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भजन: “अच्युतम केशवम कृष्ण दामोदरम”

अच्युतम केशवम कृष्ण दामोदरम,
राम नारायणं श्रीमन माधवम।
गोविंदं गोकुलनाथं दामोदरम,
श्री कृष्ण शरणं प्रपद्ये।

चरणों में बसा है सुख, गुणों में समाया,
शिव शक्ति का रूप, मन में विराजा।
राजा रानी, गोपियां सब उनके रूप में,
कृष्ण जी का नाम नित्य हम गाते हैं।

अच्युतम केशवम कृष्ण दामोदरम,
राम नारायणं श्रीमन माधवम।
गोविंदं गोकुलनाथं दामोदरम,
श्री कृष्ण शरणं प्रपद्ये।

मुरली की आवाज़ सुनते हैं सब गोकुलवासी,
रासलीला में व्यस्त होकर वे सभी मुस्काते।
कान्हा की लीलाओं में हर दिल खो जाता है,
उनकी भक्ति में हर कोई रंगीला हो जाता है।

अच्युतम केशवम कृष्ण दामोदरम,
राम नारायणं श्रीमन माधवम।
गोविंदं गोकुलनाथं दामोदरम,
श्री कृष्ण शरणं प्रपद्ये।

सभी दुखों से छुटकारा मिलता है श्री कृष्ण की शरण में,
जो उन्हें सच्चे मन से पुकारे, वह न हारता है।
कृष्ण का नाम जीवन में शांति और सुख लाता है,
शरण में आने से सब कष्ट दूर हो जाते हैं।

अच्युतम केशवम कृष्ण दामोदरम,
राम नारायणं श्रीमन माधवम।
गोविंदं गोकुलनाथं दामोदरम,
श्री कृष्ण शरणं प्रपद्ये।

भजन का अर्थ: “अच्युतम केशवम कृष्ण दामोदरम”

मुखड़ा:

अच्युतम केशवम कृष्ण दामोदरम,
राम नारायणं श्रीमन माधवम।

  • इस पंक्ति में भगवान श्री कृष्ण के कई रूपों का उल्लेख किया गया है। “अच्युतम” का अर्थ है जो कभी असफल नहीं होते, “केशवम” का अर्थ है जिसके बाल बहुत सुंदर होते हैं, “कृष्ण” और “दामोदर” उनके नाम हैं, जो संसार के कष्टों को दूर करते हैं। “राम” और “नारायण” भी उनके अन्य नाम हैं, और “माधव” उनका एक अन्य रूप है। यह पंक्ति भगवान कृष्ण के महान रूपों का स्तवन करती है।

पहला पद:

गोविंदं गोकुलनाथं दामोदरम,
श्री कृष्ण शरणं प्रपद्ये।

  • यहाँ भगवान श्री कृष्ण को “गोविंद” (गोपियों के ह्रदय में निवास करने वाले), “गोकुलनाथ” (गोकुल के स्वामी) और “दामोदर” (जो अपनी माँ यशोदा के गले में बंधे हुए थे) के रूप में पूजा जा रहा है। “श्री कृष्ण शरणं प्रपद्ये” का मतलब है कि मैं भगवान श्री कृष्ण की शरण में जाता हूँ, और उनकी कृपा प्राप्त करने का आश्रय ग्रहण करता हूँ।

दूसरा पद:

चरणों में बसा है सुख, गुणों में समाया,
शिव शक्ति का रूप, मन में विराजा।

  • भगवान श्री कृष्ण के चरणों में सुख और उनके गुणों में अमृत समाया हुआ है। वे शिव और शक्ति का अद्वितीय रूप हैं, और उनके विचारों और गुणों का स्मरण करने से हमारे मन में शांति और सुख का वास होता है।

तीसरा पद:

राजा रानी, गोपियां सब उनके रूप में,
कृष्ण जी का नाम नित्य हम गाते हैं।

  • भगवान कृष्ण का रूप सभी में है – चाहे वे राजा-रानी हों या गोपियाँ। सभी भगवान कृष्ण के रूप में रंगी हुई हैं। हम कृष्ण के नाम का नित्य जाप करते हैं और उनके नाम में शांति, आनंद और प्रेम पाते हैं।

चौथा पद:

मुरली की आवाज़ सुनते हैं सब गोकुलवासी,
रासलीला में व्यस्त होकर वे सभी मुस्काते।
कान्हा की लीलाओं में हर दिल खो जाता है,
उनकी भक्ति में हर कोई रंगीला हो जाता है।

  • गोकुलवासी, जिनमें गोपी-गोपियाँ और अन्य लोग शामिल हैं, श्री कृष्ण की बांसुरी की मधुर ध्वनि सुनकर खुशी से झूमते हैं। भगवान कृष्ण की रासलीला और लीलाओं में उनका मन मगन रहता है और वे भगवान की भक्ति में पूरी तरह खो जाते हैं।

पाँचवां पद:

सभी दुखों से छुटकारा मिलता है श्री कृष्ण की शरण में,
जो उन्हें सच्चे मन से पुकारे, वह न हारता है।
कृष्ण का नाम जीवन में शांति और सुख लाता है,
शरण में आने से सब कष्ट दूर हो जाते हैं।

  • यह पंक्ति बताती है कि भगवान श्री कृष्ण की शरण में आने से सभी दुखों से मुक्ति मिलती है। जो भक्त सच्चे मन से श्री कृष्ण को पुकारता है, वह कभी भी हारता नहीं है। श्री कृष्ण का नाम जीवन में शांति, सुख और समृद्धि लाता है, और उनके चरणों में शरण लेने से सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं।

सारांश:

यह भजन भगवान श्री कृष्ण के दिव्य रूपों और उनकी लीलाओं का सुंदर वर्णन करता है। यह हमें कृष्ण के नाम में शक्ति और भक्ति का अहसास कराता है और उनके चरणों में शरण लेने का महत्व बताता है। भगवान श्री कृष्ण की शरण में आने से जीवन के सभी दुखों का नाश होता है और प्रेम एवं शांति का अनुभव होता है।

Meaning of the Bhajan: “Achyutam Keshavam Krishna Damodaram”

Chorus:

Achyutam Keshavam Krishna Damodaram,
Ram Narayanam Shreemann Madhavam.

  • This line praises Lord Krishna by mentioning several of His divine names. “Achyutam” refers to the one who never fails, “Keshavam” refers to the one with beautiful locks of hair, “Krishna” and “Damodaram” are His beloved names, signifying the one who alleviates the world’s suffering. “Ram” and “Narayan” are other forms of Lord Krishna, and “Madhav” is another name signifying His nature as the source of everything. This line glorifies Lord Krishna in His various forms.

Verse 1:

Govindam Gokulnatham Damodaram,
Shree Krishna Sharanam Prapadye.

  • In this verse, Lord Krishna is addressed as “Govind” (the one who resides in the hearts of the Gopis), “Gokulnath” (the Lord of Gokul), and “Damodaram” (the one who was tied by His mother Yashoda). “Shree Krishna Sharanam Prapadye” means “I surrender to Lord Krishna,” seeking His divine protection and grace.

Verse 2:

Charaon Mein Basa Hai Sukh, Guno Mein Samaya,
Shiv Shakti Ka Roop, Man Mein Viraja.

  • The Lord’s feet are the source of eternal happiness, and His divine qualities are beyond measure. He is a manifestation of both Lord Shiva and Goddess Shakti. By meditating on His qualities, peace and joy fill the heart.

Verse 3:

Raja Rani, Gopiyan Sab Unke Roop Mein,
Krishna Ji Ka Naam Nitya Hum Gaate Hain.

  • This verse describes how everyone, whether kings, queens, or the Gopis, reflects Lord Krishna’s divine nature. We chant His name daily, as His name is a source of peace, love, and spiritual connection.

Verse 4:

Murli Ki Awaaz Sunte Hain Sab Gokulwasi,
Raasleela Mein Vyast Hokar Ve Sabhi Muskaate.
Kanha Ki Leelaon Mein Har Dil Kho Jata Hai,
Unki Bhakti Mein Har Koi Rangeela Ho Jata Hai.

  • The residents of Gokul, including the Gopis and others, listen to the sweet sound of Krishna’s flute, and they are immersed in His divine Raasleela. They smile and become lost in the joy of His divine pastimes. By engaging in Krishna’s devotion, their hearts are filled with bliss, and they are colored by His love.

Verse 5:

Sabhi Dukhon Se Chhutkara Milta Hai Shri Krishna Ki Sharan Mein,
Jo Unhein Sachche Mann Se Pukaare, Vah Na Haarta Hai.
Krishna Ka Naam Jeevan Mein Shanti Aur Sukh Lata Hai,
Sharan Mein Aane Se Sab Kasht Door Ho Jaate Hain.

  • This verse highlights the power of surrendering to Lord Krishna. When a devotee sincerely calls upon Krishna, they are never defeated. Chanting His name brings peace, happiness, and spiritual fulfillment. Surrendering to His divine feet removes all suffering and grants liberation.

Summary:

This bhajan praises Lord Krishna’s various divine forms and speaks of the bliss and peace that come from chanting His name and surrendering to His will. It emphasizes the importance of Krishna’s love and devotion in overcoming life’s struggles, and the joy that comes from connecting with Him through prayer, bhakti (devotion), and meditation. His name brings tranquility and ultimate happiness to those who truly worship Him.

पूजा विधि (Puja Vidhi in Hindi)

पूजा की तैयारी:

  1. स्वच्छता और स्नान:
    • पूजा करने से पहले शारीरिक स्वच्छता का ध्यान रखें। स्नान करके स्वच्छ और साफ कपड़े पहनें।
    • पूजा स्थल को स्वच्छ और पवित्र करें।
  2. पूजा स्थान की स्थापना:
    • भगवान की मूर्ति या चित्र को पूजा स्थल पर रखें।
    • एक चौकी पर सफेद या लाल कपड़ा बिछाकर भगवान को स्थापित करें।
  3. संकल्प और ध्यान:
    • भगवान के दर्शन का संकल्प लें और उन्हें अपने हृदय में समाहित करें।
    • संकल्प करते हुए, “हे भगवान! आपकी पूजा करता/करती हूँ, कृपा करके मेरी पूजा स्वीकार करें।” इस प्रकार मन में ध्यान लगाकर पूजा की शुरुआत करें।

पूजा विधि के चरण:

  1. आवहन (आह्वान):
    • भगवान को पवित्र जल से आमंत्रित करें।
    • भगवान के प्रिय मंत्रों का जाप करें, जैसे “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” (भगवान श्री कृष्ण के लिए)।
  2. अभिषेक (स्नान):
    • भगवान को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और चीनी) से स्नान कराएं।
    • फिर गंगाजल या स्वच्छ जल से स्नान कराकर उन्हें शुद्ध करें।
  3. श्रृंगार (सजावट):
    • भगवान को चंदन, अक्षत (चावल), फूल और माला अर्पित करें।
    • यदि संभव हो तो भगवान को नए वस्त्र भी अर्पित करें।
  4. धूप, दीप और कपूर अर्पित करें:
    • भगवान को धूप और दीप अर्पित करें।
    • दीपक की लौ के सामने बैठकर भगवान के नाम का जप करें और भगवान के चरणों में दीपक रखें।
    • कपूर से आरती करें।
  5. नैवेद्य (भोग) अर्पण करें:
    • भगवान को ताजे फल, मिठाई या पकवान अर्पित करें।
    • इससे भगवान को प्रसन्न करने का प्रयास करें।
  6. आरती:
    • भगवान की आरती गाएं।
    • आरती का समय होते हुए दीपक और कपूर की जोड़ी से थाली घुमाएं।
  7. प्रदक्षिणा (परिक्रमा):
    • भगवान के चारों ओर तीन बार परिक्रमा करें।
    • परिक्रमा करते समय भगवान के चरणों में प्रणाम करें।
  8. प्रसाद वितरण:
    • पूजा के अंत में भगवान द्वारा दिए गए प्रसाद को परिवार और उपस्थित लोगों में वितरित करें।

पूजा सामग्री (Puja Samagri in Hindi)

  1. मूर्ति या चित्र:
    • पूजा के लिए भगवान की मूर्ति या चित्र होना चाहिए।
  2. आसन और कपड़ा:
    • पूजा स्थल पर सफेद या लाल कपड़ा बिछाएं और पूजा के लिए एक आसन रखें।
  3. पंचामृत:
    • दूध, दही, घी, शहद, और चीनी का मिश्रण (पंचामृत)।
  4. पवित्र जल:
    • गंगाजल या स्वच्छ जल।
  5. सजावट सामग्री:
    • चंदन, कुमकुम, हल्दी, अक्षत (चावल), फूल, और माला।
  6. दीपक और धूपबत्ती:
    • दीपक (तेल या घी का दीपक), रुई की बत्ती, और धूपबत्ती।
  7. भोग सामग्री:
    • ताजे फल, मिठाई (लड्डू, पेड़ा, चंद्रकला), और पकवान।
  8. अन्य सामग्री:
    • कपूर, तुलसी के पत्ते, कलश, नारियल, और शंख।
    • पूजा थाली और पान के पत्ते।

महत्वपूर्ण बातें:

  • पूजा में ईमानदारी और श्रद्धा से भाग लें।
  • पूजा सामग्री को स्वच्छ रखें और उन्हें भगवान के समक्ष शुद्धता से अर्पित करें।
  • पूजा के दौरान ध्यान रखें कि आपकी नीयत और उद्देश्य शुद्ध हो।

यदि आपको किसी विशेष पूजा विधि या सामग्री की जानकारी चाहिए तो बताएं!

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