वायु देवता भजन | शक्ति और आशीर्वाद का पावन गान

वायु देवता भजन | पवनपुत्र हनुमान की कृपा से भरपूर भजन 🌿 वंदन तेरा, हे वायु देव! 🌿 वायु देवता, शक्ति अपार,हर लो दुख, करो उद्धार।शीतल मंद समीर बहाओ,प्रेम, भक्ति दीप जलाओ। पवन तनय, हनुमान महान,करो भक्तों का कल्याण।संकट हर लो, कृपा बरसाओ,हर हृदय में शक्ति जगाओ। ओम वायु देव नमः पुकारें,भक्त तेरा गुण अपार गाएं।शरण तुम्हारी, मंगल कर दो,शुभ वचन से जीवन भर दो। 🌿 जय वायु देव! 🌿 वायु देवता भजन का अर्थ: यह भजन वायु देवता (पवन देवता) और पवनपुत्र हनुमान की पूजा एवं स्तुति को समर्पित है। इसमें वायु देवता से शक्ति, आशीर्वाद और कृपा की प्रार्थना की जाती है। वायु देवता की स्तुति: भजन में वायु देवता से प्रार्थना की जाती है कि वह अपनी शक्ति से हमारे दुखों को हरकर हमें उद्धार दें और जीवन में शांति लाएं। हनुमान जी की कृपा: भजन में हनुमान जी, जो वायु देवता के पुत्र हैं, की महिमा का गुणगान किया जाता है। उनसे भक्ति और समर्पण की भावना व्यक्त की जाती है। शक्ति और आशीर्वाद का आह्वान: भजन में वायु देवता से यह विनती की जाती है कि वह अपनी शीतल वायु से हमारे जीवन को सकारात्मक ऊर्जा से भर दें और हमारे संकटों को दूर करें। सच्ची भक्ति: इस भजन के माध्यम से श्रद्धालु अपने जीवन में भगवान की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भक्ति का संदेश देते हैं। Meaning of the Vayu Devta Bhajan: This bhajan is dedicated to the worship and praise of Vayu Devta (the Wind God) and Pawanputra Hanuman. It is a prayer asking for their strength, blessings, and grace. Main Themes: Praise of Vayu Devta: The bhajan asks Vayu Devta to remove all our suffering and bless us with relief, peace, and positive energy in life. Glory of Lord Hanuman: The bhajan highlights the greatness of Hanuman, who is the son of Vayu Devta, and expresses devotion and reverence toward him. Invocation of Strength and Blessings: The bhajan appeals to Vayu Devta to fill our lives with positive energy and to remove obstacles and challenges. True Devotion: Through this bhajan, devotees express their deep devotion and seek divine blessings and grace to bring prosperity and happiness into their lives. वायु देवता पूजा विधि (Pooja Vidhi): स्थान का चयन:पूजा के लिए एक स्वच्छ और शांत स्थान चुनें। यह स्थान घर का कोई पवित्र हिस्सा हो सकता है, जैसे पूजा कक्ष या मंदिर का स्थान। स्नान और शुद्धता:पूजा से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। यह शारीरिक और मानसिक शुद्धता का प्रतीक है। पुजन सामग्री तैयार करें:पूजा की सामग्री (पूजा सामिग्री) एक स्थान पर व्यवस्थित करें। दीप जलाना:पूजा स्थल पर एक दीपक या तेल का दीपक जलाएं, जो घर में सकारात्मक ऊर्जा और शांति का वायुमंडल बनाए। वायु देवता का चित्र या मूर्ति स्थापित करें:वायु देवता का चित्र या मूर्ति पूजा स्थल पर रखें। यदि हनुमान जी की मूर्ति हो तो उसे भी साथ रखें। अक्षत (चावल) और फूल चढ़ाएं:वायु देवता को ताजे फूल और अक्षत (चावल) चढ़ाएं। साथ ही, वायु देवता का ध्यान और पूजन मंत्र का जाप करें। मंत्र का जाप:“ॐ वायुपुत्राय नमः” या “ॐ हनुमते नमः” मंत्र का जाप करें। इस मंत्र को 108 बार या जितनी बार संभव हो, उसे जाप करें। धूप और अगरबत्ती:पूजा स्थल पर धूप या अगरबत्ती जलाएं। यह वातावरण को शुद्ध और धार्मिक बनाता है। भोग अर्पित करें:वायु देवता को पंखे, ताजे फल, और मीठे पकवानों का भोग अर्पित करें। अर्चना और पूजा के बाद प्रार्थना:पूजा के बाद अपने परिवार की सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करें। अंत में वायु देवता का धन्यवाद करें। प्रसाद वितरित करें:पूजा के बाद प्रसाद को सभी परिवारजनों में बांटें। वायु देवता पूजा सामग्री (Pooja Samagri): वायु देवता की मूर्ति या चित्र दीपक या तेल का दीप पंखा (वायु देवता के प्रतीक के रूप में) ताजे फूल (पुष्प अर्पित करने के लिए) अक्षत (चावल) अगरबत्ती या धूप पानी से भरा कलश फल (ताजे फल अर्पित करने के लिए) मिठाई और पकवान (भोग के रूप में) पुजन थाली (सभी सामग्री रखने के लिए) कुंकुम, चंदन, और रोली (तिलक करने के लिए) पार्टी या कपड़ा (विभिन्न धार्मिक कार्यों के लिए) ध्यान रखें: पूजा के दौरान ध्यान और समर्पण की भावना रखनी चाहिए। वायु देवता की पूजा से मानसिक शांति और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। https://youtu.be/Lb043a84q3k?si=T0NxJeguOItsTW0g
इंद्र भजन – भगवान इंद्र की महिमा का गुणगान

इंद्र भजन – भगवान इंद्र की महिमा का संगीतमय गुणगान इंद्र भजन इंद्रदेव की महिमा गाएँ,करें कृपा, सुख बरसाएँ।सिंहासन पर विराजे देव,सदा करें भक्तों का सेव। वर्षा से जग में हरियाली,उनकी कृपा से खुशहाली।इंद्र धनुष का सुंदर रंग,सबको देता प्रेम संग। हे इंद्रदेव, कृपा बरसाओ,भक्तों की नैया पार लगाओ।सभी पर हो दया तुम्हारी,करो पूर्ण हर मनोकामना सारी। गूंजे तेरी जय-जयकार,इंद्रदेव हमारे पालनहार! इंद्र भजन का अर्थ: इंद्र भजन में भगवान इंद्र की महिमा का वर्णन किया गया है। इंद्रदेव भारतीय धर्म में देवताओं के राजा और वर्षा के देवता माने जाते हैं। उनका आशीर्वाद न केवल बारिश के रूप में धरती पर जीवन देता है, बल्कि सभी जीवों को सुख, समृद्धि और शांति प्रदान करता है। इस भजन के माध्यम से भक्त भगवान इंद्र से उनके कृपापूर्ण आशीर्वाद की प्रार्थना करते हैं। “इंद्रदेव की महिमा गाएँ, करें कृपा, सुख बरसाएँ” – यह पंक्ति इंद्रदेव की महिमा का गुणगान करती है और प्रार्थना करती है कि इंद्रदेव अपनी कृपा बरसाएँ, जिससे सभी को सुख और समृद्धि मिले। “सिंहासन पर विराजे देव, सदा करें भक्तों का सेव” – इंद्रदेव को सिंहासन पर प्रतिष्ठित देवता के रूप में दर्शाया गया है, जो हमेशा अपने भक्तों की सेवा करते हैं और उनकी रक्षा करते हैं। “वर्षा से जग में हरियाली, उनकी कृपा से खुशहाली” – इंद्रदेव की कृपा से धरती पर वर्षा होती है, जो जीवन के लिए आवश्यक है और साथ ही यह खुशहाली और समृद्धि लाती है। “इंद्र धनुष का सुंदर रंग, सबको देता प्रेम संग” – इंद्र धनुष, जो इंद्रदेव के आशीर्वाद का प्रतीक है, उसकी सुंदरता और रंगों के माध्यम से भगवान का प्रेम सभी पर समान रूप से बरसता है। “हे इंद्रदेव, कृपा बरसाओ, भक्तों की नैया पार लगाओ” – यहाँ भक्त इंद्रदेव से अपनी प्रार्थना करते हैं कि वे उनकी सभी परेशानियों को दूर करके जीवन को सुखी और समृद्ध बनायें, जैसे किसी नाव को पार लगाना। “सभी पर हो दया तुम्हारी, करो पूर्ण हर मनोकामना सारी” – इस पंक्ति में भक्त भगवान इंद्र से यह प्रार्थना करते हैं कि उनकी दया सभी पर हो, और वे सभी की इच्छाओं को पूरा करें। “गूंजे तेरी जय-जयकार, इंद्रदेव हमारे पालनहार!” – भजन के अंत में भक्त भगवान इंद्र की जयकार करते हैं और उन्हें हमारे जीवन के पालनहार के रूप में सम्मान देते हैं। यह भजन भगवान इंद्र की महानता को स्वीकार करता है और उनकी कृपा की प्रार्थना करता है, ताकि वे जीवन में सुख और समृद्धि लेकर आएं। Meaning of the Bhajan (Chandra Mahima) This bhajan depicts the glory of the moon (Chandra) and its coolness. The moon is shown as residing on Lord Shiva’s head, symbolizing divine light that removes darkness. “Chandra chamke gagan mein, sheetal kirne barsaye” – The moon shines brightly in the sky, spreading its cool and peaceful rays across the world. This coolness symbolizes the calmness and peace the moon brings to our minds and hearts. “Shiv ke mastak viraje, jyoti anant dikhaye” – The moon is depicted as residing on Lord Shiva’s head. This signifies the divinity and power of Shiva, and the moon is also a symbol of infinite light that eliminates ignorance and darkness. “Chandra se sheetalta aaye, man ko shanti de jaye” – The moon’s coolness not only refreshes the environment but also brings peace and tranquility to our minds. It symbolizes mental calmness and inner balance. “Karuna, prem, daya ka sandesh yeh laaye” – Through the moon, this bhajan carries a message of compassion, love, and kindness. It encourages us to practice gentleness and empathy in our lives. “Radha sang Krishna nihare, amrit ras barsaye” – The bhajan also connects the moon with Lord Krishna and Radha, symbolizing their divine union. Krishna and Radha are depicted as showering nectar-like love and devotion, representing divine grace and the bliss of devotion. “Bhakton ke man ko bhaye, andhyara mitaaye” – Finally, it is said that the moon enchants the hearts of devotees and dispels the darkness in their lives. It symbolizes that the moon’s light brings knowledge, hope, and progress into our lives. पूजा विधि और पूजा सामग्री: पूजा विधि: सर्वप्रथम स्वच्छता:पूजा आरंभ करने से पहले, पूजा स्थल को स्वच्छ करें। साफ कपड़े पहनें और मन को शुद्ध करें। पुजारी या स्वयं पूजा करने वाले व्यक्ति का आचार-विचार:पूजा करते समय अपने मन, वचन और क्रिया को शुद्ध रखने का ध्यान रखें। पूजा को श्रद्धा और भक्ति के साथ करें। दीपक जलाना:पूजा स्थल पर दीपक या दीया रखें और उसे घी या तेल से जलाएं। दीपक का प्रतीक ज्ञान, प्रकाश और तात्त्विक शुद्धता होता है। स्मरण और मंत्र जाप:भगवान का नाम स्मरण करें और उनसे सच्चे दिल से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मंत्रों का उच्चारण करें। ध्यान रहे कि मंत्र का जाप शुद्धता और आस्था से किया जाए। पानी का छिड़काव:जल को स्वच्छ पात्र में रखें और उसे देवता की मूर्ति पर छिड़कें। यह एक शुद्धिकरण का तरीका है। आहुति या अर्पण:भगवान के सामने पुष्प, फल, मिठाई, और अन्य सामग्री अर्पित करें। आरती:पूजा के अंत में, भगवान के समक्ष दीपक या अगरबत्ती दिखाकर आरती करें। इसका उद्देश्य ईश्वर को प्रसन्न करना और उनके आशीर्वाद प्राप्त करना है। प्रसाद वितरण:पूजा के बाद, भगवान के प्रसाद को भक्तों में वितरित करें और उसे श्रद्धा से ग्रहण करें। पूजा सामग्री: पुजा थाली:पूजा सामग्री को रखने के लिए एक थाली या पात्र लें। दीपक/दीया:तेल का दीपक या घी का दीपक जलाने के लिए। अगरबत्ती (धूप):ईश्वर की उपस्थिति महसूस करने के लिए। पानी:देवता की मूर्ति पर जल अर्पित करने के लिए। पुष्प (फूल):भगवान को अर्पित करने के लिए ताजे फूल। फल:भगवान को अर्पित करने के लिए ताजे फल जैसे केले, सेब, नारियल आदि। मिठाई:भगवान को अर्पित करने के लिए मिठाई, विशेष रूप से लड्डू या कोई अन्य प्रसाद। चंदन और कुमकुम:तिलक करने के लिए। संगीत (ढोलक/मजीरा):पूजा में भजन या आरती के दौरान वादन सामग्री। पट्टी/चादर:भगवान की मूर्ति या चित्र के सामने चादर या पट्टी रखें। संकलन (चावल, सिक्के):पूजा में अर्पित करने के लिए चावल, सिक्के आदि। पंखा (चमेली या पत्र):भगवान को प्रसन्न करने के लिए उनका आदर दिखाने के लिए। पूजा विधि और सामग्री भिन्न-भिन्न पूजा के प्रकार के अनुसार थोड़ी बदल सकती
अग्नि भजन – आध्यात्मिक जागरण का संदेश

अग्नि भजन – आत्मशुद्धि और भक्ति की ज्योति अग्नि भजनअग्नि है शक्ति, अग्नि है पूजा,अग्नि से होता हर संकट दूजा।ज्योति जले मन के भीतर,हर अंधकार हो जाए निष्कर। अग्नि में बसा है तेज अपार,करो आराधना, मिटे विकार।सत्य, धर्म का प्रकाश लाए,भक्ति में रंग, नव चेतना छाए। मन के भीतर अग्नि प्रज्वलित हो,हर शंका, संशय निर्मल हो।अग्नि है जीवन, अग्नि है प्राण,इसमें ही छिपा है ब्रह्म का ज्ञान। 🔥 “अग्नि से भक्ति, अग्नि से शक्ति, अग्नि से आत्मा की मुक्ति।” अग्नि भजन का अर्थ अग्नि भजन का मतलब केवल एक धार्मिक गीत या मंत्र से कहीं अधिक है। इस भजन में अग्नि को आध्यात्मिक शक्ति और जीवन की एक प्रमुख ऊर्जा के रूप में प्रस्तुत किया गया है। अग्नि को शुद्धता, बल, और आंतरिक परिवर्तन का प्रतीक माना जाता है। इसे जीवन में परिवर्तन लाने वाली शक्ति के रूप में देखा जाता है। भजन में अग्नि की भूमिका को समझते हुए यह स्पष्ट होता है कि आत्मा के अंधकार को नष्ट करने और आत्मशुद्धि के मार्ग में अग्नि का महत्वपूर्ण स्थान है। अग्नि का आध्यात्मिक संदर्भ शक्ति और ऊर्जा: अग्नि को जीवन की शक्ति और ऊर्जा के स्रोत के रूप में देखा जाता है। जैसे अग्नि बिना किसी बाधा के जलती रहती है, वैसे ही हमें भी अपनी आध्यात्मिक यात्रा में बिना रुके आगे बढ़ते रहना चाहिए। आत्मशुद्धि: भजन में अग्नि को शुद्धि और संतुलन के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। इसे हमारे विचारों और भावनाओं को शुद्ध करने वाली ऊर्जा माना जाता है, जिससे आत्मा को शांति मिलती है। आध्यात्मिक जागरण: अग्नि की तेज़ रौशनी से अंधकार का नाश होता है, और इसी तरह भक्ति के मार्ग पर चलने से हमारी आत्मा का जागरण होता है। यह हमें परमात्मा के निकट पहुंचने का मार्ग दिखाता है। धर्म और सत्य का प्रतीक: अग्नि का संबंध धर्म, सत्य और न्याय से जोड़ा गया है। यह एक ऐसी ऊर्जा है जो हर झूठ और भ्रम को खत्म कर देती है, और हमें सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। इस प्रकार, अग्नि भजन न केवल एक साधारण भक्ति गीत है, बल्कि यह हमें आत्मा की शुद्धि, भक्ति और आध्यात्मिक ज्ञान की ओर मार्गदर्शन करता है। यह भजन व्यक्ति को अपने भीतर की शक्ति को पहचानने और उसे जागृत करने की प्रेरणा देता है। Meaning of the Agni Bhajan The Agni Bhajan is much more than just a devotional song or mantra. In this bhajan, Agni (fire) is depicted as a symbol of spiritual power and a fundamental energy in life. Fire is considered a symbol of purity, strength, and inner transformation. It is viewed as a force that brings change and purification. Understanding the role of fire in this bhajan makes it clear that fire has a crucial position in eliminating the darkness within the soul and in the path of self-purification. Power and Energy: Fire is seen as a source of life and energy. Just as fire burns without any obstruction, similarly, we must continue progressing on our spiritual journey without hindrances. Self-Purification: Fire is presented as a purifier and balance keeper. It is seen as a force that purifies our thoughts and emotions, leading to inner peace and tranquility for the soul. Spiritual Awakening: Just as fire’s blazing light dispels darkness, devotion on the spiritual path leads to the awakening of the soul. It helps one get closer to the Divine and gain greater spiritual insight. Symbol of Dharma and Truth: Fire is associated with righteousness, truth, and justice. It is a force that burns away all lies and illusions, guiding us to walk on the righteous path. पूजा विधि और पूजा सामग्री (पूजा सामग्री की सूची) पूजा विधि (पूजा करने का तरीका): संगठन और तैयारी:सबसे पहले, पूजा स्थल को स्वच्छ करें। वहां दीपक, अगरबत्ती, फूल, और अन्य पूजा सामग्री रखें। पूजा करने से पहले नहाकर स्वच्छ वस्त्र पहनें और शुद्ध मन से पूजा करें। आसन पर बैठना:पूजा स्थल पर एक आसन बिछाकर उस पर बैठें। ध्यान रखें कि पूजा करने वाली दिशा उत्तर या पूर्व हो। देवताओं का आह्वान:पूजा के दौरान पहले भगवान का आह्वान (स्मरण) करें। भगवान के नाम का जाप करते हुए उन्हें बुलाएं और ध्यान से पूजा की शुरुआत करें। अर्घ्य और जल चढ़ाना:भगवान को जल अर्पित करें। इसके बाद अगरबत्ती और दीपक जलाएं। इनसे वातावरण में शुद्धता और दिव्यता का संचार होता है। फूल और पत्र चढ़ाना:भगवान को ताजे फूल और पत्तियां अर्पित करें। विशेष रूप से तुलसी के पत्ते पूजा में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। नैवेद्य अर्पित करना:भगवान को मिठाई, फल, या कोई और पसंदीदा वस्तु अर्पित करें। यह अर्पण श्रद्धा और प्रेम का प्रतीक होता है। प्रसाद वितरण:पूजा के बाद भगवान का प्रसाद लें और फिर उसे परिवार के सभी सदस्यो को वितरित करें। स्मरण और आभार:पूजा के अंत में भगवान का धन्यवाद करें और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करें। पूजा सामग्री (पूजा में उपयोग होने वाली सामग्री): दीपक (दीया) – भगवान के समक्ष प्रकाश स्थापित करने के लिए। अगरबत्ती और धूप – वातावरण को शुद्ध और सुगंधित बनाने के लिए। पंखा और चंदन – ताजगी और शीतलता प्रदान करने के लिए। पानी और कलश – पूजा के दौरान जल चढ़ाने के लिए। फूल (विशेष रूप से गुलाब, चमेली, और तुलसी) – भगवान को अर्पित करने के लिए। चावल और हल्दी – शुभता और समृद्धि का प्रतीक। फल और मिठाई – भगवान को अर्पित करने के लिए। पत्तियां (विशेष रूप से तुलसी के पत्ते) – पूजा में इस्तेमाल होते हैं। लाल, सफेद या पीले वस्त्र – भगवान के चरणों में अर्पित करने के लिए। घी या तेल का दीपक – रोशनी और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने के लिए। शंख – पूजा के समय शंख का रुद्रस्वर करने से वातावरण में शक्ति का संचार होता है। कपूर और रुई – दीपक के साथ जलाने के लिए, पूजा में शुद्धता का प्रतीक होता है। विभूति और अक्षत – भगवान के चरणों में अर्पित करने के लिए। पेटी और पूजा थाली – सभी सामग्री को रखने के लिए। यह पूजा विधि और सामग्री एक सामान्य पूजा के लिए है। यदि आप किसी विशेष पूजा (जैसे गणेश पूजा, शिव पूजा,
सूर्य देव भजन | प्रार्थना और स्तुति

प्रभु सूर्य की महिमा में मधुर भजन भजन:सूर्य देव की आराधना, जीवन में लाए उजियारा।सत्कर्म का दीप जलाकर, करें नमन हम प्यारा॥ ऊर्जा के स्रोत हे प्रभु, जग में तुम हो आधार।तेरी कृपा से चलता जीवन, तुमसे सब संसार॥ सदा चमकते रहो गगन में, दूर करो अंधियारा।तेरी कृपा से जागे हम, करुणा बरसाओ न्यारा॥ हे दिवाकर, जय जयकार, तेरा प्रकाश अपरंपार।भक्तों के मन में बस जाओ, करो कृपा अपार॥ भजन का अर्थ: यह भजन सूर्य देव की महिमा का गान है, जिसमें उनकी कृपा और शक्ति को श्रद्धा से स्तुति की जाती है। भजन में सूर्य देव को जीवन में ऊर्जा और प्रकाश का स्रोत बताया गया है, जो अंधकार को दूर करके हमें सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं। “सूर्य देव की आराधना, जीवन में लाए उजियारा।”इस पंक्ति में सूर्य देव की पूजा और अर्चना की जा रही है, जिससे जीवन में प्रकाश और सकारात्मकता का संचार होता है। “सत्कर्म का दीप जलाकर, करें नमन हम प्यारा।”यह बताता है कि अच्छे कर्मों के प्रकाश से हम भगवान को नमन करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। “ऊर्जा के स्रोत हे प्रभु, जग में तुम हो आधार।”सूर्य देव को जीवन और ऊर्जा का स्रोत कहा गया है, जो सम्पूर्ण संसार का आधार हैं। “तेरी कृपा से चलता जीवन, तुमसे सब संसार।”यह पंक्ति इस तथ्य को प्रकट करती है कि सूर्य देव की कृपा से ही सभी जीवों का जीवन चलता है और सम्पूर्ण संसार अस्तित्व में है। “सदा चमकते रहो गगन में, दूर करो अंधियारा।”सूर्य देव से प्रार्थना की जा रही है कि वे हमेशा आकाश में चमकते रहें और संसार से अंधकार को दूर करें। “तेरी कृपा से जागे हम, करुणा बरसाओ न्यारा।”यहां भगवान सूर्य से विनती की जा रही है कि उनकी कृपा से हम जागृत हों और वे अपनी अनंत करुणा बरसाएं। “हे दिवाकर, जय जयकार, तेरा प्रकाश अपरंपार।”सूर्य देव को दिवाकर (प्रकाश देने वाला) कहा गया है और उनकी अपरंपार प्रकाश शक्ति की जय-जयकार की जा रही है। “भक्तों के मन में बस जाओ, करो कृपा अपार।”यह पंक्ति सूर्य देव से यह निवेदन करती है कि वे अपने भक्तों के दिलों में बस जाएं और अपनी अनमोल कृपा बरसाएं। Meaning of the Bhajan: This bhajan is a hymn in praise of Lord Surya (the Sun God), where his grace and power are worshipped. The bhajan emphasizes Surya Dev as the source of energy and light, removing darkness and guiding us towards the right path. “Surya Dev ki Aradhana, jeevan mein laaye ujiyara.”This line praises Lord Surya and acknowledges that his worship brings light and positivity into one’s life. “Satkarma ka deep jalakar, karein naman hum pyaara.”It signifies that by lighting the lamp of good deeds, we offer our respect and prayers to Lord Surya. “Urja ke srot hai Prabhu, jag mein tum ho aadhar.”Here, Surya Dev is described as the source of life and energy, who is the foundation of the entire universe. “Teri kripa se chalta jeevan, tumse sab sansar.”This line expresses that it is by the grace of Surya Dev that life exists and the entire world functions. “Sada chamakte raho gagan mein, door karo andhiyara.”A prayer to Lord Surya to always shine in the sky and remove the darkness from the world. “Teri kripa se jaage hum, karuna barsao nyaara.”It is a plea for Lord Surya to bless us with his grace and awaken us, showering us with his unique compassion. “Hey Divakar, Jai Jai Kaar, Tera prakaash aparanpaar.”Surya Dev is praised as the giver of light (Divakar), and his infinite radiance is celebrated with chants of victory. “Bhakton ke mann mein bas jao, karo kripa apaar.”This line asks Lord Surya to reside in the hearts of his devotees and shower them with boundless grace. सूर्य पूजा विधि और पूजन सामग्री: सूर्य पूजा विधि: स्नान और शुद्धता:पूजा आरंभ करने से पहले शरीर और मन की शुद्धता आवश्यक है। सबसे पहले सूर्योदय से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा। स्थान का चयन:सूर्य पूजा के लिए एक स्वच्छ स्थान चुनें, जहां सूरज की रौशनी सीधे पहुंच सके। अगर घर में कोई छत या आंगन हो तो वहां पूजा करना बेहतर रहता है। आसनीय और धूप:सूर्य देव की पूजा करते समय पश्चिम की ओर मुंह करके बैठें। एक साफ आसन (चादर या आसन) बिछा लें और उसके ऊपर दीपक या अगरबत्ती जलाएं। इसके साथ सूरज की किरणें आप पर पड़ने दें। पानी अर्पित करें:एक बर्तन में जल लें और उसमें थोड़ी सी चंदन, कुंकुम और फूल डालकर सूर्य देव को अर्पित करें। साथ ही साथ सूरज की ओर अर्घ्य (जल अर्पण) दें। मंत्रों का जाप:सूर्य देव की पूजा में ‘ॐ सूर्याय नमः’ और ‘ॐ आदित्याय च सोमाय मangalाय बुधाय च’ जैसे मंत्रों का जाप करें। यह मंत्र सूर्य देव की आराधना में विशेष रूप से प्रभावी होते हैं। धूप और दीपक:सूर्य देव को धूप, दीपक, और गुलाब के फूल अर्पित करें। दीपक को जलाकर सूर्य देव के आगे रखें और उनका ध्यान करें। भोग अर्पण:पूजा के अंत में सूर्य देव को मीठे पदार्थ (जैसे ताजे फल, हलवा, चने आदि) अर्पित करें। यह एक प्रकार की आभार प्रकट करने की प्रक्रिया होती है। पूजा का समापन:अंत में सूर्य देव का धन्यवाद करें और ‘ॐ सूर्याय नमः’ का मंत्र 108 बार जाप करें। पूजा को अंत में प्रणाम करके समाप्त करें। सूर्य पूजा सामग्री: सूर्य प्रतिमा या चित्र – सूर्य देव की मूर्ति या चित्र, जो पूजा स्थल पर रखें। दीपक या अगरबत्ती – सूर्य देव के सामने दीपक या अगरबत्ती जलाने के लिए। पानी (अर्घ्य देने के लिए) – सूर्य देव को जल अर्पित करने के लिए। चंदन, कुंकुम और सिंदूर – सूर्य देव को चंदन, कुंकुम अर्पित करने के लिए। गुलाब के फूल – पूजा में अर्पित करने के लिए। फल, ताजे अनाज, और मिठाइयाँ – भोग के लिए। चावल और कच्चे मूंग – पूजा में चढ़ाने के लिए। ताम्बा या कांसे का पात्र – अर्घ्य अर्पित करने के लिए। पानी से भरा कलश – सूर्य देव को जल अर्पित करने के लिए। पवित्र आसन (चादर या आसन) – पूजा के लिए स्वच्छ स्थान पर
चंद्र महिमा भजन – शिव और कृष्ण की ज्योति

चंद्र महिमा भजन – शिव और कृष्ण की कृपा भजन: 🌙 चंद्र की महिमा 🌙 चंद्र चमके गगन में, शीतल किरणें बरसाए।शिव के मस्तक विराजे, ज्योति अनंत दिखाए।। चंद्र से शीतलता आए, मन को शांति दे जाए।करुणा, प्रेम, दया का संदेश यह लाए।। राधा संग कृष्ण निहारे, अमृत रस बरसाए।भक्तों के मन को भाए, अंधियारा मिटाए।। भजन का अर्थ (चंद्र महिमा) यह भजन चंद्रमा की महिमा और उसकी शीतलता को दर्शाता है। यहाँ चंद्रमा को भगवान शिव के मस्तक पर विराजित रूप में प्रस्तुत किया गया है। चंद्रमा की शीतलता और उसकी ज्योति का प्रतीक है जो संसार के अंधकार को मिटाता है। “चंद्र चमके गगन में, शीतल किरणें बरसाए” – यहाँ चंद्रमा को गगन में चमकते हुए दिखाया गया है, जो अपनी शीतल और शांति देने वाली किरणें दुनिया में बिखेरता है। चंद्रमा की यह शीतलता हमें मानसिक शांति और सुकून प्रदान करती है। “शिव के मस्तक विराजे, ज्योति अनंत दिखाए” – चंद्रमा को भगवान शिव के मस्तक पर विराजमान कहा गया है। शिव की मस्तक पर चंद्रमा का होना उसकी दिव्यता और शक्ति को दर्शाता है, साथ ही यह अनंत ज्योति का प्रतीक है, जो अज्ञान और अंधकार को नष्ट करता है। “चंद्र से शीतलता आए, मन को शांति दे जाए” – चंद्रमा की शीतलता केवल बाहरी वातावरण को शीतल नहीं करती, बल्कि यह हमारे मन को भी शांति और संतुलन प्रदान करती है। चंद्रमा का यह असर हमें आंतरिक शांति और मानसिक स्थिरता दिलाता है। “करुणा, प्रेम, दया का संदेश यह लाए” – चंद्रमा के माध्यम से यह भजन प्रेम, करुणा और दया के संदेश को फैलाता है। यह संदेश हमें जीवन में सौम्यता और सहानुभूति का अभ्यास करने की प्रेरणा देता है। “राधा संग कृष्ण निहारे, अमृत रस बरसाए” – चंद्रमा की महिमा का वर्णन करते हुए यहाँ राधा और कृष्ण के दृश्य को भी जोड़ा गया है। यहाँ कृष्ण और राधा की जोड़ी को अमृत रस बरसाते हुए दिखाया गया है, जो भक्ति, प्रेम और भगवान की कृपा का प्रतीक है। “भक्तों के मन को भाए, अंधियारा मिटाए” – अंत में, भजन में यह कहा गया है कि चंद्रमा भक्तों के दिलों को भाता है और उनके जीवन के अंधकार को दूर करता है। इसका तात्पर्य है कि चंद्रमा की ज्योति हमारे जीवन में ज्ञान, आशा और प्रगति की रोशनी लेकर आती है। सारांश:यह भजन चंद्रमा की महिमा, भगवान शिव और कृष्ण के साथ जुड़ी उनकी कृपा और शांति का प्रतीक है। चंद्रमा की शीतलता, प्रेम और दया के साथ यह भजन हमारे मन और जीवन में शांति और संतुलन लाने का संदेश देता है। Meaning of the Bhajan (Chandra Mahima) This bhajan depicts the glory of the moon (Chandra) and its coolness. The moon is shown as residing on Lord Shiva’s head, symbolizing divine light that removes darkness. “Chandra chamke gagan mein, sheetal kirne barsaye” – The moon shines brightly in the sky, spreading its cool and peaceful rays across the world. This coolness symbolizes the calmness and peace the moon brings to our minds and hearts. “Shiv ke mastak viraje, jyoti anant dikhaye” – The moon is depicted as residing on Lord Shiva’s head. This signifies the divinity and power of Shiva, and the moon is also a symbol of infinite light that eliminates ignorance and darkness. “Chandra se sheetalta aaye, man ko shanti de jaye” – The moon’s coolness not only refreshes the environment but also brings peace and tranquility to our minds. It symbolizes mental calmness and inner balance. “Karuna, prem, daya ka sandesh yeh laaye” – Through the moon, this bhajan carries a message of compassion, love, and kindness. It encourages us to practice gentleness and empathy in our lives. “Radha sang Krishna nihare, amrit ras barsaye” – The bhajan also connects the moon with Lord Krishna and Radha, symbolizing their divine union. Krishna and Radha are depicted as showering nectar-like love and devotion, representing divine grace and the bliss of devotion. “Bhakton ke man ko bhaye, andhyara mitaaye” – Finally, it is said that the moon enchants the hearts of devotees and dispels the darkness in their lives. It symbolizes that the moon’s light brings knowledge, hope, and progress into our lives. पूजा विधि (Pooja Vidhi): साफ-सफाईपूजा स्थल को अच्छी तरह से साफ करें और स्वच्छता बनाए रखें। पूजा से पहले स्नान करना शुभ माना जाता है। पूजा सामग्री की तैयारीपूजा सामग्री को एक जगह पर रखें, जैसे कि दीपक, अगरबत्ती, फूल, जल, तांबे या चांदी की थाली, पूजा चावल, रक्षासूत्र, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, चीनी), भगवान की तस्वीर या प्रतिमा आदि। सिद्धि वचन (मंत्रोच्चारण)भगवान के समक्ष ‘ॐ’ मंत्र का उच्चारण करते हुए पूजा का आरंभ करें। आप जिस देवी-देवता की पूजा करना चाहते हैं, उनके संबंधित मंत्र का जप करें। देवता का आह्वानदीपक और अगरबत्ती जलाकर भगवान के समक्ष उन्हें आमंत्रित करें। प्रसाद अर्पित करेंपूजा में फल, मिठाई, फूल और पंचामृत भगवान को अर्पित करें। ध्यान और ध्यान की प्रक्रियाभगवान के सामने बैठकर शांत मन से ध्यान करें। भगवान की महिमा का गायन करें, जैसे ‘भगवान की जय’ या ‘ॐ नमः शिवाय’ आदि। आरतीपूजा के बाद भगवान की आरती करें। दीपक को हाथ में लेकर उसकी चारों बातियों से आरती करें और उनका ध्यान करें। प्रसाद का वितरणपूजा के बाद प्रसाद का वितरण करें और सबको आशीर्वाद दें। पूजा का समापनपूजा समाप्त करने से पहले भगवान का धन्यवाद करें और उनके आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करें। पूजा सामग्री (Pooja Samagri): दीपक (Lamp) अगरबत्ती (Incense Sticks) पानी (Water) फल (Fruits) फूल (Flowers) पंचामृत (Milk, Curd, Ghee, Honey, Sugar) मिठाई (Sweets) तुलसी के पत्ते (Tulsi Leaves) चंदन (Sandalwood) रक्षासूत्र (Rakhi Thread) कमल का फूल (Lotus Flower) सुपारी (Betel Nut) धूप (Camphor) चावल (Rice) नैवेद्य (Offering Food/Prasad) दीपक जलाने के लिए घी (Ghee for lamp) ताम्बा या चांदी की थाली (Copper or Silver Plate) भगवान की प्रतिमा या चित्र (Idol or Picture of the deity) रुद्राक्ष माला (Rudraksha Beads) समाप्ति:पूजा में ईश्वर को प्रसन्न करने के लिए सभी सामग्रियों का सही उपयोग करें और ध्यानपूर्वक विधि का पालन करें। https://youtu.be/c1ywG7sNVyc?si=1uPmtV2csm5EvhBZ
यामा भजन – जीवन और मरण का रहस्य

यामा भजन – जीवन और मरण का अद्भुत रहस्य भजन: यामा यामा, तेरी माया अपार,सब जग तेरा रूप संवार।धूप-छांव का खेल अनोखा,जीवन-मरण का चक्र अनोखा। तेरी लीला कोई ना जाने,सब तेरी रचना पहचाने।न्याय तेरा सच्चा प्यारा,संसार का तू रखवाला। तेरा ध्यान जो मन लगाए,भवसागर से पार हो जाए।यामा, तेरी महिमा न्यारी,भक्तों पर कृपा तू भारी। भजन “यामा” का अर्थ: यामा, तेरी माया अपार,(हे यमराज, तुम्हारी माया असीम है।) सब जग तेरा रूप संवार।(सारा संसार तुम्हारी इच्छा से चलता है।) धूप-छांव का खेल अनोखा,(जीवन में सुख-दुख का खेल अनोखा है।) जीवन-मरण का चक्र अनोखा।(जन्म और मृत्यु का चक्र रहस्यमयी है।) तेरी लीला कोई ना जाने,(तुम्हारी लीला को कोई पूरी तरह नहीं समझ सकता।) सब तेरी रचना पहचाने।(हर कोई तुम्हारी रचना को देख सकता है।) न्याय तेरा सच्चा प्यारा,(तुम्हारा न्याय निष्पक्ष और सत्य है।) संसार का तू रखवाला।(तुम पूरे संसार के संरक्षक हो।) तेरा ध्यान जो मन लगाए,(जो तुम्हारा ध्यान करता है,) भवसागर से पार हो जाए।(वह इस संसार सागर से पार हो जाता है।) यामा, तेरी महिमा न्यारी,(हे यमराज, तुम्हारी महिमा अनोखी है।) भक्तों पर कृपा तू भारी।(तुम अपने भक्तों पर विशेष कृपा करते हो।) 👉 इस भजन में यमराज की महानता, जीवन और मृत्यु के रहस्य, तथा उनके न्याय की सच्चाई का गुणगान किया गया है। Meaning of the Bhajan “Yama” in English: Yama, your illusion is vast,(O Lord Yama, your power and influence are boundless.) The entire world thrives under your rule.(The whole universe functions according to your will.) The play of light and shadow is unique,(The ups and downs of life are mysterious.) The cycle of life and death is wondrous.(Birth and death follow an extraordinary cycle.) No one fully understands your divine play,(No one can completely comprehend your ways.) Yet, all recognize your creation.(Everyone acknowledges the existence of your creation.) Your justice is true and dear,(Your judgment is fair and just.) You are the protector of this world.(You safeguard and govern the universe.) Whoever meditates upon you,(Those who devote themselves to you,) Crosses the ocean of existence.(Can transcend the cycle of life and death.) Yama, your glory is unique,(O Lord Yama, your greatness is unparalleled.) You shower immense grace upon your devotees.(You bestow special blessings upon your true followers.) यमराज पूजा विधि और सामग्री 📌 पूजा सामग्री (Pooja Samagri): मूर्ति या चित्र – यमराज की प्रतिमा या चित्र कलश – जल से भरा तांबे/पीतल का कलश रोली, अक्षत (चावल) – तिलक के लिए हल्दी, कुमकुम – शुभ चिन्ह के लिए धूप, दीप – वातावरण को पवित्र करने के लिए गुग्गुल/अगरबत्ती – सुगंधित धूप नैवेद्य (भोग) – गुड़, तिल, फल, मिष्ठान पुष्प (फूल) – अर्पण के लिए पान, सुपारी – पूजन में उपयोगी गंगाजल – शुद्धिकरण के लिए काले तिल – यमराज को प्रिय ध्यान व मंत्र – यमराज के नाम का जाप करने हेतु 🕉️ पूजा विधि (Pooja Vidhi): स्नान एवं शुद्धिकरण – स्वच्छ होकर पूजा स्थल को पवित्र करें। कलश स्थापना – जल से भरे कलश को यमराज के सामने रखें। दीप प्रज्वलन – दीपक जलाकर पूजा प्रारंभ करें। आवाहन – यमराज का ध्यान कर उन्हें आमंत्रित करें। तिलक व पुष्प अर्पण – मूर्ति/चित्र पर रोली, अक्षत एवं पुष्प चढ़ाएं। धूप एवं दीप दिखाएं – सुगंधित धूप व दीप से आरती करें। नैवेद्य अर्पण – गुड़, तिल और फल भोग लगाएं। मंत्र जाप – “ॐ यमाय नमः” का 108 बार जाप करें। प्रार्थना एवं आरती – यमराज की आरती करें और कृपा की प्रार्थना करें। परिक्रमा एवं प्रसाद वितरण – 3 बार परिक्रमा कर प्रसाद ग्रहण करें। 🙏 इस पूजा से यमराज की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में धर्म व न्याय की स्थापना होती है। https://youtu.be/HCDcJYcUNaw?si=ATBXVbSYkAPEzDU0
शनि देव भजन – कृपा और शांति का संदेश

शनि देव का कृपा भजन – दुख दूर करें, सुख पाएं! भजन शनि देव कृपा करो, जीवन मेरा संवार दो।कर्मों का फल मिले सदा, सत्य की राह दिखा दो।। तेरी छाया में चैन मिले, दुख सब दूर हो जाएं।तेरी आराधना करूं, मन में सुकून आ जाए।। तेल चढ़ाऊँ दीप जलाऊँ, दर्शन तेरा पाऊँ।तेरी कृपा जो मिल जाए, कष्ट सभी मिट जाऊँ।। भजन का अर्थ (हिन्दी में): यह भजन शनि देव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए समर्पित है। इसमें भक्त शनि देव से प्रार्थना करता है कि वे उसके जीवन को संवारें, कर्मों का उचित फल दें और सत्य की राह दिखाएं। भजन में बताया गया है कि शनि देव की छाया में शांति और सुकून मिलता है, दुख दूर हो जाते हैं। उनकी आराधना करने से मन को शांति मिलती है। दीप जलाकर और तेल चढ़ाकर भक्त उनके दर्शन की कामना करता है और उनकी कृपा से सभी कष्टों के मिटने की आशा करता है। Meaning of the Bhajan (In English): This bhajan is dedicated to seeking the blessings and grace of Lord Shani. The devotee prays to Shani Dev to bless and guide their life, grant the rightful fruits of karma, and show the path of truth. The bhajan conveys that in the presence of Shani Dev, one finds peace and relief from sorrows. Worshiping him brings mental peace. By lighting a lamp and offering oil, the devotee wishes for his divine darshan (sight) and hopes that all hardships will be removed through his grace. शनि देव की पूजा विधि और पूजा सामग्री 🔹 पूजा सामग्री (Pooja Samagri) शनि देव की प्रतिमा या चित्र सरसों का तेल काले तिल और उड़द दाल नीले या काले फूल लोहे का दीपक गुड़ और काले चने काली वस्त्र (अगर संभव हो) धूप, दीप, कपूर पान, सुपारी, नारियल जल और गंगाजल 🔹 पूजा विधि (Pooja Vidhi) स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। शनि देव की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाएं। सरसों के तेल का दीपक जलाकर शनि देव को अर्पित करें। शनि मंत्र या शनि चालीसा का पाठ करें। काले तिल, उड़द दाल, काले चने और गुड़ का भोग लगाएं। नीले या काले फूल अर्पित करें। शनि देव से कष्ट निवारण और कृपा की प्रार्थना करें। जरूरतमंदों को तेल, अनाज, लोहे की वस्तुएं और काले तिल दान करें। 📅 विशेष: शनिवार को पूजा करना विशेष फलदायी होता है। https://youtu.be/kB0dFMBE7-g?si=pfEhRzveCxaj8zxN
ऋषभ देव भजन – श्रद्धा और भक्ति का संगम

भगवान ऋषभ देव का मधुर भजन – श्रद्धा में लीन हो जाएं भजनजय ऋषभ देव, जय ऋषभ देव,तुम हो भक्तों के मन के प्राण।त्याग, तपस्या की मूरत हो,शांत, सरल, सच्चे भगवान।। राजा बनकर धर्म सिखाया,मोक्ष मार्ग का द्वार खुलाया।तेरी भक्ति में मन रमे,तेरे गुण गाएं सुबह-साँझ।। करुणा के सागर, सत्य के राही,तेरी महिमा सबसे न्यारी।हे ऋषभ देव, कृपा बरसाओ,भक्तों के दुख सब हर जाओ।। यह भजन भगवान ऋषभ देव की महिमा का गुणगान करता है। अर्थ: “जय ऋषभ देव, जय ऋषभ देव,” – हे ऋषभ देव, आपकी जय हो, आपकी महिमा अपरंपार है। “तुम हो भक्तों के मन के प्राण।” – आप भक्तों के हृदय में बसे हुए हैं, उनके जीवन का आधार हैं। “त्याग, तपस्या की मूरत हो,” – आप त्याग और तपस्या के प्रतीक हैं। “शांत, सरल, सच्चे भगवान।।” – आप शांत, सरल और सत्य के मार्ग पर चलने वाले परम भगवान हैं। “राजा बनकर धर्म सिखाया,” – आपने एक राजा के रूप में जन्म लिया और संसार को धर्म का ज्ञान दिया। “मोक्ष मार्ग का द्वार खुलाया।” – आपने मोक्ष (निर्वाण) प्राप्त करने का मार्ग दिखाया। “तेरी भक्ति में मन रमे,” – आपका भक्तिमय स्मरण मन को शांति देता है। “तेरे गुण गाएं सुबह-साँझ।।” – आपके गुणों का स्मरण हर सुबह और शाम किया जाता है। “करुणा के सागर, सत्य के राही,” – आप करुणा से परिपूर्ण हैं और सत्य के मार्ग पर चलने वाले हैं। “तेरी महिमा सबसे न्यारी।” – आपकी महिमा अनुपम और निराली है। “हे ऋषभ देव, कृपा बरसाओ,” – हे भगवान ऋषभ देव, अपनी कृपा हम पर बरसाइए। “भक्तों के दुख सब हर जाओ।।” – अपने भक्तों के सभी दुखों को दूर कर दीजिए। Meaning in English: “Jai Rishabh Dev, Jai Rishabh Dev,” – Glory to Lord Rishabh Dev, your greatness is beyond measure. “You are the life of devotees’ hearts.” – You reside in the hearts of your devotees and are their source of life. “You are the embodiment of renunciation and penance,” – You represent sacrifice and deep meditation. “The peaceful, simple, and true Lord.” – You are the epitome of peace, simplicity, and truth. “You were born as a king to teach Dharma,” – You took birth as a king and taught the world the path of righteousness. “You opened the gateway to liberation.” – You showed the path to attaining salvation (Moksha). “My mind is immersed in your devotion,” – Remembering you brings peace and devotion to the heart. “Your virtues are sung morning and evening.” – Your glory is praised every morning and evening. “Ocean of compassion, traveler of truth,” – You are filled with kindness and walk on the path of truth. “Your greatness is unique and unparalleled.” – Your divine presence is extraordinary. “Oh Rishabh Dev, shower your grace,” – O Lord Rishabh Dev, please bless us with your divine grace. “Take away all the sufferings of your devotees.” – Kindly remove all pain and troubles of your devotees. भगवान भैरव की पूजा विधि और पूजन सामग्री 🔱 पूजन सामग्री (Pooja Samagri): भगवान भैरव की प्रतिमा या चित्र लाल या काले वस्त्र रोली, कुमकुम, चंदन अक्षत (चावल) फूल (विशेष रूप से लाल फूल) धूप, दीपक, कपूर सिंदूर और तेल (विशेषकर सरसों का तेल) मिष्ठान (लड्डू, गुड़, या हलवा) भोग में इमरती या मदिरा (यदि परंपरा अनुसार मान्य हो) पान, लौंग, इलायची नारियल और पंचमेवा जल और गंगाजल 🔱 पूजन विधि (Pooja Vidhi): स्नान और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। भगवान भैरव की प्रतिमा या चित्र को एक साफ स्थान पर स्थापित करें। सिंदूर और सरसों के तेल का दीपक जलाएं। रोली, चंदन, और अक्षत से तिलक करें। लाल या काले फूल अर्पित करें। धूप व दीप जलाकर भगवान भैरव की आरती करें। भोग अर्पित करें (इमरती, मिठाई या पारंपरिक प्रसाद)। भैरव चालीसा या भैरव मंत्र का जाप करें: “ॐ कालभैरवाय नमः” “ॐ भं भैरवाय नमः” प्रणाम कर भगवान से आशीर्वाद लें और प्रसाद वितरित करें। भक्तों को भोग बांटकर पूजा संपन्न करें। 🙏 जय भैरव नाथ! 🚩 https://youtu.be/sYIumMizefA?si=G9tV1BFNGzyAajLe
दक्षिणामूर्ति भजन – ज्ञान और आशीर्वाद का संगीतमय अनुभव

दक्षिणामूर्ति भजन – शिव के ज्ञान और अनुग्रह की मधुर धारा भजन:🚩 दक्षिणामूर्ति, ज्ञान के सागर,तेरी कृपा से मिटे अंधकार।शिव स्वरूप, गुरु हमारे,तेरे चरणों में सब सुख सारे। ज्ञान दीप जलाओ मन में,दूर करो अज्ञान के तम में।करुणा बरसाओ, कृपा बरसाओ,शरण तुम्हारी, हमें अपनाओ। 🚩 दक्षिणामूर्ति भजन का अर्थ (हिंदी में): 🚩 दक्षिणामूर्ति, ज्ञान के सागर,(हे दक्षिणामूर्ति! आप ज्ञान के अथाह सागर हैं।) तेरी कृपा से मिटे अंधकार।(आपकी कृपा से हमारे जीवन का अज्ञानरूपी अंधकार मिट जाता है।) शिव स्वरूप, गुरु हमारे,(आप शिवस्वरूप हैं और हमारे महान गुरु भी हैं।) तेरे चरणों में सब सुख सारे।(आपके चरणों में ही सच्चे सुख और शांति का वास है।) ज्ञान दीप जलाओ मन में,(हमारे मन में ज्ञान का दीप जलाइए।) दूर करो अज्ञान के तम में।(अज्ञानरूपी अंधकार को दूर कर दीजिए।) करुणा बरसाओ, कृपा बरसाओ,(हम पर अपनी करुणा और कृपा की वर्षा करें।) शरण तुम्हारी, हमें अपनाओ। 🚩(हम आपकी शरण में हैं, कृपया हमें स्वीकार करें।) Meaning of Dakshinamurthy Bhajan (in English): 🚩 Dakshinamurthy, ocean of wisdom,(O Dakshinamurthy! You are the infinite ocean of wisdom.) Your grace removes all darkness.(With your grace, the darkness of ignorance disappears.) Shiva in form, our divine Guru,(You are the embodiment of Lord Shiva and our supreme Guru.) At your feet lies all true bliss.(All true happiness and peace reside at your feet.) Light the lamp of wisdom in our minds,(Kindle the light of wisdom within our hearts.) Remove the darkness of ignorance.(Eliminate the darkness of ignorance from our lives.) Shower your compassion, bless us with grace,(Bless us with your kindness and divine grace.) We surrender to you, please accept us. 🚩(We take refuge in you; kindly accept us as your devotees.) दक्षिणामूर्ति पूजा विधि और पूजन सामग्री 🌿 पूजन सामग्री (Pooja Samagri) 🌿 भगवान दक्षिणामूर्ति की प्रतिमा या चित्र तांबे या पीतल का पूजन कलश चंदन, हल्दी, कुमकुम, अक्षत (चावल) बेलपत्र, दूर्वा, पुष्प (विशेष रूप से सफेद फूल) धूप, दीप, कपूर पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और गंगाजल) नैवेद्य (मिठाई, फल, सूखे मेवे) पवित्र जल और गंगाजल सफेद वस्त्र और रुद्राक्ष माला दक्षिणामूर्ति मंत्र और स्तोत्र की पुस्तक 🙏 पूजा विधि (Pooja Vidhi) 🙏 शुद्धिकरण – स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल को स्वच्छ करें। कलश स्थापना – तांबे या पीतल के कलश में जल भरकर आम के पत्ते व नारियल रखें। आवाहन (आमंत्रण) – दक्षिणामूर्ति का ध्यान कर पूजन का संकल्प लें। अभिषेक – भगवान को पंचामृत से स्नान कराएं और शुद्ध जल से धोकर वस्त्र अर्पित करें। तिलक और अर्पण – चंदन, हल्दी, कुमकुम, और अक्षत लगाकर पुष्प चढ़ाएं। धूप-दीप प्रज्वलन – धूप, दीप जलाकर भगवान की आरती करें। मंत्र जाप – “ॐ दक्षिणामूर्तये नमः” मंत्र का जाप 108 बार करें। प्रसाद अर्पण – फल, नैवेद्य और पंचामृत अर्पित करें। प्रदक्षिणा और ध्यान – भगवान की परिक्रमा करें और ध्यान करें। आरती और समापन – दक्षिणामूर्ति की आरती करें और सभी को प्रसाद वितरित करें। इस विधि से पूजन करने पर भगवान दक्षिणामूर्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे ज्ञान, शांति और आध्यात्मिक उन्नति मिलती है। 🙏 https://youtu.be/LNrQLgfTGJA?si=VcwBbTsJ7fdrDNnF
भैरव भजन – संकट हरने वाले भगवान भैरव की वंदना

जय भैरव! संकट मोचन भगवान भैरव का दिव्य भजन भजन 🔱 जय जय भैरव नाथ, संकट हरो हमारे।🔱 ध्वजा ऊँची, डमरू बाजे, चरणों में शीश नवाए।।🔱 काल भैरव, कृपा बरसाओ, पथ दिखलाओ प्यारे।🔱 शरण तुम्हारी आएं हम, दूर करो अंधियारे।।🔱 भूत प्रेत सब भागे तेरे, संकट का अंत कराए।🔱 मदिरा नहीं, भक्ति चढ़ाते, कृपा करो महाराजे।।🔱 जय जय भैरव नाथ, संकट हरो हमारे।। यह भजन भगवान भैरव की स्तुति और उनकी कृपा की प्रार्थना करता है। इसका अर्थ इस प्रकार है: 🔱 “जय जय भैरव नाथ, संकट हरो हमारे।”(हे भैरव नाथ! आपकी जय हो, हमारे सभी संकट दूर करें।) 🔱 “ध्वजा ऊँची, डमरू बाजे, चरणों में शीश नवाए।।”(आपकी ध्वजा ऊँची लहराए, डमरू की ध्वनि गूंजे, हम आपके चरणों में सिर झुकाते हैं।) 🔱 “काल भैरव, कृपा बरसाओ, पथ दिखलाओ प्यारे।”(हे काल भैरव! हम पर कृपा करें और सही मार्ग दिखाएं।) 🔱 “शरण तुम्हारी आएं हम, दूर करो अंधियारे।।”(हम आपकी शरण में आए हैं, हमारे जीवन के अंधकार को दूर करें।) 🔱 “भूत प्रेत सब भागे तेरे, संकट का अंत कराए।”(आपके प्रभाव से भूत-प्रेत भी भाग जाते हैं और संकट समाप्त हो जाते हैं।) 🔱 “मदिरा नहीं, भक्ति चढ़ाते, कृपा करो महाराजे।।”(हम आपको मदिरा नहीं, बल्कि भक्ति समर्पित करते हैं, कृपा करें, हे महाराज!) 🔱 “जय जय भैरव नाथ, संकट हरो हमारे।।”(हे भैरव नाथ! आपकी जय हो, हमारे सभी संकट दूर करें।) यह भजन भगवान भैरव की महिमा का गुणगान करता है और भक्तों की श्रद्धा व्यक्त करता है। 🙏🚩 This bhajan is a hymn in praise of Lord Bhairav, seeking his blessings and protection. Here is its meaning in English: 🔱 “Jai Jai Bhairav Nath, Sankat Haro Hamare.”(Hail Lord Bhairav! Remove all our troubles.) 🔱 “Dhwaja Oonchi, Damru Baje, Charanon Mein Sheesh Navae.”(Your flag waves high, the damru (drum) echoes, we bow at your feet.) 🔱 “Kaal Bhairav, Kripa Barsao, Path Dikhao Pyare.”(O Kaal Bhairav! Shower your blessings and show us the right path.) 🔱 “Sharan Tumhari Aaye Hum, Door Karo Andhiyare.”(We have come under your refuge, remove the darkness from our lives.) 🔱 “Bhoot Pret Sab Bhage Tere, Sankat Ka Ant Karaye.”(With your power, ghosts and evil spirits flee, and all troubles come to an end.) 🔱 “Madira Nahi, Bhakti Chadhate, Kripa Karo Maharaje.”(We do not offer liquor, but devotion to you—bless us, O Lord!) 🔱 “Jai Jai Bhairav Nath, Sankat Haro Hamare.”(Hail Lord Bhairav! Remove all our troubles.) This bhajan glorifies Lord Bhairav, expressing deep devotion and seeking his divine protection. 🙏🚩 भगवान भैरव की पूजा विधि एवं पूजा सामग्री 🛕 पूजा सामग्री (Pooja Samagri): भगवान भैरव की मूर्ति या चित्र पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल) सिंदूर और चंदन अक्षत (चावल के दाने) धूप, दीप और कर्पूर लाल फूल (विशेष रूप से गुड़हल) भोग (हलवा, चने, पान, मिष्ठान आदि) काला तिल और उड़द दाल रुद्राक्ष की माला मदिरा (यदि परंपरा में मान्य हो) 🛕 पूजा विधि (Pooja Vidhi): 🔸 1. स्नान एवं संकल्प:सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान भैरव की पूजा का संकल्प लें। 🔸 2. आसन स्थापना:भगवान भैरव की मूर्ति या चित्र को लाल या काले वस्त्र पर स्थापित करें। 🔸 3. दीप प्रज्वलन एवं ध्यान:दीपक जलाकर भगवान भैरव का ध्यान करें और प्रार्थना करें। 🔸 4. अभिषेक:पंचामृत से भगवान भैरव का अभिषेक करें और फिर गंगाजल से स्नान कराएं। 🔸 5. श्रृंगार एवं अर्पण:भगवान को चंदन, सिंदूर, लाल फूल, काले तिल और अक्षत अर्पित करें। 🔸 6. धूप-दीप एवं भोग:धूप, दीप जलाकर गुड़, चना, हलवा या अन्य प्रसाद अर्पित करें। परंपरा अनुसार मदिरा अर्पण भी किया जा सकता है। 🔸 7. मंत्र जाप:भगवान भैरव के मंत्रों का जाप करें, जैसे:“ॐ भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवाय नमः।” (108 बार) 🔸 8. आरती एवं प्रसाद वितरण:भैरव जी की आरती करें और सभी को प्रसाद वितरित करें। 🙏 भैरव पूजा विशेष रूप से रविवार और कालाष्टमी के दिन करना अत्यंत शुभ होता है। 🚩 https://youtu.be/XHXHXmNjIgQ?si=P8yLwfvq9hI6kq9Z