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दत्तात्रेय भजन: करुणा के सागर, संकट के सहारे

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दत्तात्रेय भजन – संकट में सहारा, करुणा का सागर भजन: दत्तात्रेय दयालु, करुणा के सागर,सदा सहारा तेरा, संकट के उजागर।ज्ञान का दीपक तू, अंधकार हरता,भक्तों के जीवन में, सुमंगल करता।त्रिमूर्ति अवतार, शुभाशीष देना,सदा कृपा रखना, दुख हर लेना। भजन का अर्थ: यह भजन भगवान दत्तात्रेय की महिमा का गुणगान करता है। “दत्तात्रेय दयालु, करुणा के सागर,”➝ भगवान दत्तात्रेय अत्यंत दयालु और करुणा के सागर हैं। “सदा सहारा तेरा, संकट के उजागर।”➝ जब भी कोई भक्त संकट में होता है, भगवान दत्तात्रेय उसका सहारा बनते हैं। “ज्ञान का दीपक तू, अंधकार हरता,”➝ वे ज्ञान का प्रकाश हैं, जो अज्ञानता का अंधकार दूर करते हैं। “भक्तों के जीवन में, सुमंगल करता।”➝ उनके आशीर्वाद से भक्तों का जीवन शुभ और मंगलमय बनता है। “त्रिमूर्ति अवतार, शुभाशीष देना,”➝ वे ब्रह्मा, विष्णु और महेश के त्रिमूर्ति अवतार हैं और सभी को शुभ आशीर्वाद देते हैं। “सदा कृपा रखना, दुख हर लेना।”➝ भगवान हमेशा अपनी कृपा बनाए रखें और सभी दुखों को हर लें। 👉 यह भजन भक्तों को भगवान दत्तात्रेय की कृपा प्राप्त करने और उनके प्रति श्रद्धा बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है। 🙏✨   Meaning of the Bhajan in English: This bhajan praises the greatness of Lord Dattatreya. “Dattatreya Dayalu, Karuna Ke Sagar,”➝ Lord Dattatreya is extremely compassionate and an ocean of mercy. “Sada Sahara Tera, Sankat Ke Ujagar.”➝ He is always a support for devotees in times of trouble. “Gyaan Ka Deepak Tu, Andhkaar Harta,”➝ He is the lamp of knowledge who removes the darkness of ignorance. “Bhakton Ke Jeevan Mein, Sumangal Karta.”➝ His blessings bring peace and prosperity to the lives of devotees. “Tridev Avataar, Shubhaashish Dena,”➝ As an incarnation of Brahma, Vishnu, and Mahesh, he grants divine blessings. “Sada Kripa Rakhna, Dukh Har Lena.”➝ May he always shower his grace and remove all suffering. 🔹 श्री दत्तात्रेय पूजा विधि और सामग्री 📌 पूजा सामग्री (Pooja Samagri): मूर्ति या चित्र – भगवान दत्तात्रेय का चित्र या मूर्ति पंचामृत – दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर गंगाजल – शुद्ध जल चंदन – तिलक के लिए फूल और माला – ताजे पुष्प और तुलसी पत्र धूप और दीपक – आरती के लिए नैवेद्य (प्रसाद) – फल, मिठाई, पंचमेवा अगरबत्ती और कपूर – सुगंध और आरती के लिए पीला वस्त्र – भगवान को अर्पित करने के लिए भोग – खीर, गुड़, या बेसन के लड्डू रक्षा सूत्र (मौली) – कलावे के लिए ध्यान और मंत्र पुस्तिका – पाठ और ध्यान के लिए 📌 पूजा विधि (Pooja Vidhi): स्नान और शुद्धिकरण:➝ पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें। आसन और संकल्प:➝ भगवान दत्तात्रेय के चित्र/मूर्ति को साफ स्थान पर रखें। संकल्प लें और अपनी मनोकामना बताएं। पंचोपचार पूजा:➝ भगवान को चंदन, पुष्प, अक्षत (चावल), धूप, और दीप अर्पित करें। मंत्र जप और ध्यान:➝ “ॐ द्रां दत्तात्रेयाय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें। आरती:➝ कपूर जलाकर भगवान की आरती करें और घंटी बजाएं। नैवेद्य और प्रसाद:➝ भगवान को नैवेद्य अर्पित करें और अंत में भक्तों में प्रसाद वितरित करें। प्रणाम और प्रार्थना:➝ भगवान से कृपा और आशीर्वाद की प्रार्थना करें। https://youtu.be/yfCWTYf9Mig?si=tsndm7ulAu3-sCW6

सुदर्शन चक्रधारी की महिमा | भक्तिमय भजन

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सुदर्शन चक्रधारी की महिमा | भक्तिमय भजन भजन 🔱 सुदर्शन चक्रधारी, विष्णु भगवान,कृपा करो हम पर, हे दयानिधान।चक्र घुमाकर संकट मिटाते,भक्तों की रक्षा सदा ही करते। शंख बजाकर राह दिखाते,पद कमल में सुख बरसाते।हे माधव, तुम दीन दयाला,रखो कृपा अपनी निराला। हरि की महिमा गाएँ हम,सुदर्शन का जयकार करें।शरण तुम्हारी जो भी आए,दुख-दारिद्र्य सब दूर करें। 🙏 यह भजन आपको कैसा लगा? 😊   भजन का अर्थ (हिंदी में): इस भजन में भगवान विष्णु की महिमा का वर्णन किया गया है। “सुदर्शन चक्रधारी, विष्णु भगवान,” → भगवान विष्णु सुदर्शन चक्र धारण करने वाले हैं। “कृपा करो हम पर, हे दयानिधान।” → हे दयालु प्रभु, हम पर अपनी कृपा बनाए रखें। “चक्र घुमाकर संकट मिटाते,” → भगवान विष्णु सुदर्शन चक्र से भक्तों के संकट दूर करते हैं। “भक्तों की रक्षा सदा ही करते।” → वे अपने भक्तों की हमेशा रक्षा करते हैं। “शंख बजाकर राह दिखाते,” → विष्णु भगवान अपने शंख की ध्वनि से सही राह दिखाते हैं। “पद कमल में सुख बरसाते।” → उनके चरणों में अपार सुख प्राप्त होता है। “हे माधव, तुम दीन दयाला,” → हे माधव, आप दीनों के पालनहार हैं। “रखो कृपा अपनी निराला।” → कृपया अपनी अद्भुत कृपा बनाए रखें। “हरि की महिमा गाएँ हम,” → हम भगवान विष्णु की महिमा गाते हैं। “सुदर्शन का जयकार करें।” → हम उनके सुदर्शन चक्र की जय-जयकार करते हैं। “शरण तुम्हारी जो भी आए, दुख-दारिद्र्य सब दूर करें।” → जो भी आपकी शरण में आता है, उसके सारे दुख और गरीबी मिट जाते हैं। यह भजन भगवान विष्णु की कृपा और उनकी रक्षा करने की शक्ति को दर्शाता है। 🙏✨   Meaning of the Bhajan (In English): This bhajan praises the glory of Lord Vishnu and his divine protection. “Sudarshan Chakradhari, Vishnu Bhagwan,” → Lord Vishnu is the bearer of the Sudarshan Chakra. “Kripa karo hum par, Hey Dayanidhaan.” → O Merciful Lord, shower your blessings upon us. “Chakra ghumaakar sankat mitaate,” → By spinning the Sudarshan Chakra, you remove all troubles. “Bhakton ki raksha sada hi karte.” → You always protect your devotees. “Shankh bajaakar raah dikhate,” → By blowing the conch, you guide the right path. “Pad kamal mein sukh barsaate.” → Your lotus feet shower immense happiness. “Hey Madhav, tum deen dayaala,” → O Madhav, you are the savior of the helpless. “Rakho kripa apni niraala.” → Keep bestowing your unique grace upon us. “Hari ki mahima gaayen hum,” → We sing the glories of Lord Hari. “Sudarshan ka jaykaar karein.” → We chant victory to the Sudarshan Chakra. “Sharan tumhari jo bhi aaye, dukh-daridr sab door karein.” → Whoever surrenders to you, you remove all their sorrows and poverty. 🙏 सुदर्शन चक्र पूजा विधि एवं सामग्री 🙏 पूजा सामग्री (Pooja Samagri): सुदर्शन चक्र यंत्र / भगवान विष्णु की प्रतिमा पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और गंगाजल) फूल (विशेष रूप से पीले फूल) तुलसी पत्र धूप एवं दीपक चंदन, रोली, कुमकुम एवं हल्दी अक्षत (साबुत चावल) नैवेद्य (मिष्ठान, फल एवं पंचमेवा) घी व तिल का तेल शंख एवं घंटी रक्षा सूत्र (मौली) भगवान विष्णु का प्रिय भोग (खीर या पंचामृत) सुदर्शन चक्र पूजा विधि (Pooja Vidhi): स्नान व स्वच्छता – प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। विष्णु जी का ध्यान – भगवान विष्णु का ध्यान करें और पूजा का संकल्प लें। कलश स्थापना – तांबे के कलश में जल भरकर उसमें तुलसी पत्र डालें। सुदर्शन चक्र यंत्र या विष्णु प्रतिमा का अभिषेक – पंचामृत से अभिषेक करें और गंगाजल से शुद्ध करें। तिलक एवं पुष्प अर्पण – भगवान को चंदन, कुमकुम, अक्षत और फूल अर्पित करें। धूप व दीप प्रज्वलन – धूप, दीप जलाकर भगवान की आराधना करें। भोग अर्पण – भगवान को नैवेद्य अर्पित करें (खीर, फल, मिठाई)। सुदर्शन चक्र मंत्र जाप –|| ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा ||इस मंत्र का 108 बार जाप करें। आरती करें – भगवान विष्णु और सुदर्शन चक्र की आरती करें। प्रसाद वितरण – पूजा समाप्ति के बाद भक्तों में प्रसाद वितरण करें। 🌿 विशेष: पूजा के दौरान श्रद्धा और भक्ति भाव बनाए रखें। यदि संभव हो तो विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। सुदर्शन चक्र पूजा करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और संकट समाप्त होते हैं। 🙏 “सुदर्शन चक्रधारी भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में शांति और समृद्धि बनी रहे!” 🙏 https://youtu.be/5T_P5NcpBOQ?si=SPjyQjF8F3XwtjeJ

जय जगन्नाथ | भक्तिमय भजन

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जय जगन्नाथ! प्रेम और श्रद्धा से भर देने वाला भजन भजन  जय जय जगन्नाथ स्वामी, मोहे कृपा बरसाइए।रथ पर बैठ कर आओ प्रभु, दर्शन हमको दीजिए॥ सागर सम प्रेम तुम्हारा, शरण तुम्हारी पाई।हर संकट दूर करो प्रभु, तुम बिन गति न आई॥ बलभद्र संग सुभद्रा, संग में माँ लक्ष्मी।भक्तों के दुख हरते, देते प्रेम की शक्ति॥ जय जगन्नाथ महाप्रभु, तेरा गुण गाते जाएं।प्रेम से जो पुकारे, चरणों में स्थान पाए॥   भजन का अर्थ (हिंदी में): “जय जय जगन्नाथ स्वामी, मोहे कृपा बरसाइए।”हे जगन्नाथ स्वामी! मुझ पर अपनी कृपा बरसाइए। “रथ पर बैठ कर आओ प्रभु, दर्शन हमको दीजिए॥”हे प्रभु! अपने रथ पर विराजकर आओ और हमें अपने दर्शन दीजिए। “सागर सम प्रेम तुम्हारा, शरण तुम्हारी पाई।”आपका प्रेम सागर के समान विशाल है, और मैंने आपकी शरण प्राप्त कर ली है। “हर संकट दूर करो प्रभु, तुम बिन गति न आई॥”हे प्रभु! मेरे सभी संकट दूर कर दीजिए, आपके बिना मुझे कोई रास्ता नहीं मिलता। “बलभद्र संग सुभद्रा, संग में माँ लक्ष्मी।”आपके साथ बलभद्र, सुभद्रा और माता लक्ष्मी भी हैं। “भक्तों के दुख हरते, देते प्रेम की शक्ति॥”आप अपने भक्तों के दुख दूर करते हैं और उन्हें प्रेम की शक्ति प्रदान करते हैं। “जय जगन्नाथ महाप्रभु, तेरा गुण गाते जाएं।”हे जगन्नाथ महाप्रभु! हम आपके गुणगान करते रहें। “प्रेम से जो पुकारे, चरणों में स्थान पाए॥”जो भी आपको प्रेम से पुकारता है, उसे आपके चरणों में स्थान प्राप्त होता है। Meaning of the Bhajan in English: “Jai Jai Jagannath Swami, Mohe Kripa Barsaiye.”Hail Lord Jagannath! Shower your grace upon me. “Rath Par Baith Kar Aao Prabhu, Darshan Humko Deejiye.”O Lord! Come riding on your chariot and bless us with your divine vision. “Sagar Sam Prem Tumhara, Sharan Tumhari Paayi.”Your love is as vast as the ocean, and I have found refuge in you. “Har Sankat Door Karo Prabhu, Tum Bin Gati Na Aayi.”O Lord! Remove all my troubles; without you, I see no path forward. “Balbhadra Sang Subhadra, Sang Mein Maa Lakshmi.”You are accompanied by Balbhadra, Subhadra, and Goddess Lakshmi. “Bhakton Ke Dukh Harte, Dete Prem Ki Shakti.”You take away the sufferings of your devotees and bless them with the power of love. “Jai Jagannath Mahaprabhu, Tera Gun Gaate Jaayein.”Hail Lord Jagannath! May we continue singing your glories. “Prem Se Jo Pukare, Charanon Mein Sthaan Paaye.”Whoever calls upon you with love finds a place at your feet. pooja vidhi and pooja samgri in hindi श्री जगन्नाथ पूजा विधि और पूजा सामग्री 🔹 पूजा सामग्री (Pooja Samagri) श्री जगन्नाथ जी की प्रतिमा या चित्र पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर) गंगाजल पुष्प (फूल) एवं माला धूप, दीप, कपूर और अगरबत्ती चंदन, कुमकुम, रोली और हल्दी अक्षत (चावल) तुलसी पत्र मिष्ठान (खासकर खिचड़ी, फल, और चावल) पान, सुपारी और लौंग-इलायची नारियल और मौली (रक्षा सूत्र) भोग के लिए पंच मेवा और मिठाई 🔹 पूजा विधि (Pooja Vidhi) स्नान एवं शुद्धिकरण – सबसे पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें। कलश स्थापना – तांबे या मिट्टी के कलश में जल भरकर उसमें आम के पत्ते और नारियल रखें। भगवान का अभिषेक – पंचामृत से भगवान श्री जगन्नाथ का अभिषेक करें और गंगाजल से शुद्ध करें। वस्त्र और आभूषण – भगवान को स्वच्छ वस्त्र, फूलों की माला और आभूषण अर्पित करें। तिलक एवं पूजा – चंदन, कुमकुम, और अक्षत अर्पित करें। धूप-दीप आरती – कपूर और अगरबत्ती जलाकर भगवान की आरती करें। भोग अर्पण – खिचड़ी, फल, मिष्ठान और पंचामृत अर्पित करें। मंत्र जाप – “ॐ जगन्नाथाय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें। प्रसाद वितरण – भोग को प्रसाद के रूप में सभी भक्तों में बांटें। प्रणाम और समर्पण – भगवान जगन्नाथ के चरणों में नमन करें और उनकी कृपा की प्रार्थना करें। 🌿 जय जगन्नाथ! 🌿 https://youtu.be/dHQRz_OQBaI?si=VqcDwYHQ_vy1IY1u

हयग्रीव भजन | श्री हयग्रीव की कृपा पाने का सुंदर भजन

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हयग्रीव भजन | श्री हयग्रीव की कृपा पाने का सुंदर भजन भजन जय हयग्रीव ज्ञान स्वरूपा,बुद्धि-विवेक के तुम हो दाता।सरस्वती संग वास तुम्हारा,विद्या का अजर-अमर उजाला।। ज्ञान-प्रकाश करो जग सारा,दूर करो अज्ञान अंधियारा।शरण तुम्हारी जो जन आए,सुख-समृद्धि जीवन में पाए।। जय हयग्रीव देव कृपालु,सत्यम शिवम सुंदर भावू।करुणा बरसाओ हे स्वामी,ज्ञान-भक्ति की ज्योति थामी।। भजन का हिंदी अर्थ: जय हयग्रीव ज्ञान स्वरूपा, बुद्धि-विवेक के तुम हो दाता।→ हे हयग्रीव! आप ज्ञान के स्वरूप हैं और हमें बुद्धि व विवेक प्रदान करने वाले हैं। सरस्वती संग वास तुम्हारा, विद्या का अजर-अमर उजाला।→ आपका निवास देवी सरस्वती के साथ है, और आप अनंत ज्ञान व विद्या का प्रकाश फैलाते हैं। ज्ञान-प्रकाश करो जग सारा, दूर करो अज्ञान अंधियारा।→ कृपा कर पूरे संसार में ज्ञान का प्रकाश फैलाइए और अज्ञान के अंधकार को मिटाइए। शरण तुम्हारी जो जन आए, सुख-समृद्धि जीवन में पाए।→ जो भी आपकी शरण में आता है, वह जीवन में सुख और समृद्धि प्राप्त करता है। जय हयग्रीव देव कृपालु, सत्यम शिवम सुंदर भावू।→ हे दयालु हयग्रीव देव! आप सत्य, शुभता और सुंदरता के प्रतीक हैं। करुणा बरसाओ हे स्वामी, ज्ञान-भक्ति की ज्योति थामी।→ हे प्रभु! हम पर अपनी करुणा बरसाइए और हमें ज्ञान व भक्ति की ज्योति प्रदान कीजिए।   Meaning of the Bhajan in English: Jai Hayagriva, the embodiment of wisdom, the giver of intellect and discernment.→ O Hayagriva! You are the very form of wisdom and the bestower of intellect and discernment. You reside with Goddess Saraswati, spreading the eternal light of knowledge.→ Your presence is with Goddess Saraswati, and you radiate the eternal light of knowledge and wisdom. Illuminate the whole world with the light of wisdom, remove the darkness of ignorance.→ Please bless the world with the light of knowledge and dispel the darkness of ignorance. Whoever seeks your refuge attains happiness and prosperity in life.→ Those who surrender to you receive joy and prosperity in their lives. Glory to compassionate Lord Hayagriva, the embodiment of truth, auspiciousness, and beauty.→ O merciful Lord Hayagriva! You represent truth, goodness, and divine beauty. Shower your grace upon us, O Lord, and guide us with the light of knowledge and devotion.→ O Lord! Bless us with your mercy and grant us the divine light of wisdom and devotion.   श्री हयग्रीव पूजन विधि एवं पूजन सामग्री 🔹 पूजन सामग्री (Pooja Samagri): हयग्रीव भगवान की मूर्ति या चित्र साफ वस्त्र (भगवान को ओढ़ाने के लिए) माला (कमल गट्टे या रुद्राक्ष की) कलश और जल चंदन, रोली, कुमकुम और हल्दी धूप, दीप, कपूर फूल (विशेष रूप से लाल या सफेद फूल) फल, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर) नैवेद्य (मिष्ठान जैसे मोदक, पंजीरी, या खीर) नारियल और सुपारी पीला वस्त्र और अक्षत (चावल) घंटा और शंख गंगाजल और तुलसी पत्र 🔹 पूजन विधि (Pooja Vidhi): स्नान और संकल्प: प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजन का संकल्प लें। मूर्ति या चित्र स्थापना: भगवान हयग्रीव की मूर्ति या चित्र को स्वच्छ स्थान पर स्थापित करें। संकल्प और आह्वान: जल लेकर संकल्प करें और हयग्रीव भगवान का आह्वान करें। अभिषेक: पंचामृत और गंगाजल से अभिषेक करें, फिर स्वच्छ जल से स्नान कराएं। श्रृंगार और अर्पण: भगवान को वस्त्र, चंदन, रोली, फूल, और तुलसी पत्र अर्पित करें। धूप, दीप और आरती: धूप और दीप जलाकर भगवान की स्तुति करें और मंत्र जाप करें। नैवेद्य अर्पण: फल, मिष्ठान और पंचामृत का भोग अर्पित करें। हयग्रीव मंत्र जप: ॐ हयग्रीवाय नमः मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें। प्रसाद वितरण और समर्पण: आरती करने के बाद सभी को प्रसाद वितरित करें और भगवान से आशीर्वाद प्राप्त करें। 🌺 इस विधि से पूजन करने पर श्री हयग्रीव भगवान की कृपा से ज्ञान, बुद्धि और विवेक की प्राप्ति होती है। https://youtu.be/MorM3nIml-I?si=EL2ru0IQ_8noH6D6

वीरभद्र भजन | भक्तिमय आराधना | शक्तिशाली स्तुति

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वीरभद्र भजन – शक्ति और भक्ति का अद्भुत संगम भजन:वीरभद्र महादेव के लाल,शक्ति से जिनका अटल भाल।शिव के क्रोध से जन्मे तुम,असुरों के संहारक तुम। जय वीरभद्र महाकाल,करो कृपा, रखो सँभाल।शरण तुम्हारी जो भी आए,कष्ट सभी मिट जाए।   भजन का अर्थ: वीरभद्र महादेव के लाल,(वीरभद्र भगवान शिव के पुत्र समान हैं।) शक्ति से जिनका अटल भाल।(उनका तेजस्वी मस्तक अपार शक्ति से भरा हुआ है।) शिव के क्रोध से जन्मे तुम,(वे भगवान शिव के क्रोध से उत्पन्न हुए हैं।) असुरों के संहारक तुम।(वे राक्षसों और अधर्म का नाश करने वाले हैं।) जय वीरभद्र महाकाल,(महाकाल स्वरूप वीरभद्र भगवान की जय हो।) करो कृपा, रखो सँभाल।(हे प्रभु, कृपा करें और हमारी रक्षा करें।) शरण तुम्हारी जो भी आए,(जो भी आपकी शरण में आता है।) कष्ट सभी मिट जाए।(उसके सभी दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं।)   Meaning of the Bhajan in English: Veerabhadra, the beloved of Mahadev,(Veerabhadra is like a son to Lord Shiva.) Whose forehead shines with immense power.(His radiant forehead is filled with divine strength.) Born from the wrath of Shiva,(He emerged from Lord Shiva’s fierce anger.) The destroyer of demons and evil.(He annihilates demons and unrighteousness.) Glory to Veerabhadra, the great Mahakaal,(All hail Veerabhadra, the mighty Mahakaal.) Bless us and protect us always.(O Lord, shower your grace and safeguard us.) Whoever surrenders at your feet,(Anyone who seeks your refuge,) All their sorrows fade away.(Their sufferings and troubles vanish.)   वीरभद्र पूजा विधि और पूजन सामग्री 🔹 पूजन सामग्री (Pooja Samagri): मूर्ति या चित्र – भगवान वीरभद्र की प्रतिमा या चित्र कलश – जल से भरा हुआ तांबे या पीतल का कलश पंचामृत – दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल धूप-दीप – धूप, दीपक और कपूर सिंदूर और चंदन – तिलक और अभिषेक के लिए फूल और माला – विशेष रूप से लाल पुष्प भोग – मिठाई, फल, नारियल और पंचमेवा अक्षत (चावल) – पूजा के लिए रुद्राक्ष या माला – जप करने के लिए गंगाजल – शुद्धिकरण के लिए 🔹 पूजा विधि (Pooja Vidhi): शुद्धिकरण – स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें। संकल्प – भगवान वीरभद्र की पूजा का संकल्प लें और अपना नाम व गोत्र उच्चारण करें। कलश स्थापना – जल से भरे कलश की स्थापना करें और उसमें सुपारी, चावल व फूल डालें। दीप प्रज्वलन – दीपक जलाकर भगवान वीरभद्र का ध्यान करें। अभिषेक – पंचामृत से भगवान का अभिषेक करें और शुद्ध जल से स्नान कराएं। श्रृंगार – चंदन, सिंदूर और फूलों से भगवान का श्रृंगार करें। धूप-दीप आरती – धूप और दीप जलाकर भगवान की आरती करें। मंत्र जाप – “ॐ वीरभद्राय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें। भोग अर्पण – फल, मिठाई और पंचमेवा का भोग लगाएं। प्रसाद वितरण – पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद ग्रहण करें और भक्तों में वितरित करें। 🙏 इस विधि से पूजा करने से भगवान वीरभद्र की कृपा प्राप्त होती है और सभी बाधाएं दूर होती हैं। 🔥 https://youtu.be/T8DfMse6_28?si=xFE06e6Xd8o7eTit

बलराम कृपा करो – भक्ति भजन हिंदी में

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बलराम कृपा करो – श्री बलराम जी का भक्ति भजन बलराम कृपा करो बलराम कृपा करो, हे दाऊ दयालु।शक्ति दो, भक्ति दो, करुणा के भंडार।शेषनाग स्वरूप, जग के पालनहार।गौपालक, रक्षक, तुम हो उद्धार।राम सखा, प्रेम के आधार।बलराम कृपा करो, हे दाऊ दयालु। भजन का अर्थ (हिंदी में): यह भजन श्री बलराम जी की कृपा और उनके दिव्य गुणों का गुणगान करता है। इसमें उनके दयालु स्वभाव, शक्ति, और भक्तों के प्रति उनकी करुणा का वर्णन किया गया है। “बलराम कृपा करो, हे दाऊ दयालु” – यह भक्त की पुकार है कि बलराम जी अपनी कृपा करें क्योंकि वे अत्यंत दयालु हैं। “शक्ति दो, भक्ति दो, करुणा के भंडार” – बलराम जी से शक्ति, भक्ति और उनकी अनंत करुणा का आशीर्वाद माँगा जा रहा है। “शेषनाग स्वरूप, जग के पालनहार” – बलराम जी शेषनाग के अवतार माने जाते हैं और वे संसार के रक्षक व पालनकर्ता हैं। “गौपालक, रक्षक, तुम हो उद्धार” – वे ग्वालों के रक्षक हैं और भक्तों को मोक्ष प्रदान करने वाले हैं। “राम सखा, प्रेम के आधार” – वे भगवान श्रीराम के भाई और भक्तों के प्रेम का आधार हैं। यह भजन बलराम जी की महिमा का गान करते हुए भक्तों से उनकी शरण में जाने का संदेश देता है। Meaning of the Bhajan (In English): This bhajan glorifies Lord Balarama, highlighting His divine qualities, compassion, and strength. “Balarama Kripa Karo, Hey Dau Dayalu” – The devotee prays for Lord Balarama’s mercy, as He is extremely compassionate. “Shakti Do, Bhakti Do, Karuna Ke Bhandar” – Asking Lord Balarama to bless with strength, devotion, and His infinite grace. “Sheshnag Swaroop, Jag Ke Palanhar” – Lord Balarama is the incarnation of Sheshnag and the protector of the universe. “Gopalak, Rakshak, Tum Ho Uddhar” – He is the caretaker of cows, the protector of devotees, and the one who grants liberation. “Ram Sakha, Prem Ke Aadhar” – He is the elder brother of Lord Rama and the foundation of divine love. This bhajan praises Lord Balarama and encourages devotees to surrender to Him for protection, strength, and salvation. श्री बलराम जी की पूजा विधि और पूजन सामग्री पूजन सामग्री (Pooja Samagri): प्रतिमा या चित्र – श्री बलराम जी की मूर्ति या चित्र कलश (जल से भरा) – पवित्र जल के साथ पंचामृत – दूध, दही, घी, शहद और गंगा जल अक्षत (चावल) – शुभता के प्रतीक रोली और कुमकुम – तिलक के लिए मौली (कलावा) – रक्षा सूत्र फूल और माला – विशेष रूप से पीले फूल धूप और दीपक – वातावरण को शुद्ध करने के लिए गंध (चंदन, इत्र) – सुगंधित पूजा के लिए नैवेद्य (भोग) – दूध, मक्खन, मिश्री, फल, मिठाई पान, सुपारी, लौंग, इलायची – पारंपरिक पूजा सामग्री पंचगव्य – गोमूत्र, गोबर, दूध, दही, घी गंगा जल – शुद्धिकरण के लिए पूजा विधि (Pooja Vidhi): स्नान एवं शुद्धिकरण – स्वयं स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें। कलश स्थापना – जल से भरा कलश रखें और उस पर मौली बांधें। मूर्ति या चित्र की स्थापना – श्री बलराम जी के चित्र या मूर्ति को उचित स्थान पर रखें। संकल्प लें – पूजा का संकल्प लें और भगवान बलराम जी से प्रार्थना करें। दीप प्रज्वलन एवं धूप अर्पण – दीपक और धूप जलाकर भगवान को अर्पित करें। अभिषेक करें – पंचामृत और गंगा जल से भगवान का अभिषेक करें। वस्त्र और आभूषण अर्पित करें – भगवान को वस्त्र और आभूषण अर्पित करें। तिलक एवं पुष्प अर्पण – चंदन, कुमकुम से तिलक करें और फूल अर्पित करें। मंत्र जाप एवं स्तुति – बलराम जी के मंत्र और भजन गाएं, जैसे “ॐ बलरामाय नमः”। नैवेद्य अर्पण – भोग (मक्खन, मिश्री, फल, मिठाई) अर्पित करें। आरती करें – बलराम जी की आरती करें और भक्ति भाव से प्रसाद ग्रहण करें। प्रसाद वितरण – पूजा के बाद भक्तों में प्रसाद वितरित करें और आशीर्वाद प्राप्त करें। इस प्रकार, श्रद्धा और भक्ति से की गई बलराम जी की पूजा सुख, शक्ति और समृद्धि प्रदान करती है। 🚩 https://youtu.be/MorM3nIml-I?si=EL2ru0IQ_8noH6D6

मत्स्य अवतार भजन – भगवान विष्णु की कथा

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मत्स्य अवतार भजन – भगवान विष्णु का पहला रूप भजन: मत्स्य भजन:मत्स्य रूप धारण कर, हरि ने रक्षा की।सतयुग में आकर, भक्तों की इच्छा पूरी की॥जल में नाव चली, वेद बचाए थे।दुष्टों का संहार कर, धर्म बचाए थे॥जय हो मत्स्य अवतार, भक्तों के पालनहार॥ मत्स्य भजन का अर्थ (अर्थ) मत्स्य रूप धारण कर, हरि ने रक्षा की।भगवान विष्णु ने मत्स्य (मछली) रूप धारण करके संसार की रक्षा की। सतयुग में आकर, भक्तों की इच्छा पूरी की॥उन्होंने सतयुग में अवतार लेकर अपने भक्तों की मनोकामनाएँ पूर्ण कीं। जल में नाव चली, वेद बचाए थे।उन्होंने जल प्रलय के दौरान एक नाव में वेदों को सुरक्षित रखा। दुष्टों का संहार कर, धर्म बचाए थे॥उन्होंने असुरों का संहार करके धर्म की रक्षा की। जय हो मत्स्य अवतार, भक्तों के पालनहार॥मत्स्य अवतार की जय हो, जो अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। Meaning of Matsya Bhajan in English “By taking the form of Matsya, Lord Hari protected the world.”Lord Vishnu incarnated as Matsya (a fish) to safeguard the universe. “In Satya Yuga, He fulfilled the wishes of His devotees.”During the Satya Yuga, He appeared to bless and protect His devotees. “He guided the boat through the waters and saved the Vedas.”During the great deluge, He preserved the sacred Vedas by carrying them in a boat. “By destroying the wicked, He upheld righteousness.”He vanquished the demons and restored dharma (righteousness). “Glory to Lord Matsya, the protector of His devotees!”All glory to Matsya Avatar, who safeguards His devotees with love and care. मत्स्य अवतार पूजा विधि और सामग्री पूजा सामग्री (Pooja Samagri): भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र दीपक (घी या तेल का दीपक) अगरबत्ती और धूप पुष्प (ताजे फूल) फल और मिठाई (प्रसाद हेतु) पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल) चंदन, रोली और अक्षत (चावल) तुलसी दल (भगवान विष्णु की पूजा में अनिवार्य) पवित्र जल (गंगाजल) नारियल और पान-सुपारी पूजा विधि (Pooja Vidhi): स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें। भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार के चित्र या मूर्ति को रखें। दीप प्रज्वलित करें और अगरबत्ती व धूप जलाएं। चंदन, रोली, अक्षत अर्पित करें और फूल चढ़ाएं। तुलसी दल चढ़ाकर पंचामृत से अभिषेक करें। भगवान को फल, मिठाई और नारियल अर्पित करें। मत्स्य अवतार का भजन, विष्णु सहस्रनाम या विष्णु मंत्र का जाप करें। आरती करें और सभी परिवारजन मिलकर भगवान का ध्यान करें। प्रसाद वितरण करें और सभी के मंगल हेतु प्रार्थना करें। 🔹 महत्व: इस पूजा से पापों का नाश होता है, सुख-समृद्धि आती है और भक्तों को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। https://youtu.be/1XfES1TwIds?si=Iktoo4_qQcKDzRSF

वराह भगवान भजन | भक्तिमय कीर्तन

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वराह भगवान भजन – प्रभु की महिमा का गुणगान भजन: वराह भगवान की महिमा वराह रूप धरे प्रभु आए,धरती को जल से बचाए।असुर हिरण्याक्ष संहारे,भक्तों के कष्ट निवारे। महिमा तेरी अपरंपार,करते हम बारंबार पुकार।जय वराह भगवान दयालु,रखो अपनी कृपा प्रतिपालु। वराह भगवान भजन का अर्थ वराह रूप धरे प्रभु आए,(भगवान ने वराह अवतार धारण किया और आए।) धरती को जल से बचाए।(उन्होंने पृथ्वी को जल से बचाया।) असुर हिरण्याक्ष संहारे,(असुर हिरण्याक्ष का संहार किया।) भक्तों के कष्ट निवारे।(अपने भक्तों के सभी कष्ट दूर किए।) महिमा तेरी अपरंपार,(आपकी महिमा अनंत और असीम है।) करते हम बारंबार पुकार।(हम बार-बार आपकी प्रार्थना करते हैं।) जय वराह भगवान दयालु,(हे दयालु वराह भगवान, आपकी जय हो।) रखो अपनी कृपा प्रतिपालु।(हम पर अपनी कृपा बनाए रखें और हमारी रक्षा करें।) Meaning of Varaha Bhagwan Bhajan in English Varaha roop dhare Prabhu aaye,(The Lord appeared in the form of Varaha.) Dharati ko jal se bachaye.(He saved the Earth from water.) Asur Hiranyaksha sanhare,(He destroyed the demon Hiranyaksha.) Bhakton ke kasht nivare.(He removed the sufferings of His devotees.) Mahima teri aparampaar,(Your glory is infinite and boundless.) Karte hum barambaar pukar.(We repeatedly call upon You in prayer.) Jai Varaha Bhagwan dayalu,(Hail to the compassionate Lord Varaha.) Rakho apni kripa pratipalu.(Keep Your divine grace upon us and protect us.) वराह भगवान पूजा विधि और सामग्री पूजा सामग्री (Pooja Samagri): वराह भगवान की प्रतिमा या चित्र दीपक (घी या तेल का दीपक) धूप एवं अगरबत्ती फूल (विशेषकर लाल फूल) पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर) गंगाजल या शुद्ध जल रोली, अक्षत (चावल), कुमकुम और चंदन मिठाई और नैवेद्य (प्रसाद के लिए) तुलसी पत्र फल (अनार, केला, सेब आदि) पूजा विधि (Pooja Vidhi): स्नान व शुद्धि – प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। स्थान चयन – पूजा के लिए पवित्र स्थान चुनें और वराह भगवान की प्रतिमा स्थापित करें। दीप प्रज्वलन – घी का दीपक जलाएं और धूप-अगरबत्ती दिखाएं। संकल्प – मन में संकल्प लें और वराह भगवान का ध्यान करें। अभिषेक – भगवान को पंचामृत से स्नान कराएं और गंगाजल से शुद्ध करें। श्रृंगार – चंदन, रोली और फूलों से भगवान का श्रृंगार करें। भोग अर्पण – फल, मिठाई, और नैवेद्य चढ़ाएं। आरती – वराह भगवान की आरती करें और भजन-कीर्तन करें। प्रसाद वितरण – आरती के बाद प्रसाद वितरित करें और भक्तों के साथ प्रसाद ग्रहण करें। प्रार्थना एवं समर्पण – भगवान से कृपा और आशीर्वाद की प्रार्थना करें। जय वराह भगवान! 🙏 https://youtu.be/cCAT4Mdtt6s?si=Wl4LFrr_c-WMe02E

कूर्म अवतार भजन | भगवान विष्णु का कच्छप रूप

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कूर्म अवतार: भगवान विष्णु का कच्छप रूप और महिमा कूर्म अवतार भजन (Kurma Avatar Bhajan in Hindi) श्री हरि ने धारण किया कूर्म रूप,सागर मंथन में किया अनुपम स्वरूप।अमृत पाने को देव-असुर आए,भगवान विष्णु आधार बने। धरणी के संकट हरने को आए,कच्छप रूप में पर्वत उठाए।अनंत कृपा है उनकी भारी,शरण में उनकी दुनिया सारी। नमन करें हम कूर्म अवतारी,हर संकट से वे दें उबारी।सच्चे मन से जो ध्यान लगाए,हरि कृपा से सुख पाए। कूर्म अवतार भजन का अर्थ (Meaning in Hindi) “श्री हरि ने धारण किया कूर्म रूप,सागर मंथन में किया अनुपम स्वरूप।**➡ भगवान विष्णु ने कूर्म (कछुए) का रूप धारण किया और सागर मंथन में एक अनोखा रूप प्रकट किया। “अमृत पाने को देव-असुर आए,भगवान विष्णु आधार बने।”**➡ जब देवता और असुर अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन कर रहे थे, तब भगवान विष्णु ने कूर्म रूप में मंथन के आधार (समर्थन) के रूप में कार्य किया। “धरणी के संकट हरने को आए,कच्छप रूप में पर्वत उठाए।”**➡ जब धरती पर संकट आया और मंथन के लिए मंदराचल पर्वत डूबने लगा, तब भगवान विष्णु ने कूर्म रूप में उसे अपनी पीठ पर उठा लिया। “अनंत कृपा है उनकी भारी,शरण में उनकी दुनिया सारी।”**➡ भगवान विष्णु की कृपा असीम है, और संपूर्ण संसार उनकी शरण में रहता है। “नमन करें हम कूर्म अवतारी,हर संकट से वे दें उबारी।”**➡ हम भगवान विष्णु के कूर्म अवतार को नमन करते हैं, जो हर संकट से भक्तों को उबारते हैं। “सच्चे मन से जो ध्यान लगाए,हरि कृपा से सुख पाए।”➡ जो भी सच्चे मन से भगवान विष्णु का ध्यान करता है, वह उनकी कृपा से जीवन में सुख-शांति प्राप्त करता है। Meaning of Kurma Avatar Bhajan in English “Shri Hari Ne Dharan Kiya Kurma Roop,Sagar Manthan Mein Kiya Anupam Swaroop.”**➡ Lord Vishnu took the form of Kurma (the divine tortoise) and manifested in an extraordinary form during the churning of the ocean. “Amrit Pane Ko Dev-Asur Aaye,Bhagwan Vishnu Aadhar Bane.”**➡ When the gods (Devas) and demons (Asuras) gathered to obtain the nectar of immortality, Lord Vishnu became their support. “Dharani Ke Sankat Harne Ko Aaye,Kachhap Roop Mein Parvat Uthaye.”**➡ To remove the troubles of the Earth, Lord Vishnu appeared in the form of a tortoise and lifted the Mandara mountain on His back. “Anant Kripa Hai Unki Bhaari,Sharan Mein Unki Duniya Saari.”**➡ His mercy is infinite, and the whole world seeks refuge in Him. “Naman Karen Hum Kurma Avatari,Har Sankat Se Ve Dein Ubaari.”**➡ We bow to Lord Vishnu in His Kurma Avatar, as He is the one who rescues us from all troubles. “Sachche Man Se Jo Dhyan Lagaye,Hari Kripa Se Sukh Paaye.”➡ Whoever meditates on Him with a pure heart receives happiness and divine blessings from Lord Vishnu. भगवान कूर्म अवतार पूजा विधि एवं सामग्री (Kurma Avatar Pooja Vidhi & Samagri in Hindi) भगवान कूर्म अवतार पूजा विधि (Pooja Vidhi) स्नान एवं शुद्धिकरण: पूजा करने से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल से शुद्ध करें। भगवान कूर्म अवतार की मूर्ति या चित्र स्थापित करें: एक स्वच्छ चौकी पर भगवान कूर्म अवतार की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। मूर्ति को जल, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर) और गंगाजल से स्नान कराएं। दीप प्रज्वलित करें: घी या तेल का दीपक जलाएं और अगरबत्ती या धूप अर्पित करें। भगवान को पुष्प अर्पित करें: भगवान विष्णु के कूर्म अवतार को पीले और सफेद फूल चढ़ाएं। तुलसी के पत्ते भी अर्पित करें, क्योंकि तुलसी भगवान विष्णु को प्रिय है। चंदन और अक्षत (चावल) चढ़ाएं: चंदन का तिलक करें और अक्षत अर्पित करें। भोग अर्पित करें: भगवान को पंचामृत, फल, दूध, मिठाई और विशेष रूप से पीले रंग का प्रसाद (जैसे केसरयुक्त खीर या बेसन लड्डू) अर्पित करें। मंत्र जाप और पाठ करें: “ॐ कूर्माय नमः” मंत्र का जाप करें। विष्णु सहस्रनाम, कूर्म पुराण या श्री हरि स्तोत्र का पाठ करें। आरती करें: भगवान कूर्म अवतार की आरती करें और घंटी बजाएं। “ॐ जय जगदीश हरे” या विष्णु आरती गाएं। प्रणाम एवं प्रार्थना करें: भगवान विष्णु के कूर्म अवतार से संकटों से मुक्ति और सुख-शांति की प्रार्थना करें। प्रसाद वितरण करें: पूजा के बाद सभी भक्तों में प्रसाद वितरित करें। भगवान कूर्म अवतार पूजा सामग्री (Pooja Samagri) गंगाजल – शुद्धिकरण के लिए दीपक (घी या तेल का दीप) अगरबत्ती और धूप फूल (विशेषकर पीले और सफेद फूल) तुलसी पत्ते – भगवान विष्णु को अति प्रिय चंदन और रोली – तिलक के लिए अक्षत (साबुत चावल) फल और मिठाई – भोग के लिए पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर का मिश्रण) भगवान कूर्म अवतार की मूर्ति या चित्र पीले रंग का प्रसाद (जैसे खीर, बेसन लड्डू, चना दाल हलवा) आरती थाली और घंटी शंख (भगवान विष्णु को प्रिय) भक्तों के लिए प्रसाद (मिठाई, फल, पंचामृत आदि) भगवान कूर्म अवतार की पूजा करने से जीवन में स्थिरता, समृद्धि और बाधाओं से मुक्ति प्राप्त होती है। 🙏 https://youtu.be/dW74T8lB3Bg?si=Vv9SDKOkHyOc2Fvd

भगवान वामन भजन | वामन अवतार भक्ति गीत हिंदी में

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भगवान वामन भजन | विष्णु के वामन अवतार की महिमा वामन भगवान भजन (Vamana Bhajan in Hindi) वामन रूप धर तुम आए,भक्तों के संकट मिटाने।तीन पग में जग समेटा,दैत्यों को राह दिखाने। प्रभु तुम हो ज्ञान के सागर,तेरी लीला है अपरंपार।जो तेरा नाम सुमिरन करते,कटे उनके संकट अपार। विष्णु अवतार वामन प्यारे,तेरा गुणगान हम गाएं।तेरी भक्ति में जो लीन रहे,उस पर कृपा तुम बरसाएं। वामन भगवान भजन का अर्थ (Meaning in Hindi) “वामन रूप धर तुम आए,भक्तों के संकट मिटाने।तीन पग में जग समेटा,दैत्यों को राह दिखाने।”**➡ हे प्रभु! आपने वामन अवतार धारण किया, भक्तों के कष्ट दूर करने के लिए। आपने तीन पगों में संपूर्ण संसार समेट लिया और असुरों को सही राह दिखाई। “प्रभु तुम हो ज्ञान के सागर,तेरी लीला है अपरंपार।जो तेरा नाम सुमिरन करते,कटे उनके संकट अपार।”**➡ हे भगवान! आप ज्ञान के अथाह सागर हैं, आपकी लीलाएं अनंत और अद्भुत हैं। जो भी आपका नाम सच्चे मन से स्मरण करता है, उसके जीवन के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं। “विष्णु अवतार वामन प्यारे,तेरा गुणगान हम गाएं।तेरी भक्ति में जो लीन रहे,उस पर कृपा तुम बरसाएं।”**➡ हे विष्णु के वामन अवतार! हम आपके दिव्य गुणों का गुणगान करते हैं। जो आपकी भक्ति में लीन रहता है, उस पर आपकी कृपा सदैव बनी रहती है। इस भजन में भगवान वामन के दिव्य अवतार की महिमा का वर्णन किया गया है। यह भजन बताता है कि भगवान वामन भक्तों की रक्षा करने और असुरों को सही मार्ग दिखाने के लिए प्रकट हुए थे। उनकी भक्ति करने से जीवन के सभी संकट समाप्त हो जाते हैं।   Meaning of Vamana Bhagwan Bhajan in English “Vamana Roop Dhar Tum Aaye,Bhakton Ke Sankat Mitane.Teen Pag Mein Jag Sameta,Daityon Ko Raah Dikhane.”**➡ O Lord! You incarnated as Vamana to remove the sufferings of Your devotees. With three steps, You encompassed the entire universe and guided the demons on the right path. “Prabhu Tum Ho Gyaan Ke Sagar,Teri Leela Hai Aparampaar.Jo Tera Naam Sumiran Karte,Kate Unke Sankat Apaar.”**➡ O Lord! You are an infinite ocean of wisdom, and Your divine pastimes are limitless. Whoever remembers Your name with devotion is freed from immense troubles. “Vishnu Avataar Vamana Pyaare,Tera Gungaan Hum Gaaye.Teri Bhakti Mein Jo Leen Rahe,Us Par Kripa Tum Barsaye.”**➡ O beloved Vamana, incarnation of Vishnu! We sing praises of Your divine qualities. Those who remain immersed in Your devotion always receive Your divine blessings.   भगवान वामन पूजा विधि एवं सामग्री (Vamana Pooja Vidhi & Samagri in Hindi) भगवान वामन पूजा विधि (Pooja Vidhi) स्नान एवं शुद्धिकरण: सबसे पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ करके गंगाजल से शुद्ध करें। भगवान वामन की मूर्ति या चित्र स्थापित करें: एक स्वच्छ चौकी पर भगवान वामन की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। मूर्ति को जल, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर) और गंगाजल से स्नान कराएं। दीप प्रज्वलन: घी का दीपक जलाएं और अगरबत्ती या धूप अर्पित करें। भगवान को पुष्प अर्पित करें: भगवान वामन को पीले और सफेद फूल अर्पित करें। तुलसी दल (तुलसी के पत्ते) अर्पित करना बहुत शुभ माना जाता है। चंदन और अक्षत चढ़ाएं: भगवान को चंदन का तिलक लगाएं और अक्षत (साबुत चावल) अर्पित करें। भोग अर्पित करें: भगवान वामन को पीले रंग का भोग अर्पित करें, जैसे बेसन लड्डू, केसर युक्त खीर या केले। मंत्र जाप और पाठ करें: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें। श्री वामन स्तोत्र या विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। आरती करें: भगवान वामन की आरती करें और घंटी बजाएं। आरती के बाद सभी भक्तों को प्रसाद वितरित करें। प्रणाम एवं प्रार्थना: भगवान वामन से सुख, समृद्धि और धर्म पालन का आशीर्वाद मांगे। भगवान वामन पूजा सामग्री (Pooja Samagri) गंगाजल – शुद्धिकरण के लिए दीपक (घी या तेल का दीप) अगरबत्ती और धूप फूल (विशेषकर पीले और सफेद फूल) तुलसी पत्ते – भगवान विष्णु को अति प्रिय चंदन और रोली – तिलक के लिए अक्षत (साबुत चावल) फल (केले विशेष रूप से) मिठाई (बेसन लड्डू, केसर खीर आदि) पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर का मिश्रण) भगवान वामन की मूर्ति या चित्र पंचगव्य (विशेष पूजा के लिए – दूध, दही, घी, गोमूत्र और गोबर का मिश्रण) शंख – जल अभिषेक के लिए पीले वस्त्र या पीला धागा – शुभता के लिए आरती थाली और घंटी भक्तों के लिए प्रसाद (मिठाई, फल, पंचामृत आदि) भगवान वामन की पूजा भक्तों की रक्षा और जीवन में समृद्धि लाने के लिए की जाती है। श्रद्धा और प्रेम से पूजा करने से भगवान शीघ्र प्रसन्न होते हैं। https://youtu.be/32Oo-4xdJno?si=P7hykNdQ3JE7jjRB