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भजन: “मुरलीधर श्याम सुंदर”

मुरलीधर श्याम सुंदर, सच्चे प्रेम के अवतार,
गोपियाँ करें नृत्य, बजी मुरली के तार।

मुरलीधर श्याम सुंदर, नंदलाल के प्यारे,
यशोमती मइया के लाड़ले, राधे राधे के सहारे।

मुरलीधर श्याम सुंदर, मनमोहक बांसुरी वाले,
कान्हा के गाने सुनकर, सब भावों में खो जाते।

मुरलीधर श्याम सुंदर, सच्चे प्रेम के अवतार,
गोपियाँ करें नृत्य, बजी मुरली के तार।

श्री कृष्ण के दर्शन से दिल हो जाता शांत,
स्मरण करते ही बुराई का हर अंधेरा हो जाता छाँट।

मुरलीधर श्याम सुंदर, रासलीला के नायक,
हर दिल में बसे हैं कृष्ण, जैसे उनका हो कोई साथी।

मुरलीधर श्याम सुंदर, महिमा अपार है तुम्हारी,
कृष्ण के नाम से दिल में फैलती है शांति हमारी।

“मुरलीधर श्याम सुंदर” भजन का अर्थ

**1. मुरलीधर श्याम सुंदर, सच्चे प्रेम के अवतार,

गोपियाँ करें नृत्य, बजी मुरली के तार।**

  • इस पंक्ति में भगवान श्री कृष्ण का वर्णन किया गया है, जिन्हें “मुरलीधर” और “श्याम सुंदर” कहा जाता है। मुरलीधर का अर्थ है वह जो मुरली (बांसुरी) बजाता है और श्याम सुंदर का अर्थ है कृष्ण का सांवला रूप जो अत्यंत सुंदर और आकर्षक है। यहाँ यह दर्शाया गया है कि कृष्ण की मुरली की ध्वनि सुनकर गोपियाँ नृत्य करती हैं, और मुरली की ध्वनि हर दिल में आनंद और प्रेम की लहर पैदा करती है।

**2. मुरलीधर श्याम सुंदर, नंदलाल के प्यारे,

यशोमती मइया के लाड़ले, राधे राधे के सहारे।**

  • यहाँ भगवान कृष्ण को “नंदलाल” (नंद बाबा के पुत्र) और “यशोमती मइया के लाड़ले” (यशोदा माता के प्यारे पुत्र) के रूप में पूजा जाता है। कृष्ण की विशेषता यह है कि वे राधा के प्रेम से जुड़े हुए हैं और राधे राधे का जाप करते हुए भक्त उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

**3. मुरलीधर श्याम सुंदर, मनमोहक बांसुरी वाले,

कान्हा के गाने सुनकर, सब भावों में खो जाते।**

  • इस पंक्ति में कृष्ण के बांसुरी बजाने की दिव्यता का वर्णन किया गया है। उनकी बांसुरी की मधुर ध्वनि सुनकर भक्त और गोपियाँ अपने भावों में खो जाते हैं। कृष्ण की बांसुरी सुनते ही सभी संसार की चिंता भूल जाते हैं और केवल उनके प्रेम में रत हो जाते हैं।

**4. मुरलीधर श्याम सुंदर, सच्चे प्रेम के अवतार,

गोपियाँ करें नृत्य, बजी मुरली के तार।**

  • यह पंक्ति पहले की पंक्तियों का पुनरावलोकन है, जिसमें कृष्ण के प्रेम और उनकी मुरली की ध्वनि से गोपियाँ नृत्य करती हैं। कृष्ण के प्रेम में डूबकर वे हर पल उनके साथ रहने की कामना करती हैं।

**5. श्री कृष्ण के दर्शन से दिल हो जाता शांत,

स्मरण करते ही बुराई का हर अंधेरा हो जाता छाँट।**

  • इस पंक्ति में यह कहा गया है कि भगवान श्री कृष्ण के दर्शन करने से आत्मा में शांति आ जाती है। उनका नाम लेते ही मन की सभी नकारात्मकता और बुराई दूर हो जाती है, और जीवन में सुख और शांति का वास होता है।

**6. मुरलीधर श्याम सुंदर, रासलीला के नायक,

हर दिल में बसे हैं कृष्ण, जैसे उनका हो कोई साथी।**

  • कृष्ण रासलीला के प्रमुख पात्र हैं, और यह पंक्ति उनके इस रूप को दर्शाती है। रासलीला में वे गोपियों के साथ नृत्य करते हुए प्रेम और भक्ति का संदेश देते हैं। वे हर दिल में बसी प्रेम की भावना के रूप में विद्यमान रहते हैं।

**7. मुरलीधर श्याम सुंदर, महिमा अपार है तुम्हारी,

कृष्ण के नाम से दिल में फैलती है शांति हमारी।**

  • यह पंक्ति भगवान कृष्ण की अपार महिमा और उनके नाम के जप से होने वाली शांति को व्यक्त करती है। कृष्ण का नाम लेने से व्यक्ति के मन में शांति और संतुलन आता है।

सारांश:

इस भजन में भगवान श्री कृष्ण के मुरलीधर (बांसुरी वाले) रूप का वर्णन किया गया है। भजन में कृष्ण के प्रेम, उनकी मुरली की मधुर ध्वनि, रासलीला, और उनके नाम के जाप से होने वाली शांति को व्यक्त किया गया है। यह भजन भक्तों को कृष्ण के साथ आध्यात्मिक प्रेम और शांति की ओर मार्गदर्शन करता है।

 

Meaning of the Bhajan: “Muralidhar Shyam Sundar”

**1. Muralidhar Shyam Sundar, Sacche Prem Ke Avatar,

Gopiyan Kare Nritya, Baji Mural Ke Taar.**

  • In this line, Lord Krishna is described as “Muralidhar” (the one who holds the flute) and “Shyam Sundar” (the dark and beautiful one). Krishna is portrayed as the embodiment of true love. The sound of his flute compels the Gopis (cowherd girls) to dance, symbolizing the divine power of his music that enchants and fills hearts with love.

**2. Muralidhar Shyam Sundar, Nandlal Ke Pyare,

Yashomati Maiya Ke Ladle, Radhe Radhe Ke Sahara.**

  • Here, Krishna is addressed as “Nandlal” (the beloved son of Nand Baba) and “Yashomati Maiya Ke Ladle” (the dear son of Yashoda). The verse acknowledges Krishna’s divine birth and his connection with Radha. It emphasizes the importance of chanting “Radhe Radhe” for receiving divine blessings from Lord Krishna.

**3. Muralidhar Shyam Sundar, Manmohak Bansuri Wale,

Kanha Ke Gane Sunkar, Sab Bhavon Mein Kho Jate.**

  • In this line, Krishna is depicted as the one who plays the enchanting flute (“Bansuri”). The sound of his flute mesmerizes all who listen, making them forget everything and lose themselves in divine love and devotion to him.

**4. Muralidhar Shyam Sundar, Sacche Prem Ke Avatar,

Gopiyan Kare Nritya, Baji Mural Ke Taar.**

  • This line repeats the earlier verse, emphasizing the divine dance of the Gopis and the power of Krishna’s flute that calls them to him. It highlights the transcendental love and joy that Krishna spreads through his flute.

**5. Shri Krishna Ke Darshan Se Dil Ho Jata Shant,

Smaran Karte Hi Burai Ka Har Andhera Ho Jata Chhat.**

  • This verse describes the peace that comes from experiencing the darshan (vision) of Lord Krishna. It conveys that by remembering Krishna and meditating upon him, all negativity and darkness in the mind are dispelled, bringing peace and tranquility.

**6. Muralidhar Shyam Sundar, Raasleela Ke Nayak,

Har Dil Mein Base Hain Krishna, Jaise Unka Ho Koi Saathi.**

  • Krishna, the central figure of the Raasleela (divine dance), is portrayed here as the beloved of all hearts. His divine dance with the Gopis is a symbol of divine love. Krishna is present in every heart, like a beloved companion, and his presence is felt through his love and divine play.

**7. Muralidhar Shyam Sundar, Mahima Apar Hai Tumhari,

Krishna Ke Naam Se Dil Mein Phailti Hai Shanti Hamari.**

  • This line speaks about the immense glory of Lord Krishna. It describes how chanting his name brings peace and serenity to the heart. The name of Krishna is a source of comfort, peace, and spiritual solace to all his devotees.

Summary:

This bhajan praises Lord Krishna, focusing on his enchanting flute (mural), his playful nature, and his divine love. The verses depict his beauty as “Shyam Sundar,” his connection with Radha, and his role in the Raasleela. It emphasizes the power of Krishna’s music and name to fill hearts with divine love and bring peace to the mind. By meditating on Krishna and chanting his name, one can experience divine tranquility and bliss.

पूजा विधि (Puja Vidhi in Hindi)

1. पूजा की तैयारी:

  • स्वच्छता और स्नान: पूजा करने से पहले स्वच्छता का ध्यान रखें। स्नान करके शुद्ध कपड़े पहनें और पूजा स्थल को भी स्वच्छ करें।
  • पूजा स्थान की स्थापना: पूजा के लिए एक शांत और स्वच्छ स्थान चुनें। भगवान की मूर्ति या चित्र को एक चौकी पर रखें और उसे अच्छे से शुद्ध करके पूजा के लिए तैयार करें।

2. पूजा विधि के चरण:

  1. संकल्प (Intention):
    • पूजा शुरू करने से पहले एक संकल्प लें कि आप पूरी श्रद्धा और भाव से पूजा कर रहे हैं। मन में यह भावना रखें कि भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पूजा कर रहे हैं।
  2. आवहन (Invocation):
    • भगवान का आह्वान करें, अर्थात भगवान को अपनी पूजा में आमंत्रित करें। भगवान के चित्र या मूर्ति पर गंगाजल छिड़कें और “ॐ श्री गणेशाय नमः” या “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” जैसे मंत्रों का जाप करें।
  3. अभिषेक (Offering of Water):
    • भगवान को जल, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और चीनी का मिश्रण) से स्नान कराएं। फिर उन्हें स्वच्छ जल से स्नान कराकर शुद्ध करें।
  4. श्रृंगार (Decoration):
    • भगवान को चंदन, कुमकुम, अक्षत (चावल), फूल, माला आदि अर्पित करें। फिर उन्हें नए वस्त्र पहनाएं, यदि संभव हो।
  5. धूप और दीपक अर्पण (Incense and Light Offerings):
    • भगवान के समक्ष धूपबत्ती और दीपक जलाएं। इनका उपयोग वातावरण को शुद्ध करने और भगवान का ध्यान करने के लिए किया जाता है।
  6. नैवेद्य (Food Offering):
    • भगवान को ताजे फल, मिठाई, लड्डू, पेड़ा आदि अर्पित करें। भगवान को यह भोग अर्पित करके उनके आशीर्वाद प्राप्त करें।
  7. आरती (Aarti):
    • पूजा के बाद भगवान की आरती गाएं। दीपक के साथ आरती करते समय भगवान के चरणों में प्रार्थना करें और भगवान के नाम का जाप करें।
  8. प्रदक्षिणा (Circumambulation):
    • भगवान के चारों ओर तीन बार परिक्रमा करें। परिक्रमा करते समय भगवान के महिमा का ध्यान करें।
  9. प्रसाद वितरण (Distribution of Prasad):
    • पूजा के बाद भगवान के प्रसाद को परिवार के सभी सदस्यों और उपस्थित लोगों में वितरित करें। यह प्रसाद भगवान का आशीर्वाद है।

पूजा सामग्री (Puja Samagri in Hindi)

  1. मूर्ति या चित्र (Idol or Picture of God):
    • पूजा के लिए भगवान की मूर्ति या चित्र आवश्यक है। यह पूजा में भगवान के रूप का प्रतीक होता है।
  2. पंचामृत (Panchamrit):
    • पंचामृत में दूध, दही, घी, शहद और चीनी का मिश्रण होता है, जो भगवान के अभिषेक (स्नान) के लिए उपयोग होता है।
  3. गंगाजल (Ganga Jal):
    • पूजा में गंगाजल का महत्व है। इसे भगवान के चित्र या मूर्ति पर छिड़कने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
  4. चंदन, कुमकुम, और हल्दी (Chandan, Kumkum, and Haldi):
    • भगवान के श्रृंगार के लिए चंदन का लेप, कुमकुम और हल्दी का उपयोग किया जाता है।
  5. चावल (अक्षत) (Rice/ Akshat):
    • पूजा में चावल का उपयोग भगवान को अर्पित करने के लिए किया जाता है। यह शुभता का प्रतीक होता है।
  6. फूल और माला (Flowers and Garland):
    • भगवान को ताजे फूल और माला अर्पित की जाती है। यह उनके प्रति प्रेम और श्रद्धा का प्रतीक होते हैं।
  7. दीपक और धूपबत्ती (Lamp and Incense Sticks):
    • पूजा के दौरान दीपक और धूपबत्तियाँ जलाना जरूरी होता है। यह वातावरण को शुद्ध करते हैं और भगवान का ध्यान केंद्रित करने में मदद करते हैं।
  8. भोग सामग्री (Food Offering):
    • भगवान को अर्पित करने के लिए ताजे फल, मिठाई, लड्डू, पेड़ा आदि तैयार करें।
  9. कपूर (Camphor):
    • पूजा में कपूर का उपयोग किया जाता है, विशेषकर आरती के दौरान। कपूर की ध्वनि से वातावरण में शांति और दिव्यता का संचार होता है।
  10. कलश और नारियल (Kalash and Coconut):
  • पूजा में कलश रखना शुभ माना जाता है। नारियल भगवान को अर्पित करने के लिए प्रयोग होता है और यह समृद्धि और शांति का प्रतीक होता है।

महत्वपूर्ण बातें:

  • पूजा करते समय पूरी श्रद्धा और शांति से मनोयोगपूर्वक ध्यान लगाएं।
  • पूजा सामग्री को स्वच्छ रखें और भगवान को अर्पित करते समय पूरी श्रद्धा और भक्ति रखें।
  • पूजा स्थल को हमेशा साफ और पवित्र रखें ताकि भगवान का आशीर्वाद प्राप्त हो सके।

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