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भजन: गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो

गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो,
राधा रमण हरि गोविंद बोलो।

श्रीकृष्ण के नाम का गुणगान करो,
हरि का जाप करो, सुमिरन करो।
प्रेम और भक्ति से उनका ध्यान करो,
राधा के श्याम का गुणगान करो।
गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो,
राधा रमण हरि गोविंद बोलो।

यमुना के तट पर मुरली बजाते,
गोपियों संग रास रचाते।
उनकी बांसुरी की मधुर तान,
मोहन की लीलाओं का बखान।
गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो,
राधा रमण हरि गोविंद बोलो।

गोकुल के वासी जिन पर बलिहारी,
नंदलाल हैं सबके प्यारे।
माखन चुराने की लीला निराली,
उनके बिना ये दुनिया है खाली।
गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो,
राधा रमण हरि गोविंद बोलो।

श्री वृंदावन के कुंज बिहारी,
मन मोहन, मधुर मुरारी।
उनके चरणों में मिलती है शांति,
हर भक्त के मन की मिटती है भ्रांति।
गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो,
राधा रमण हरि गोविंद बोलो।

शरण में आओ, छोड़ो अभिमान,
हरि का नाम है सबका आधार।
भक्ति के सागर में डूब जाओ,
गोविंद के चरणों में जगह पाओ।
गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो,
राधा रमण हरि गोविंद बोलो।

हर सांस में उनका नाम समाया,
उनके नाम से हर दुःख मिटाया।
गोविंद की महिमा अपरंपार,
भक्तों के जीवन का वही आधार।
गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो,
राधा रमण हरि गोविंद बोलो।

यह भजन श्रीकृष्ण की लीलाओं, उनकी भक्ति और उनके दिव्य नाम के स्मरण का सुंदर वर्णन है। इसे गाते हुए मन में शांति और भक्ति का भाव जागृत होता है। 🙏

भजन: गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो का अर्थ (हिंदी में)

मुखड़ा:

गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो,
राधा रमण हरि गोविंद बोलो।

  • इस पंक्ति में भगवान श्रीकृष्ण के नामों का जप करने की प्रेरणा दी गई है। “गोविंद,” “हरि,” “गोपाल,” और “राधा रमण” उनके अलग-अलग रूपों और लीलाओं का संकेत देते हैं। यह हमें भगवान का नाम लेकर भक्ति मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।

पहला पद:

श्रीकृष्ण के नाम का गुणगान करो,
हरि का जाप करो, सुमिरन करो।
प्रेम और भक्ति से उनका ध्यान करो,
राधा के श्याम का गुणगान करो।

  • इस पंक्ति में बताया गया है कि भगवान श्रीकृष्ण के नाम का गुणगान करने और उनका जाप करने से मन को शांति मिलती है। हमें प्रेम और भक्ति से उनके ध्यान में लीन होना चाहिए।

दूसरा पद:

यमुना के तट पर मुरली बजाते,
गोपियों संग रास रचाते।
उनकी बांसुरी की मधुर तान,
मोहन की लीलाओं का बखान।

  • यह श्रीकृष्ण की दिव्य लीलाओं का वर्णन है। यमुना किनारे श्रीकृष्ण की बांसुरी की मधुर ध्वनि सबको आकर्षित करती है और उनकी गोपियों संग रासलीला उनकी अलौकिक कृपा और प्रेम को दर्शाती है।

तीसरा पद:

गोकुल के वासी जिन पर बलिहारी,
नंदलाल हैं सबके प्यारे।
माखन चुराने की लीला निराली,
उनके बिना ये दुनिया है खाली।

  • यहां गोकुल में श्रीकृष्ण के बाल रूप की चर्चा है। नंदलाल (नंद बाबा के पुत्र) का माखन चुराने की लीला सबके हृदय को आनंदित करती है, और उनके बिना यह संसार अधूरा लगता है।

चौथा पद:

श्री वृंदावन के कुंज बिहारी,
मन मोहन, मधुर मुरारी।
उनके चरणों में मिलती है शांति,
हर भक्त के मन की मिटती है भ्रांति।

  • वृंदावन के कुंजों में बिहारी श्रीकृष्ण अपने भक्तों को मन मोह लेते हैं। उनके चरणों में शांति मिलती है, और उनके स्मरण से सभी प्रकार के भ्रम और मानसिक कष्ट दूर हो जाते हैं।

पांचवा पद:

शरण में आओ, छोड़ो अभिमान,
हरि का नाम है सबका आधार।
भक्ति के सागर में डूब जाओ,
गोविंद के चरणों में जगह पाओ।

  • इस पंक्ति में भक्ति का मार्ग अपनाने की प्रेरणा दी गई है। भगवान की शरण में जाने और अहंकार छोड़ने से ही जीवन का वास्तविक उद्देश्य पूर्ण होता है।

छठा पद:

हर सांस में उनका नाम समाया,
उनके नाम से हर दुःख मिटाया।
गोविंद की महिमा अपरंपार,
भक्तों के जीवन का वही आधार।

  • यहां बताया गया है कि हर सांस में भगवान का नाम लेने से दुख दूर होते हैं। श्रीकृष्ण की महिमा अनंत है, और उनके नाम में ही भक्तों का सारा आधार छिपा हुआ है।

सारांश:

इस भजन में भगवान श्रीकृष्ण के नाम और उनकी लीलाओं की महिमा का वर्णन है। यह हमें उनके नाम का जाप करने, भक्ति में लीन रहने और जीवन के हर दुःख से मुक्त होने का मार्ग दिखाता है। श्रीकृष्ण के चरणों में शरण लेने से शांति और आनंद की प्राप्ति होती है।

Meaning of the Bhajan: “Govind Bolo Hari Gopal Bolo” in English

Chorus:

Govind Bolo Hari Gopal Bolo,
Radha Raman Hari Govind Bolo.

  • This line encourages chanting the divine names of Lord Krishna, such as “Govind,” “Hari,” “Gopal,” and “Radha Raman.” These names reflect His various forms and divine pastimes. Chanting His name is a path to devotion and spiritual connection.

Verse 1:

Sing the glories of Lord Krishna’s name,
Chant and meditate upon Hari.
With love and devotion, remember Him,
Sing praises of Radha’s beloved Shyam.

  • This verse emphasizes glorifying Lord Krishna’s name, chanting it with love, and focusing on Him with devotion. Remembering Him brings peace and divine joy.

Verse 2:

On the banks of the Yamuna, He plays His flute,
Dancing in joy with the Gopis.
The sweet melody of His flute enchants all,
Revealing His divine and playful pastimes.

  • This describes Krishna’s enchanting leelas (divine plays) on the banks of the Yamuna River, where He plays His flute and performs the Rasleela (dance of love) with the Gopis, captivating everyone.

Verse 3:

The people of Gokul adore Him endlessly,
Beloved son of Nand, their joy eternal.
His butter-stealing mischiefs are unmatched,
Without Him, the world feels incomplete.

  • This verse narrates Krishna’s childhood in Gokul, where He is loved dearly by everyone. His playful acts, like stealing butter, spread joy, and His absence makes life seem incomplete.

Verse 4:

The divine Vrindavan is His playground,
Enchanting hearts as Kunja Bihari.
At His lotus feet lies ultimate peace,
Dispelling doubts and sorrows of the mind.

  • Here, Krishna is depicted as Kunja Bihari, the one who resides in the groves of Vrindavan. Worshipping Him brings peace and removes all doubts and suffering.

Verse 5:

Surrender to Him, let go of ego,
Hari’s name is the foundation for all.
Immerse yourself in the ocean of devotion,
Find a place at Govind’s divine feet.

  • This verse inspires surrendering to Lord Krishna with humility. Chanting His name and immersing in devotion lead to spiritual fulfillment and salvation.

Verse 6:

Every breath should chant His name,
His name removes all sorrows and pain.
The glory of Govind is infinite,
He is the foundation of every devotee’s life.

  • This verse emphasizes chanting Krishna’s name with every breath. His name is powerful enough to eliminate all suffering, and His divine presence is the ultimate source of joy for His devotees.

Summary:

The bhajan glorifies Lord Krishna, His divine names, and His leelas (pastimes). It urges devotees to chant His name, surrender to Him, and immerse themselves in devotion to experience peace, joy, and liberation. Through Krishna’s love and grace, all sorrows are removed, and life finds its true meaning.

पूजा विधि (Puja Vidhi in Hindi)

पूजा की तैयारी:

  1. स्वच्छता और स्नान:
    • सबसे पहले खुद स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें।
    • पूजा स्थल को साफ और पवित्र करें।
  2. पूजा स्थान की स्थापना:
    • भगवान की मूर्ति या चित्र को पूजा स्थल पर रखें।
    • एक चौकी पर सफेद या लाल कपड़ा बिछाकर भगवान को विराजित करें।
    • आसन का उपयोग करें (कुशा या कपड़े का आसन)।
  3. दीप और धूप जलाना:
    • पूजा की शुरुआत से पहले दीपक और धूप जलाएं।
  4. संकल्प लेना:
    • पूजा के कार्यों का संकल्प लें और भगवान का ध्यान करें।
    • हाथ में जल लेकर भगवान को याद करते हुए अपनी मनोकामनाएं व्यक्त करें।

पूजा विधि के चरण:

  1. आवहन (भगवान का आह्वान):
    • भगवान का आवाहन करें और उनका स्वागत करें।
    • “ॐ गणपतये नमः” से गणेश जी की पूजा शुरू करें।
  2. अभिषेक (स्नान):
    • भगवान को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और चीनी) से स्नान कराएं।
    • फिर गंगाजल से पुनः स्नान कराएं और भगवान को पवित्र वस्त्र पहनाएं।
  3. श्रृंगार (सजावट):
    • भगवान को फूल, माला, चंदन, और अक्षत (चावल) चढ़ाएं।
  4. धूप और दीप अर्पित करें:
    • भगवान के समक्ष दीपक और धूप जलाएं।
    • “ॐ दीपज्योतिः परब्रह्मा” का उच्चारण करें।
  5. नैवेद्य अर्पण करें:
    • भगवान को भोग (फल, मिठाई, पकवान) अर्पित करें।
    • ध्यान रखें कि यह सभी सामग्री शुद्ध और ताजगी से भरी हो।
  6. आरती करें:
    • आरती की थाली में दीपक, कपूर और फूल रखें।
    • भगवान की स्तुति करने के लिए आरती गाएं।
  7. प्रदक्षिणा (परिक्रमा) करें:
    • भगवान की मूर्ति या चित्र की तीन बार परिक्रमा करें।
    • पूजा के बाद उनके चरणों में प्रणाम करें।
  8. प्रसाद वितरण:
    • पूजा के अंत में भगवान द्वारा दिए गए प्रसाद को सभी भक्तों में वितरित करें।

पूजा सामग्री (Puja Samagri in Hindi)

  1. मूर्ति या चित्र:
    • पूजा के लिए भगवान की मूर्ति या चित्र होना चाहिए।
  2. आसन और कपड़ा:
    • भगवान के लिए सफेद या लाल कपड़ा, और स्वयं बैठने के लिए आसन।
  3. पंचामृत सामग्री:
    • दूध, दही, घी, शहद, और चीनी (पंचामृत बनाने के लिए)।
  4. पवित्र जल:
    • गंगाजल या सामान्य जल।
  5. सजावट सामग्री:
    • चंदन, कुमकुम, हल्दी, अक्षत (चावल), फूल, और माला।
  6. दीपक और धूप:
    • दीपक (तेल या घी का), रुई की बत्ती, और धूपबत्ती।
  7. भोग सामग्री:
    • फल (केला, नारियल, सेब), मिठाई (लड्डू, पेड़ा), सूखा मेवा (काजू, किशमिश)।
  8. अन्य सामग्री:
    • कपूर, तुलसी के पत्ते, कलश, नारियल, और शंख।
    • पूजा थाली और पान के पत्ते।

महत्वपूर्ण बातें:

  • पूजा में सच्चे मन और ध्यान से भगवान का ध्यान करें।
  • पूजा स्थल और सामग्री को हमेशा स्वच्छ रखें।
  • पूजा का समय सामान्यतः सुबह और शाम का होता है, जो अधिक शुभ माना जाता है।

क्या आपको किसी विशेष पूजा विधि के बारे में जानकारी चाहिए?

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