bhajanartichalisa

मत्स्य अवतार भजन – भगवान विष्णु का पहला रूप

भजन: मत्स्य

भजन:
मत्स्य रूप धारण कर, हरि ने रक्षा की।
सतयुग में आकर, भक्तों की इच्छा पूरी की॥
जल में नाव चली, वेद बचाए थे।
दुष्टों का संहार कर, धर्म बचाए थे॥
जय हो मत्स्य अवतार, भक्तों के पालनहार॥

मत्स्य भजन का अर्थ (अर्थ)

मत्स्य रूप धारण कर, हरि ने रक्षा की।
भगवान विष्णु ने मत्स्य (मछली) रूप धारण करके संसार की रक्षा की।

सतयुग में आकर, भक्तों की इच्छा पूरी की॥
उन्होंने सतयुग में अवतार लेकर अपने भक्तों की मनोकामनाएँ पूर्ण कीं।

जल में नाव चली, वेद बचाए थे।
उन्होंने जल प्रलय के दौरान एक नाव में वेदों को सुरक्षित रखा।

दुष्टों का संहार कर, धर्म बचाए थे॥
उन्होंने असुरों का संहार करके धर्म की रक्षा की।

जय हो मत्स्य अवतार, भक्तों के पालनहार॥
मत्स्य अवतार की जय हो, जो अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।

Meaning of Matsya Bhajan in English

“By taking the form of Matsya, Lord Hari protected the world.”
Lord Vishnu incarnated as Matsya (a fish) to safeguard the universe.

“In Satya Yuga, He fulfilled the wishes of His devotees.”
During the Satya Yuga, He appeared to bless and protect His devotees.

“He guided the boat through the waters and saved the Vedas.”
During the great deluge, He preserved the sacred Vedas by carrying them in a boat.

“By destroying the wicked, He upheld righteousness.”
He vanquished the demons and restored dharma (righteousness).

“Glory to Lord Matsya, the protector of His devotees!”
All glory to Matsya Avatar, who safeguards His devotees with love and care.

मत्स्य अवतार पूजा विधि और सामग्री

पूजा सामग्री (Pooja Samagri):

  1. भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र
  2. दीपक (घी या तेल का दीपक)
  3. अगरबत्ती और धूप
  4. पुष्प (ताजे फूल)
  5. फल और मिठाई (प्रसाद हेतु)
  6. पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल)
  7. चंदन, रोली और अक्षत (चावल)
  8. तुलसी दल (भगवान विष्णु की पूजा में अनिवार्य)
  9. पवित्र जल (गंगाजल)
  10. नारियल और पान-सुपारी

पूजा विधि (Pooja Vidhi):

  1. स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
  2. भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार के चित्र या मूर्ति को रखें।
  3. दीप प्रज्वलित करें और अगरबत्ती व धूप जलाएं
  4. चंदन, रोली, अक्षत अर्पित करें और फूल चढ़ाएं।
  5. तुलसी दल चढ़ाकर पंचामृत से अभिषेक करें
  6. भगवान को फल, मिठाई और नारियल अर्पित करें
  7. मत्स्य अवतार का भजन, विष्णु सहस्रनाम या विष्णु मंत्र का जाप करें।
  8. आरती करें और सभी परिवारजन मिलकर भगवान का ध्यान करें।
  9. प्रसाद वितरण करें और सभी के मंगल हेतु प्रार्थना करें।

🔹 महत्व: इस पूजा से पापों का नाश होता है, सुख-समृद्धि आती है और भक्तों को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।