तर्ज :- देना हो दीजिये
गणनायक महाराज को प्रथम करा आहवान,
म्हारा कारज सफल बनादो, थारो ऊँचो स्थान ॥
शिवयोगी का पुत्र लाड़ला, पार्वती का प्यारा हो,
एक दन्त गजवदन विनायक, सब देवां स न्यारा हो,
आ जाओ दूंद दुंदाला, म्हे करां थारा गुणगान ॥
ऋषि मुनि और देवी देवता, करै बड़ाई थारी जी,
ऋद्धि सिद्धि शुभ लाभ के दाता, थे सबका हितकारी जी,
सब शुभ कामां म देवा, होव थारो सम्मान ॥
थान्न प्रथम मनाय करां हाँ, म्हे किर्तन को शुभ आरम्भ,
देरी मतना करो दयालू, अब आ जाओ थे अविलम्ब,
संग देवी देवता ल्याज्यो, थारी सब स पहचान ॥
“सेवक मण्डल” का सब टाबरिया, हर्ष हर्ष गुण गाव है,
“बिन्नू” भी भगतां क सागै, जय जयकार लगाव है,
किर्तन में रंग जमाज्यो, मानांगा म्हें एहसान ॥
1st Verse:
“गणनायक महाराज को प्रथम करा आहवान,
म्हारा कारज सफल बनादो, थारो ऊँचो स्थान”
The first invitation is for Ganesh Maharaj (Lord Ganesha). The devotee prays to Lord Ganesh to make their work successful and to grant them a high position in life.
2nd Verse:
“शिवयोगी का पुत्र लाड़ला, पार्वती का प्यारा हो,
एक दन्त गजवदन विनायक, सब देवां स न्यारा हो,
आ जाओ दूंद दुंदाला, म्हे करां थारा गुणगान”
Here, the devotee praises Lord Ganesha as the beloved son of Lord Shiva and Parvati. Ganesha is described as having the face of an elephant (Gajavadan) and as unique among all the gods. The devotee requests Lord Ganesha to come and listen to their praises and hymns.
3rd Verse:
“ऋषि मुनि और देवी देवता, करै बड़ाई थारी जी,
ऋद्धि सिद्धि शुभ लाभ के दाता, थे सबका हितकारी जी,
सब शुभ कामां म देवा, होव थारो सम्मान”
In this verse, the devotee acknowledges that even rishis (sages) and deities praise Lord Ganesha. Ganesha is described as the giver of Riddhi (prosperity), Siddhi (success), and Shubh Laabh (auspicious benefits). He is considered a benefactor of all and revered for bringing success and welfare to all.
4th Verse:
“थान्न प्रथम मनाय करां हाँ, म्हे किर्तन को शुभ आरम्भ,
देरी मतना करो दयालू, अब आ जाओ थे अविलम्ब,
संग देवी देवता ल्याज्यो, थारी सब स पहचान”
The devotee invites Lord Ganesha to begin the Kirtan (devotional song) with a blessed beginning. They request that Ganesha come immediately without delay, bringing along other deities and bestowing recognition to all.
5th Verse:
““सेवक मण्डल” का सब टाबरिया, हर्ष हर्ष गुण गाव है,
“बिन्नू” भी भगतां क सागै, जय जयकार लगाव है,
किर्तन में रंग जमाज्यो, मानांगा म्हें एहसान”
This verse speaks about the Sevak Mandal (group of devotees), who are joyfully singing praises of Lord Ganesha. It also mentions Binnu, a devotee who joins in with the chants of joy and praises. The devotee expresses their gratitude for the joy and devotion in the Kirtan.
This song is a heartfelt invocation of Lord Ganesh (Ganesh Maharaj), requesting him to bring prosperity and success to the devotee’s life. The lyrics describe Lord Ganesha as the son of Lord Shiva and Parvati, praising his unique form as Gajavadan (elephant-faced). The song also calls for the removal of obstacles, the grant of good fortune, and the beginning of an auspicious Kirtan. Devotees express their gratitude and happiness for the blessings they receive through the prayers.
गणनायक महाराज को प्रथम करा आहवान – अर्थ
1st Verse:
“गणनायक महाराज को प्रथम करा आहवान,
म्हारा कारज सफल बनादो, थारो ऊँचो स्थान”
इस पहले शेर में भक्त गणनायक महाराज (भगवान गणेश) को पहले बुलाते हैं और उनसे अपने कार्य को सफल बनाने और उच्च स्थान देने की प्रार्थना करते हैं।
2nd Verse:
“शिवयोगी का पुत्र लाड़ला, पार्वती का प्यारा हो,
एक दन्त गजवदन विनायक, सब देवां स न्यारा हो,
आ जाओ दूंद दुंदाला, म्हे करां थारा गुणगान”
यहां भगवान गणेश को शिव और पार्वती का प्यारा पुत्र बताया गया है। उनका गजवदन (हाथी जैसा चेहरा) और अद्वितीय रूप वर्णित है। भक्त उनसे आकर उनके गुणगान करने की प्रार्थना करते हैं।
3rd Verse:
“ऋषि मुनि और देवी देवता, करै बड़ाई थारी जी,
ऋद्धि सिद्धि शुभ लाभ के दाता, थे सबका हितकारी जी,
सब शुभ कामां म देवा, होव थारो सम्मान”
इस शेर में भक्त बताते हैं कि ऋषि-मुनि और देवी-देवता भी भगवान गणेश की महिमा गाते हैं। वे भगवान गणेश को ऋद्धि (समृद्धि), सिद्धि (सफलता) और शुभ लाभ देने वाला बताते हैं। वे यह भी प्रार्थना करते हैं कि गणेश जी के आशीर्वाद से उनके सभी शुभ कार्य सफल हों।
4th Verse:
“थान्न प्रथम मनाय करां हाँ, म्हे किर्तन को शुभ आरम्भ,
देरी मतना करो दयालू, अब आ जाओ थे अविलम्ब,
संग देवी देवता ल्याज्यो, थारी सब स पहचान”
यहां भक्त भगवान गणेश से किर्तन (भक्ति गीत) की शुरुआत करने का अनुरोध करते हैं। वे भगवान से आग्रह करते हैं कि वे जल्दी आकर अन्य देवी-देवताओं के साथ किटर्न में शामिल हों और उनके सम्मान का परिचय दें।
5th Verse:
““सेवक मण्डल” का सब टाबरिया, हर्ष हर्ष गुण गाव है,
“बिन्नू” भी भगतां क सागै, जय जयकार लगाव है,
किर्तन में रंग जमाज्यो, मानांगा म्हें एहसान”
इस शेर में भक्तों के समूह “सेवक मंडल” की बात की जा रही है, जो भगवान गणेश के गुण गाकर आनंदित हो रहे हैं। साथ ही, बिन्नू नामक भक्त भी इस भक्तिपूर्ण कार्य में शामिल हो रहे हैं। भक्त यह प्रकट करते हैं कि वे भगवान गणेश के आशीर्वाद से बहुत खुश हैं और उनका एहसान मानते हैं।
यह गीत भगवान गणेश का आह्वान है, जिसमें भक्त उनसे अपने कार्यों को सफल बनाने, समृद्धि और सुख देने की प्रार्थना करते हैं। गीत में भगवान गणेश की महिमा का वर्णन किया गया है और उनके अद्वितीय रूप को सराहा गया है। भक्त उन्हें अपने जीवन में शांति, समृद्धि और सफलता लाने के लिए आमंत्रित करते हैं, और उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं।
यह विधि शुद्ध भाव से और श्रद्धा से की जानी चाहिए। गणेश जी के पूजन से समृद्धि, बुद्धि, और विघ्नों से मुक्ति मिलती है।