Duniya.

  • Here, Lord Krishna is described as wearing a crown decorated with peacock feathers (Moor Mukut) and holding a flute (Bansuri) in his neck. The world is blessed and made divine through Krishna’s darshan (vision). His presence is a source of spiritual fulfillment for the world.

Verse 3:

Gopiyan Nritya Kartin, Kanha Ke Sang,
Raasleela Mein Rangeeli, Baji Murlai.

  • This verse refers to the divine dance of Krishna with the Gopis during the Raasleela, a joyful and sacred dance. The sound of the flute (Murlai) fills the atmosphere, and everyone, including the Gopis, is lost in the divine bliss of Krishna’s presence.

Verse 4:

Kanha Ke Kadmo Mein Basa Hai Sukh Saara,
Woh Hi Hai Hamare Jeevan Ka Sahara.

  • In this line, it is expressed that all happiness resides in the footsteps of Krishna. His divine grace is the ultimate support and refuge for all, and he is the true shelter in life, guiding his devotees towards spiritual peace and fulfillment.

Verse 5:

Mala Se Le Kar Apne Hriday Mein,
Krishna Ke Charano Mein Arpit Karo Prem.

  • This verse encourages devotees to offer their love to Krishna through their hearts and with sincerity. It suggests that chanting Krishna’s name with a mala (prayer beads) and surrendering to his divine feet with love is the highest form of devotion.

Verse 6:

Makhhan Ke Sang Milkar, Karo Bhakti Samarpan,
Kanha Ka Naam Lene Se Har Dil Hota Pavitra.

  • This line speaks about offering devotion along with the love for butter (Makhan), symbolizing the essence of Krishna’s playful nature. Chanting Krishna’s name purifies the heart and brings divine blessings, leading to a spiritually enriched life.

Summary:

This bhajan praises Lord Krishna’s playful childhood, his stealing of butter, his enchanting flute music, and the joy he brings to his devotees. It also highlights Krishna’s divine love and the ultimate peace and joy that comes from chanting his name and surrendering to his feet. The bhajan encourages devotion, love, and the purification of the soul through the remembrance of Krishna. By chanting his name (“Radhe Radhe”) and engaging in true devotion, one can experience Krishna’s grace and bring tranquility into their lives.

पूजा विधि (Puja Vidhi in Hindi)

1. पूजा की तैयारी:

  • स्वच्छता और स्नान: पूजा से पहले शारीरिक और मानसिक स्वच्छता का ध्यान रखें। स्नान करके साफ कपड़े पहनें और पूजा स्थल को भी स्वच्छ करें।
  • पूजा स्थल की स्थापना: पूजा स्थल को शुद्ध और पवित्र बनाएं। भगवान की मूर्ति या चित्र को एक स्वच्छ चौकी या स्थान पर रखें।

2. पूजा विधि के चरण:

  1. संकल्प:
    • पूजा शुरू करने से पहले मन में संकल्प लें कि आप भगवान की पूजा श्रद्धा और भाव से कर रहे हैं। संकल्प करते हुए कहें, “हे भगवान! मैं आपको अपने पूरे मन, तन और आत्मा से पूजता/पूजती हूं।”
  2. आवहन (आह्वान):
    • भगवान को पूजा के लिए आमंत्रित करें। शुद्ध जल या गंगाजल से भगवान के चित्र या मूर्ति पर छिड़कें।
    • फिर भगवान के मंत्र का जाप करें, जैसे: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” या “ॐ श्री गणेशाय नमः”।
  3. अभिषेक (स्नान):
    • भगवान को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और चीनी) से स्नान कराएं। इसके बाद उन्हें जल से स्नान कराकर शुद्ध करें।
  4. श्रृंगार (सजावट):
    • भगवान को चंदन, कुमकुम, अक्षत (चावल), फूल, और माला अर्पित करें। इसके बाद भगवान को नया वस्त्र पहनाएं, यदि संभव हो।
  5. धूप, दीप और कपूर अर्पित करें:
    • भगवान के समक्ष धूपबत्ती और दीपक जलाएं। दीपक की लौ में भगवान का ध्यान करें और उनकी आरती करें।
    • कपूर का इस्तेमाल करके भगवान के सामने आरती करें।
  6. नैवेद्य (भोग) अर्पण करें:
    • भगवान को ताजे फल, मिठाई (जैसे लड्डू, पेड़ा) और अन्य पकवान अर्पित करें।
    • ये भोग भगवान को अर्पित करके उनके आशीर्वाद प्राप्त करें।
  7. आरती:
    • भगवान की आरती गाएं और दीपक को भगवान के चरणों में रखें।
    • आरती का समय होते हुए दीपक और कपूर की जोड़ी से थाली घुमाएं।
  8. प्रदक्षिणा (परिक्रमा):
    • भगवान के चारों ओर तीन बार परिक्रमा करें, और भगवान के चरणों में प्रणाम करें।
    • परिक्रमा करते समय मन में उनकी महिमा और भक्ति का ध्यान करें।
  9. प्रसाद वितरण:
    • पूजा के बाद भगवान द्वारा दी गई प्रसाद (फल, मिठाई) को परिवार के सभी सदस्यों और उपस्थित लोगों में वितरित करें।

पूजा सामग्री (Puja Samagri in Hindi)

  1. मूर्ति या चित्र:
    • पूजा के लिए भगवान की मूर्ति या चित्र आवश्यक होता है। यह मूर्ति या चित्र भगवान के रूप का प्रतीक होते हैं।
  2. पंचामृत:
    • दूध, दही, घी, शहद, और चीनी का मिश्रण (पंचामृत) भगवान के स्नान के लिए उपयोग होता है।
  3. पवित्र जल (गंगाजल):
    • पूजा में जल का महत्व है, विशेषकर गंगाजल का। यह भगवान के चित्र पर छिड़कने के लिए प्रयोग होता है।
  4. चंदन, कुमकुम, और हल्दी:
    • चंदन का लेप, कुमकुम और हल्दी का उपयोग भगवान के श्रृंगार में किया जाता है।
  5. चावल (अक्षत):
    • चावल को भगवान को अर्पित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह शुभता और समृद्धि का प्रतीक है।
  6. फूल और माला:
    • पूजा में भगवान को ताजे फूल और माला अर्पित की जाती है। यह भगवान के प्रति प्रेम और श्रद्धा का प्रतीक होता है।
  7. दीपक और धूपबत्ती:
    • पूजा के दौरान दीपक और धूपबत्तियाँ जलाकर वातावरण को पवित्र किया जाता है और भगवान का ध्यान किया जाता है।
  8. भोग सामग्री:
    • भगवान को अर्पित करने के लिए ताजे फल, मिठाई (लड्डू, पेड़ा, चंद्रकला), और पकवान तैयार करें।
  9. कपूर और रुई की बत्तियाँ:
    • कपूर का उपयोग पूजा के दौरान आरती में किया जाता है। कपूर जलने से वातावरण में शुद्धता आती है।
  10. कलश और नारियल:
  • पूजा में कलश रखना शुभ माना जाता है। नारियल भगवान को अर्पित करने के लिए प्रयोग होता है।
  1. पान के पत्ते:
  • पान के पत्तों का उपयोग कुछ पूजा विधियों में होता है, जैसे गणेश पूजा में पान और सुपारी का अर्पण।

महत्वपूर्ण बातें:

  • पूजा के दौरान ईमानदारी और श्रद्धा से भाग लें।
  • पूजा सामग्री को स्वच्छ रखें और उन्हें भगवान के सामने शुद्धता से अर्पित करें।
  • ध्यान रखें कि आपकी नीयत और उद्देश्य शुद्ध हो, ताकि भगवान का आशीर्वाद प्राप्त हो सके।

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