राधे कृष्णा राधे श्याम
(भजन – विस्तार रूप)
मुखड़ा
राधे कृष्णा राधे श्याम,
बोलो राधे कृष्णा राधे श्याम।
श्याम सुन्दर मोहन मुरारी,
गूंजे बंसी मधुर पुकारी।
राधे कृष्णा राधे श्याम,
बोलो राधे कृष्णा राधे श्याम।
पहला अंतरा
जमुना के तट पर बंसी वादे,
गोपियों संग रास रचाते।
चंद्र की शीतल किरणें बिखरें,
तेरी मुरली मन को लुभाते।
हर गोकुलवासी तुझ पर बलिहारी,
तेरा रूप सलोना सबसे न्यारा।
राधे कृष्णा राधे श्याम,
बोलो राधे कृष्णा राधे श्याम।
दूसरा अंतरा
राधा संग तेरा अनुपम मेल,
प्रेम कहानी सजीव विहेल।
बरसाने के पथ पर तेरे चरण,
छू लें तो धरती भी हो जाए धन्य।
तेरी मूरत का दर्शन पाऊं,
हर जन्म में तेरा गुन गाऊं।
राधे कृष्णा राधे श्याम,
बोलो राधे कृष्णा राधे श्याम।
तीसरा अंतरा
श्री वृंदावन के कुंज गली में,
तेरे चरणों की छाप मिली।
सुध-बुध खो जाएं जब भजूं तेरा नाम,
तेरी लीलाओं में है सारा धाम।
हरि चरणों में जो शरण पाए,
उसका जीवन धन्य हो जाए।
राधे कृष्णा राधे श्याम,
बोलो राधे कृष्णा राधे श्याम।
चौथा अंतरा
तेरी कृपा से सब कुछ पाया,
मन में न रहा कोई और साया।
संसार की माया मुझसे दूर हो,
बस तेरा ही नाम अब मेरे सुर हो।
प्रभु मेरे जीवन के सहारे,
रखना सदा अपने चरणों में प्यारे।
राधे कृष्णा राधे श्याम,
बोलो राधे कृष्णा राधे श्याम।
पंचम अंतरा
तुम ही तो हो मोक्ष के दाता,
जीवन के कष्टों से हो मुक्त करता।
जो तेरा नाम सुमिरन करता,
उसके जीवन में प्रकाश भरता।
सतयुग, द्वापर, कलयुग में,
तेरा नाम अमर रहे सदा।
राधे कृष्णा राधे श्याम,
बोलो राधे कृष्णा राधे श्याम।
आखिरी अंतरा
प्रभु मैं अनाथ, तुम मेरे नाथ,
कर दो कृपा, सुन लो मेरी बात।
जीवन की नैया तेरे हाथ,
मुझे तार दो भवसागर से प्रभु आज।
हर सांस में तेरा ही नाम,
हर धड़कन में तेरा ही ध्यान।
राधे कृष्णा राधे श्याम,
बोलो राधे कृष्णा राधे श्याम।
यह भजन प्रेम, भक्ति और भगवान की अनंत महिमा का गान करता है। इसे गाते समय धीमी और मधुर धुन का उपयोग किया जा सकता है, जिसमें अंतरा और मुखड़ा को संतुलित रूप से गाया जाए। क्या आपको इस भजन की धुन या अन्य भजनों पर भी मदद चाहिए?
राधे कृष्णा राधे श्याम भजन का अर्थ (हिंदी में)
मुखड़ा
राधे कृष्णा राधे श्याम, बोलो राधे कृष्णा राधे श्याम।
इस पंक्ति में भगवान श्रीकृष्ण और राधा का स्मरण करने और उनके नाम का जाप करने का आग्रह है। उनके नाम में ही भक्तों के जीवन की सारी शांति और आनंद छुपा हुआ है।
श्याम सुंदर मोहन मुरारी, गूंजे बंसी मधुर पुकारी।
श्रीकृष्ण के सुंदर रूप, उनकी मोहक मुस्कान और उनकी बांसुरी की मधुर ध्वनि का वर्णन किया गया है, जो सभी के मन को मोह लेती है।
पहला अंतरा
जमुना के तट पर बंसी वादे, गोपियों संग रास रचाते।
चंद्र की शीतल किरणें बिखरें, तेरी मुरली मन को लुभाते।
यह पंक्तियां श्रीकृष्ण की लीला का वर्णन करती हैं। वह यमुना के तट पर बांसुरी बजाते हैं और गोपियों के साथ रासलीला करते हैं। उनकी बांसुरी की धुन सुनकर मन आनंदित हो जाता है।
हर गोकुलवासी तुझ पर बलिहारी, तेरा रूप सलोना सबसे न्यारा।
गोकुल में हर व्यक्ति श्रीकृष्ण के अद्भुत रूप और गुणों पर मोहित है। उनका रूप सबसे सुंदर और अनोखा है।
दूसरा अंतरा
राधा संग तेरा अनुपम मेल, प्रेम कहानी सजीव विहेल।
बरसाने के पथ पर तेरे चरण, छू लें तो धरती भी हो जाए धन्य।
यहां राधा-कृष्ण की प्रेम कहानी का उल्लेख है, जो भक्तों के लिए एक आदर्श प्रेम का प्रतीक है। उनके चरण जहां पड़ते हैं, वह स्थान पवित्र हो जाता है।
तेरी मूरत का दर्शन पाऊं, हर जन्म में तेरा गुन गाऊं।
भक्त की इच्छा है कि हर जन्म में वह श्रीकृष्ण के दर्शन करे और उनके गुण गाए।
तीसरा अंतरा
श्री वृंदावन के कुंज गली में, तेरे चरणों की छाप मिली।
सुध-बुध खो जाएं जब भजूं तेरा नाम, तेरी लीलाओं में है सारा धाम।
वृंदावन, जो श्रीकृष्ण की लीलाओं का स्थान है, वहां भक्त उनके चरणों के निशान पाकर धन्य हो जाते हैं। जब भक्त उनका नाम जपते हैं, तो सारी चिंताएं और दुख दूर हो जाते हैं।
हरि चरणों में जो शरण पाए, उसका जीवन धन्य हो जाए।
जो भी भक्त श्रीकृष्ण के चरणों में शरण लेता है, उसका जीवन सफल और धन्य हो जाता है।
चौथा अंतरा
तेरी कृपा से सब कुछ पाया, मन में न रहा कोई और साया।
संसार की माया मुझसे दूर हो, बस तेरा ही नाम अब मेरे सुर हो।
यहां भक्त श्रीकृष्ण की कृपा को धन्यवाद देते हुए कहते हैं कि उनकी कृपा से उन्होंने सब कुछ पा लिया है। अब उनके मन में सांसारिक इच्छाओं का कोई प्रभाव नहीं रहा और उनका जीवन केवल भगवान के नाम के लिए समर्पित है।
प्रभु मेरे जीवन के सहारे, रखना सदा अपने चरणों में प्यारे।
भक्त श्रीकृष्ण से प्रार्थना करते हैं कि वह हमेशा उनके जीवन के सहारे बने रहें और उन्हें अपने चरणों में स्थान दें।
पंचम अंतरा
तुम ही तो हो मोक्ष के दाता, जीवन के कष्टों से हो मुक्त करता।
जो तेरा नाम सुमिरन करता, उसके जीवन में प्रकाश भरता।
श्रीकृष्ण को मोक्ष का दाता कहा गया है। जो भी उनका नाम स्मरण करता है, उसके सारे दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं और उसके जीवन में नई रोशनी आ जाती है।
सतयुग, द्वापर, कलयुग में, तेरा नाम अमर रहे सदा।
यहां कहा गया है कि श्रीकृष्ण का नाम हर युग में अमर है। वह हर युग में भक्तों का उद्धार करते हैं।
आखिरी अंतरा
प्रभु मैं अनाथ, तुम मेरे नाथ, कर दो कृपा, सुन लो मेरी बात।
जीवन की नैया तेरे हाथ, मुझे तार दो भवसागर से प्रभु आज।
भक्त भगवान से विनती करते हैं कि वह उनके जीवन की नैया के खेवनहार बनें और उन्हें इस सांसारिक समुद्र से पार लगाएं।
हर सांस में तेरा ही नाम, हर धड़कन में तेरा ही ध्यान।
भक्त की इच्छा है कि उसकी हर सांस और हर धड़कन में सिर्फ श्रीकृष्ण का नाम और ध्यान बसा रहे।
यह भजन राधा-कृष्ण की दिव्यता, उनके प्रेम और उनकी कृपा का गुणगान करता है। इसे गाते हुए भक्त को उनकी उपस्थिति का अनुभव होता है।
Meaning of the Bhajan “Radhe Krishna Radhe Shyam” (In English)
Chorus (Mukhdā)
Radhe Krishna Radhe Shyam,
Chant Radhe Krishna Radhe Shyam.
This line urges devotees to remember and chant the holy names of Radha and Krishna, as their names hold the essence of peace and eternal bliss.
Shyam Sundar Mohan Murari,
The sweet melody of his flute echoes everywhere.
Here, Lord Krishna is described as the beautiful, enchanting one (Shyam Sundar) who captivates all with his divine charm and the melodious sound of his flute.
First Verse
By the banks of the Yamuna, He plays His flute,
Dancing with the Gopis, creating divine pastimes.
The cool moonlight falls gently,
And the music of His flute mesmerizes the soul.
This describes Krishna’s playful and divine acts (leelas) by the Yamuna River, where He enchants the Gopis (cowherd maidens) with His flute.
Every resident of Gokul is in awe of You,
Your beauty and grace are unmatched.
The people of Gokul revere Krishna deeply, and His unparalleled charm captivates everyone.
Second Verse
Your union with Radha is unparalleled,
A love story that inspires the world.
The paths of Barsana are blessed,
Wherever Your feet touch, the land becomes holy.
This highlights the eternal love between Krishna and Radha, symbolizing divine love. The land of Barsana, where Radha resided, is sanctified by Krishna’s presence.
Let me have a glimpse of Your divine form,
May I sing Your praises in every lifetime.
The devotee prays to always witness Krishna’s divine beauty and sing His glories forever.
Third Verse
In the groves of Vrindavan,
The imprints of Your feet are found.
When I chant Your name, I lose myself,
Your pastimes hold the essence of all creation.
Vrindavan, where Krishna performed His divine acts, is filled with the sacred impressions of His feet. Chanting His name brings transcendental bliss to the devotee.
Those who surrender at Your feet,
Their lives are blessed and fulfilled.
Krishna blesses all who take refuge in Him, freeing them from worldly burdens.
Fourth Verse
With Your grace, I have received everything,
And now my mind desires nothing else.
The illusions of this world no longer bind me,
Only Your name is my song now.
Here, the devotee expresses gratitude to Krishna for His blessings and describes how attachment to worldly pleasures has dissolved through His grace.
O Lord, You are my only support,
Keep me always at Your holy feet.
The devotee pleads to Krishna to remain their eternal guide and protector.
Fifth Verse
You are the giver of liberation,
The one who frees us from all sorrows.
Whoever chants Your name,
Their lives are illuminated with divine light.
Krishna is described as the ultimate savior and the one who leads devotees to spiritual enlightenment and liberation from worldly pain.
In every age—Satyuga, Dwapar, and Kaliyuga,
Your name remains eternal and immortal.
The bhajan emphasizes that Krishna’s name and divine presence transcend time, prevailing in every era.
Final Verse
O Lord, I am helpless, and You are my master,
Grant me Your mercy and listen to my prayer.
You are the boatman of my life’s journey,
Help me cross this ocean of worldly existence today.
The devotee humbly surrenders to Krishna, asking for His guidance to overcome the challenges of life and attain spiritual fulfillment.
In every breath, let me chant Your name,
In every heartbeat, let me remember You.
The devotee desires to dedicate their entire existence to Krishna, with His name and remembrance woven into their very being.
Summary of the Bhajan
This bhajan glorifies the divine love of Radha and Krishna, their enchanting pastimes, and their grace that liberates devotees from worldly suffering. It reflects the devotee’s heartfelt longing to remain connected to Krishna in every aspect of life and to surrender completely to His will.
पूजा विधि (Puja Vidhi in Hindi)
पूजा की तैयारी:
- स्नान और स्वच्छता:
- सबसे पहले स्वयं स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
- पूजा स्थान को स्वच्छ और पवित्र करें।
- पूजा स्थल की स्थापना:
- भगवान की मूर्ति या फोटो को साफ स्थान पर रखें।
- एक चौकी पर सफेद या लाल कपड़ा बिछाकर भगवान को विराजित करें।
- आसन का उपयोग करें (कुशा या कपड़े का आसन)।
- दीप और धूप जलाना:
- पूजा शुरू करने से पहले दीपक और धूप जलाएं।
- संकल्प लें:
- पूजा में किए जाने वाले कार्यों का संकल्प लें और भगवान का ध्यान करें।
- हाथ में जल लेकर भगवान को याद करते हुए अपने मनोकामना व्यक्त करें।
पूजा विधि के चरण:
- आवहन (भगवान को आमंत्रण देना):
- हाथ जोड़कर भगवान का आवाहन करें।
- “ॐ गणपतये नमः” कहकर गणेश जी की पूजा से शुरुआत करें।
- अभिषेक (स्नान):
- भगवान को गंगाजल, दूध, दही, शहद, और पंचामृत से स्नान कराएं।
- इसके बाद गंगाजल से पुनः स्नान कराएं और साफ कपड़ा पहनाएं।
- श्रृंगार (सजावट):
- भगवान को फूल-माला पहनाएं।
- चंदन, अक्षत (चावल), और कुमकुम लगाएं।
- धूप और दीप अर्पित करें:
- भगवान के समक्ष धूप और दीप जलाएं।
- “ॐ दीपज्योतिः परब्रह्मा” का उच्चारण करें।
- नैवेद्य अर्पण करें:
- भगवान को भोग लगाएं (फलों, मिठाई या पकाए गए भोजन का)।
- ध्यान रखें कि भोग बिना प्याज-लहसुन के बना हो।
- आरती करें:
- आरती की थाली में दीपक, कपूर और फूल रखें।
- आरती गाकर भगवान की स्तुति करें।
- प्रदक्षिणा और प्रार्थना:
- भगवान की मूर्ति की तीन बार परिक्रमा करें।
- हाथ जोड़कर भगवान से प्रार्थना करें।
- प्रसाद वितरण:
- पूजा समाप्त होने के बाद भोग को प्रसाद के रूप में बांटें।
पूजा सामग्री (Puja Samagri in Hindi)
- मूर्ति/चित्र:
- पूजा के लिए भगवान की मूर्ति या चित्र।
- आसन और कपड़ा:
- भगवान के लिए लाल/सफेद कपड़ा और अपने लिए बैठने का आसन।
- पंचामृत सामग्री:
- दूध, दही, शहद, शक्कर, और घी।
- पवित्र जल:
- गंगाजल या साफ पानी।
- सजावट सामग्री:
- चंदन, कुमकुम, हल्दी, अक्षत (चावल)।
- फूल और माला।
- दीपक और धूप:
- मिट्टी या पीतल का दीपक।
- रुई की बत्ती, तेल या घी।
- धूपबत्ती या अगरबत्ती।
- भोग सामग्री:
- फल (केला, नारियल, सेब)।
- मिठाई (लड्डू, पेड़ा)।
- सूखा मेवा (काजू, किशमिश)।
- अन्य सामग्री:
- कपूर, तुलसी के पत्ते।
- कलश, नारियल।
- घंटी और शंख।
- पूजा थाली और पान के पत्ते।
महत्वपूर्ण बातें:
- पूजा में सच्चे मन और ध्यान से भगवान का स्मरण करें।
- सामग्री स्वच्छ और पवित्र होनी चाहिए।
- पूजा का समय सुबह या शाम का हो, तो बेहतर माना जाता है।
क्या आपको किसी विशेष पूजा के लिए निर्देश चाहिए?