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॥ श्रीकृष्ण चालीसा ॥

दोहा:

श्रीगुरु चरण सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि॥

नन्द के आनन्द नन्दलाल,
जय जय श्रीकृष्ण गिरिधर गोपाल॥

चालीसा:

जय जय यदुनन्दन जय जय जगवंदन।
जय वसुदेवदेवकीनंदन॥

जय जय चतुर्भुज धारी, जय वैकुण्ठ विहारी।
जय पीतांबरधारी, जय गोप-जन प्यारी॥

जय यशोदा किशोरी, जय गोवर्धन धारी।
जय मथुरा के वासी, जय गोकुल के रासी॥

जय राधे के प्यारे, जय कुंज बिहारी।
जय नटवर के धारी, जय मुरली बजारी॥

गगन सम अंग कांति, बलदन अनूपा।
कनक मय पीत बसन, कटि किंकिणी झंपा॥

श्रीवत्स कौस्तुभ शोभित निधानं।
कस्तूरी तिलकं ललाटे विराजं॥

वेणु रवं मधुरं वदने मुरारी।
रूप बड़ो चितचोर राधे बिहारी॥

चरण कमल बन्दौ हरि राई।
जेहि पर कृपा करहु श्रीरघुराई॥

जय गिरिधर गोपाल, हरि जय जय नन्दलाल।
संकट हरौ कृष्ण बनजाऊं मैं नंदलाल॥

जो कोई श्रीकृष्ण चालीसा गावे।
भवसागर के संकट से छूटि जावे॥

🙏 ॥ श्रीकृष्ण चालीसा की जय ॥ 🙏

 

॥ श्रीकृष्ण चालीसा का अर्थ ॥

श्रीकृष्ण चालीसा में भगवान श्रीकृष्ण के दिव्य स्वरूप, उनके अद्भुत बाल लीलाओं और भक्तों पर उनकी कृपा का वर्णन किया गया है। आइए इसका हिन्दी अर्थ जानते हैं:

दोहा का अर्थ:

“श्रीगुरु चरण सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि॥”

👉 गुरु के चरणों की धूल से अपने मन रूपी दर्पण को स्वच्छ करके मैं श्रीकृष्ण के पावन और निर्मल गुणों का वर्णन करता हूँ, जो धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष—चारों फलों को देने वाले हैं।

चालीसा के दोहे और उनके अर्थ:

1️⃣ जय जय यदुनन्दन, जय जय जगवंदन।
जय वसुदेवदेवकीनंदन॥

👉 हे यदुकुल के नंदन, आपकी जय हो! हे समस्त जगत के वंदनीय प्रभु, आपकी जय हो! हे वसुदेव और देवकी के पुत्र, आपकी जय हो!

2️⃣ जय जय चतुर्भुज धारी, जय वैकुण्ठ विहारी।
जय पीतांबरधारी, जय गोप-जन प्यारी॥

👉 हे चार भुजाओं वाले श्रीकृष्ण, आपकी जय हो! हे वैकुंठ धाम में निवास करने वाले भगवान, आपकी जय हो! हे पीतांबर (पीले वस्त्र) धारण करने वाले प्रभु, आपकी जय हो! हे गोकुल के प्रिय, आपकी जय हो!

3️⃣ जय यशोदा किशोरी, जय गोवर्धन धारी।
जय मथुरा के वासी, जय गोकुल के रासी॥

👉 हे यशोदा मैया के पुत्र, आपकी जय हो! हे गोवर्धन पर्वत को उठाने वाले, आपकी जय हो! हे मथुरा में जन्म लेने वाले, आपकी जय हो! हे गोकुल में बाललीलाएँ करने वाले, आपकी जय हो!

4️⃣ जय राधे के प्यारे, जय कुंज बिहारी।
जय नटवर के धारी, जय मुरली बजारी॥

👉 हे राधा रानी के प्रियतम, आपकी जय हो! हे वृंदावन के कुंजों में विहार करने वाले, आपकी जय हो! हे सुंदर वेशभूषा धारण करने वाले, आपकी जय हो! हे मधुर बंसी बजाने वाले श्रीकृष्ण, आपकी जय हो!

5️⃣ गगन सम अंग कांति, बलदन अनूपा।
कनक मय पीत बसन, कटि किंकिणी झंपा॥

👉 आपका शरीर आकाश के समान विशाल और तेजस्वी है, और आपकी बलशाली काया अनुपम है। आप स्वर्ण के समान चमकते हुए पीले वस्त्र धारण करते हैं और आपकी कमर में करधनी झनक रही है।

6️⃣ श्रीवत्स कौस्तुभ शोभित निधानं।
कस्तूरी तिलकं ललाटे विराजं॥

👉 आपके वक्षस्थल पर श्रीवत्स का चिह्न सुशोभित है और कौस्तुभ मणि विराजमान है। आपके ललाट पर चमकता हुआ कस्तूरी तिलक अत्यंत सुंदर लगता है।

7️⃣ वेणु रवं मधुरं वदने मुरारी।
रूप बड़ो चितचोर राधे बिहारी॥

👉 आपके मुख से मधुर बांसुरी की ध्वनि गूंजती रहती है, हे मुरारी! आपका रूप इतना मोहक है कि वह सबके चित्त को चुरा लेता है, हे राधा के बिहारी!

8️⃣ चरण कमल बन्दौ हरि राई।
जेहि पर कृपा करहु श्रीरघुराई॥

👉 हे श्रीकृष्ण, मैं आपके कमल जैसे चरणों की वंदना करता हूँ। आपकी कृपा जिस पर होती है, वह भवसागर (मोह-माया) से पार हो जाता है।

9️⃣ जय गिरिधर गोपाल, हरि जय जय नन्दलाल।
संकट हरौ कृष्ण बनजाऊं मैं नंदलाल॥

👉 हे गिरिधर गोपाल, हे श्रीहरि, हे नंदलाल, आपकी जय हो! कृपया मेरे सभी संकटों का नाश करें, मैं आपका दास बनकर रहना चाहता हूँ।

🔟 जो कोई श्रीकृष्ण चालीसा गावे।
भवसागर के संकट से छूटि जावे॥

👉 जो भी भक्त श्रीकृष्ण चालीसा का पाठ करता है, वह संसार रूपी भवसागर के संकटों से मुक्त हो जाता है और श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त करता है।

🙏 “श्रीकृष्ण चालीसा” का यह अर्थ भक्तों को भगवान श्रीकृष्ण की महिमा को समझने में मदद करता है और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने का सरल मार्ग दिखाता है।

✨ “हरे कृष्ण! हरे राम!” 🙏🚩

 

॥ Meaning of Shri Krishna Chalisa in English ॥

 

Meaning of Doha:

“Shri Guru Charan Saroj Raj Nij Manu Mukuru Sudhari।
Barnau Raghubar Bimal Jasu Jo Dayaku Phal Chari॥”

 

Meaning of Chalisa Verses:

1️⃣ “Jai Jai Yadunandan, Jai Jai Jagvandan।
Jai Vasudev Devaki Nandan॥”

👉 Glory to the son of the Yadu dynasty! Glory to the one worshiped by the entire world! Glory to the divine son of Vasudeva and Devaki!

2️⃣ “Jai Jai Chaturbhuj Dhari, Jai Vaikunth Vihari।
Jai Peetambar Dhari, Jai Gop-Jan Pyari॥”

👉 Glory to Lord Krishna, who assumes the four-armed form! Glory to the one who resides in Vaikuntha! Glory to the wearer of yellow garments! Glory to the one dearly loved by the people of Gokul!

3️⃣ “Jai Yashoda Kishori, Jai Govardhan Dhari।
Jai Mathura Ke Wasi, Jai Gokul Ke Rasi॥”

👉 Glory to the son of Mother Yashoda! Glory to the lifter of Govardhan Hill! Glory to the Lord who was born in Mathura! Glory to the one who performed childhood pastimes in Gokul!

4️⃣ “Jai Radhe Ke Pyare, Jai Kunj Bihari।
Jai Natwar Ke Dhari, Jai Murli Bajari॥”

👉 Glory to the beloved of Radha! Glory to the divine wanderer of Vrindavan groves! Glory to the one adorned as a celestial dancer! Glory to the enchanting flute player, Lord Krishna!

5️⃣ “Gagan Sam Ang Kanti, Baladan Anupa।
Kanak May Peet Basan, Kati Kinkini Jhumpa॥”

👉 Your body shines like the vast sky, and your strength is incomparable. You wear golden-yellow garments, and your waist is adorned with a jingling girdle.

6️⃣ “Shrivats Kaustubh Shobhit Nidhanam।
Kasturi Tilakam Lalate Virajam॥”

👉 Your chest is decorated with the Shrivatsa mark, and the divine Kaustubha gem shines brightly. A fragrant musk tilak (mark) adorns your forehead.

7️⃣ “Venu Ravam Madhuram Vadane Murari।
Roop Bado Chitchor Radhe Bihari॥”

👉 The sweet sound of your flute flows from your lips, O Murari! Your mesmerizing beauty captivates all hearts, O Lord of Radha!

8️⃣ “Charan Kamal Bandau Hari Rai।
Jehi Par Kripa Karahu Shri Raghurai॥”

👉 I bow to the lotus feet of Lord Krishna. Whoever receives his grace, attains liberation from the worldly sufferings.

9️⃣ “Jai Giridhar Gopal, Hari Jai Jai Nandalal।
Sankat Haro Krishna Banjau Main Nandalal॥”

👉 Glory to Lord Krishna, the lifter of Govardhan Hill! Glory to the son of Nanda! Please remove my difficulties, O Krishna, I surrender myself to you!

🔟 “Jo Koi Shri Krishna Chalisa Gave।
Bhavsagar Ke Sankat Se Chhuti Jave॥”

👉 Whoever recites this Krishna Chalisa with devotion shall be freed from the sufferings of this material world and will receive Lord Krishna’s divine blessings.

🙏 “Shri Krishna Chalisa” guides devotees toward the path of devotion, love, and ultimate liberation through the grace of Lord Krishna.

✨ “Hare Krishna! Hare Rama!” 🙏🚩

 

॥ श्रीकृष्ण पूजन विधि एवं सामग्री ॥

भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और भक्ति की प्राप्ति होती है। यहाँ श्रीकृष्ण पूजन विधि और पूजा सामग्री (Pooja Vidhi & Samagri) का संपूर्ण विवरण दिया गया है।

🔹 श्रीकृष्ण पूजा के लिए आवश्यक सामग्री (Pooja Samagri):

  1. शुद्ध जल – कलश में भरने के लिए
  2. गंगाजल – स्नान और शुद्धिकरण के लिए
  3. पंचामृत – (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर)
  4. तुलसी पत्र – श्रीकृष्ण की पूजा में अति आवश्यक
  5. फूल (विशेष रूप से पीले और सफेद)
  6. फलों का भोग (केला, आम, अनार आदि)
  7. माखन-मिश्री – श्रीकृष्ण का प्रिय भोग
  8. मौली (कलावा) एवं अक्षत (चावल)
  9. सिंदूर एवं चंदन
  10. धूप, दीप, कपूर एवं अगरबत्ती
  11. रुई की बाती एवं शुद्ध घी का दीपक
  12. पंचगव्य (गाय का दूध, दही, घी, गोमूत्र और गोबर)
  13. गोपचंदन (यदि उपलब्ध हो)
  14. शंख एवं घंटी
  15. गुलाल एवं रोली
  16. भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र
  17. श्रीकृष्ण चालीसा, आरती और मंत्रों की पुस्तक
  18. भोग के लिए मिठाइयाँ एवं पंजीरी (विशेष रूप से जन्माष्टमी पर)

🔹 श्रीकृष्ण पूजन विधि (Pooja Vidhi):

1️⃣ संकल्प (Resolution)

👉 सबसे पहले, स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
👉 भगवान श्रीकृष्ण के समक्ष हाथ जोड़कर संकल्प लें कि आप यह पूजा श्रद्धा एवं भक्ति से करेंगे।
👉 “ॐ केशवाय नमः” मंत्र का उच्चारण करें।

2️⃣ आसन शुद्धि (Sanctifying the Place)

👉 पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
👉 एक स्वच्छ पीले वस्त्र पर श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।

3️⃣ दीप प्रज्वलन (Lighting the Lamp)

👉 दीपक जलाएं और घंटी बजाकर भगवान का आह्वान करें।

4️⃣ जल एवं पंचामृत स्नान (Bathing the Idol)

👉 सबसे पहले भगवान को शुद्ध जल से स्नान कराएं।
👉 फिर पंचामृत से अभिषेक करें और पुनः शुद्ध जल से स्नान कराएं।
👉 इसके बाद भगवान को सुंदर वस्त्र एवं आभूषण पहनाएं।

5️⃣ पूजा सामग्री अर्पण (Offering Pooja Items)

👉 चंदन, रोली, और अक्षत भगवान के चरणों में अर्पित करें।
👉 तुलसी पत्र श्रीकृष्ण को विशेष रूप से अर्पित करें, क्योंकि यह उन्हें अत्यधिक प्रिय है।
👉 फूलों की माला एवं सुगंधित पुष्प अर्पित करें।

6️⃣ भोग अर्पण (Offering Bhog)

👉 भगवान श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री, फल, मिठाइयाँ और पंजीरी का भोग लगाएं।
👉 भोग लगाते समय निम्न मंत्र का जाप करें:
“ॐ भगवते वासुदेवाय नमः”

7️⃣ धूप-दीप प्रज्वलन एवं मंत्र जप (Incense & Mantra Chanting)

👉 धूप और अगरबत्ती जलाकर पूरे घर में घुमाएं।
👉 भगवान श्रीकृष्ण के मंत्रों का जाप करें:
“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” (108 बार जप करें)
“कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।
प्रणत: क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः॥”

8️⃣ श्रीकृष्ण चालीसा और आरती (Chanting Chalisa & Aarti)

👉 श्रीकृष्ण चालीसा पढ़ें और भगवान की महिमा का गुणगान करें।
👉 इसके बाद, भगवान की आरती करें:
“आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की।”

9️⃣ प्रसाद वितरण (Distributing Prasad)

👉 पूजा समाप्त होने के बाद, प्रसाद को भक्तों में वितरित करें।
👉 खुद भी भगवान के चरणों से लगे प्रसाद को ग्रहण करें।

🔟 परिक्रमा और प्रार्थना (Circumambulation & Prayer)

👉 श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र की तीन बार परिक्रमा करें।
👉 अंत में, भगवान से अपने सुख, शांति, और मोक्ष के लिए प्रार्थना करें।

💡 विशेष टिप्स (Special Tips for Krishna Puja)

✅ भगवान श्रीकृष्ण की पूजा में तुलसी पत्र अवश्य अर्पित करें, बिना तुलसी के भोग स्वीकार नहीं किया जाता।
✅ श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री और पंजीरी का भोग अर्पण करें, क्योंकि यह उनके प्रिय व्यंजन हैं।
✅ श्रीकृष्ण के मंत्रों का 108 बार जाप करें, इससे मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं।
✅ कृष्ण जन्माष्टमी पर रात्रि 12 बजे श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाएं और विशेष रूप से बाल गोपाल का पूजन करें।

🙏 श्रीकृष्ण पूजा का यह संपूर्ण विधि-विधान आपकी भक्ति को बढ़ाएगा और भगवान श्रीकृष्ण की कृपा दिलाएगा।

🚩 “हरे कृष्ण! हरे राम!” 🙏