गजानंद महाराज पधारो,
कीर्तन की तैयारी है।
तर्ज – फुल तुम्हे भेजा है ख़त मे।
– श्लोक –
प्रथम मनाये गणेश के,
ध्याऊ शारदा मात,
मात पिता गुरु प्रभु चरण मे,
नित्य नमाऊ माथ।
गजानंद महाराज पधारो,
कीर्तन की तैयारी है,
आओ आओ बेगा आओ,
चाव दरस को भारी है ॥
थे आवो ज़द काम बणेला,
था पर म्हारी बाजी है,
रणत भंवर गढ़ वाला सुणलो,
चिन्ता म्हाने लागि है,
देर करो मत ना तरसाओ,
चरणा अरज ये म्हारी है,
गजानन्द महाराज पधारो ॥
रीद्धी सिद्धी संग आओ विनायक,
देवों दरस थारा भगता ने,
भोग लगावा ढोक लगावा,
पुष्प चढ़ावा चरणा मे,
गजानंद थारा हाथा मे,
अब तो लाज हमारी है,
गजानन्द महाराज पधारो ॥
भगता की तो विनती सुनली,
शिव सूत प्यारो आयो है,
जय जयकार करो गणपति की,
म्हारो मन हर्शायो है,
बरसेंगा अब रस कीर्तन मे,
भगतौ महिमा भारी है,
गजानन्द महाराज पधारो ॥
गजानंद महाराज पधारों,
कीर्तन की तैयारी है,
आओ आओ बेगा आओ,
चाव दरस को भारी है ॥
इस श्लोक में कहा गया है कि सबसे पहले भगवान गणेश का पूजन करना चाहिए। वे माता शारदा (ज्ञान की देवी), पिता और गुरु के साथ होते हैं, और उनका आशीर्वाद प्राप्त करना जीवन में सबसे महत्वपूर्ण है। इसलिये हर दिन उनका ध्यान करके उनके चरणों में नमन करना चाहिए।
गजानंद महाराज पधारो, कीर्तन की तैयारी है,
आओ आओ बेगा आओ, चाव दर्शन को भारी है ॥
यहां पर भक्त भगवान गणेश को आमंत्रित कर रहे हैं और कह रहे हैं कि कीर्तन (भजन) की तैयारी पूरी हो चुकी है। आप जल्दी पधारिए, क्योंकि आपके दर्शन की भक्ति में अत्यधिक श्रद्धा और आनंद है।
थे आवो ज़द काम बणेला,
था पर म्हारी बाजी है,
रणत भंवर गढ़ वाला सुणलो,
चिन्ता म्हाने लागी है,
देर करो मत ना तरसाओ,
चरणा अरज ये म्हारी है,
गजानन्द महाराज पधारो ॥
यहां पर भक्त भगवान गणेश से कह रहे हैं कि उनकी ज़िंदगी में बहुत सारी परेशानियां और समस्याएं हैं। वे भगवान से जल्द से जल्द पधारने की प्रार्थना कर रहे हैं ताकि उनकी समस्याओं का समाधान हो सके। वे भगवान से आशीर्वाद की मांग करते हुए कहते हैं कि उन्हें दया दिखाएं और जल्दी उनके चरणों में आकर उनका संकट दूर करें।
रीद्धी सिद्धी संग आओ विनायक,
देवों दर्शन थारे भगतां ने,
भोग लगावा, ढोक लगावा,
पुष्प चढ़ावा चरणा में,
गजानंद थारे हाथा में,
अब तो लाज हमारी है,
गजानन्द महाराज पधारो ॥
यहां पर भक्त भगवान गणेश से विनती कर रहे हैं कि वह रिद्धि-सिद्धि (सिद्धियों और समृद्धि) के साथ उनके पास आएं। भगवान गणेश के भक्त उन्हें भोग, पूजा, और पुष्प अर्पित करते हैं, और उनके हाथों में आशीर्वाद की भावना महसूस करते हैं। भक्त अपनी लाज छिपाते हुए भगवान से कहते हैं कि अब समय आ गया है कि वह उनके दर्शन से सब कुछ पूरी तरह से ठीक कर दें।
भगतां की तो विनती सुनली,
शिव सूत प्यारो आयो है,
जय जयकार करो गणपति की,
म्हारो मन हर्षायो है,
बरसेंगा अब रस कीर्तन में,
भगतों महिमा भारी है,
गजानन्द महाराज पधारो ॥
इस शेर में कहा गया है कि भगवान गणेश ने अपने भक्तों की प्रार्थनाओं को सुना है और अब वे शीघ्र ही उनके पास आने वाले हैं। भक्त उनके आगमन से अत्यधिक प्रसन्न हैं और उनका जयकारा कर रहे हैं। वे विश्वास करते हैं कि भगवान गणेश के दर्शन से उनके जीवन में शांति और समृद्धि आएगी।
यह भजन भगवान गणेश के प्रति भक्तों की श्रद्धा और आस्था को व्यक्त करता है। भक्त गणेश जी को अपने जीवन में आशीर्वाद देने के लिए आमंत्रित करते हैं। वे भगवान से उनकी समस्याओं का समाधान, सुख-शांति, और समृद्धि की कामना करते हैं। साथ ही, वे भगवान गणेश के दिव्य रूप का गुणगान करते हुए उनके दर्शन का आनंद लेने के लिए तैयार होते हैं।
In this verse, it is said that first and foremost, one should worship Lord Ganesha. He is the embodiment of wisdom, along with Goddess Saraswati (Sharda, the goddess of knowledge), Father (Shiva), and Guru. The verse emphasizes the importance of regularly bowing to His feet with utmost reverence.
“गजानंद महाराज पधारो,
कीर्तन की तैयारी है,
आओ आओ बेग आओ,
चाव दर्शन को भारी है ॥”
Here, the devotees invite Lord Ganesha to come quickly as they are ready to perform the keerthan (devotional singing) in His honor. They express their eagerness for His divine darshan (sight), as it brings immense joy and blessings to their lives.
“थे आवो ज़द काम बणेला,
था पर म्हारी बाजी है,
रणत भंवर गढ़ वाला सुणलो,
चिन्ता म्हाने लागी है,
देर करो मत ना तरसाओ,
चरणा अरज ये म्हारी है,
गजानन्द महाराज पधारो ॥”
In this stanza, the devotees express that they are in great need of Lord Ganesha’s help, as they are facing difficulties in their lives. They implore Him not to delay and to come soon to remove their worries. The verse conveys their sincere prayer, requesting Lord Ganesha to bless them and resolve their problems.
“रीद्धी सिद्धी संग आओ विनायक,
देवों दर्शन थारे भगतां ने,
भोग लगावा, ढोक लगावा,
पुष्प चढ़ावा चरणा में,
गजानंद थारे हाथा में,
अब तो लाज हमारी है,
गजानन्द महाराज पधारो ॥”
Here, the devotees call upon Lord Ganesha to bring Riddhi (prosperity) and Siddhi (spiritual accomplishment) along with Him. They offer Him prayers, food, flowers, and other offerings as an expression of devotion. They express their humility and state that now it is up to Lord Ganesha to bestow His blessings on them, as they are without any pride or hesitation.
“भगतां की तो विनती सुनली,
शिव सूत प्यारो आयो है,
जय जयकार करो गणपति की,
म्हारो मन हर्षायो है,
बरसेंगा अब रस कीर्तन में,
भगतों महिमा भारी है,
गजानन्द महाराज पधारो ॥”
In this verse, it is said that Lord Ganesha has heard the prayers of His devotees. He, the son of Lord Shiva, is now arriving to bless them. The devotees celebrate by chanting praises and clapping in His honor. They express immense joy, as they believe that His arrival will fill their lives with joy, peace, and prosperity.
This bhajan is a prayer and a call for Lord Ganesha to come and bless His devotees. The devotees are expressing their readiness to worship Him and seek His blessings for the removal of obstacles, prosperity, and spiritual upliftment. They humbly request His presence in their lives to help them overcome their challenges and fill their hearts with joy and peace.
यह विधि शुद्ध भाव से और श्रद्धा से की जानी चाहिए। गणेश जी के पूजन से समृद्धि, बुद्धि, और विघ्नों से मुक्ति मिलती है।